Move to Jagran APP

पटना में रह रही महिला 1000 km दूर दिल्ली में बनी बच्चे की मां, ऐसे देखी मासूम की पहली झलक

वीडियो के जरिये अपने बच्चों को देखा तो मां की आंखों से आंसू छलक पड़े। समझ ही नहीं आ रहा था कि मां रो रही है या हंस रही है। यह क्षण वाकई काफी मार्मिक था।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 01 May 2020 02:11 PM (IST)Updated: Fri, 01 May 2020 02:47 PM (IST)
पटना में रह रही महिला 1000 km दूर दिल्ली में बनी बच्चे की मां, ऐसे देखी मासूम की पहली झलक
पटना में रह रही महिला 1000 km दूर दिल्ली में बनी बच्चे की मां, ऐसे देखी मासूम की पहली झलक

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। लॉकडाउन में कई लोग हैं जो अपने परिवार से दूर हैं, उन्हीं में से एक मां भी है जो अपने नवजात शिशु से दूर है। उस शिशु से जिसके लिए वह बीते 11 साल से भगवान के आगे प्रार्थना कर रही थी। मां के लिए यह वो घड़ी है कि जिनमें उससे न हंसते बन रहा है और न रोते। बस तकनीक की एक तार मां और बच्चे को आपस में जोड़े हुए है। शुक्रवार को बच्चे के जन्म के एक माह पूरे होने पर जनकपुरी बी-ब्लॉक स्थित गौडिम आईवीएफ सेंटर में केक काटकर उसका एक माह का जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया गया। 

loksabha election banner

शादी के 11 साल बाद भी मां नहीं बन पाई महिला

गौडिम आईवीएफ सेंटर की सीईओ डॉ. मनिका खन्ना ने बताया कि 2019 में उनके संपर्क में पटना के एक दंपती आए थे। जिनके विवाह को 11 साल पूरे हो चुके थे, लेकिन उन्हें बच्चे का सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा था। इस सुख की प्राप्ति के लिए उन्होंने भारत के विभिन्न स्थानों में स्थित आईवीएफ सेंटर में संपर्क किया। सात असफल प्रयास के कारण मां के गर्भाशय में ऐडिनोमायोसिस नामक गंभीर बीमारी हो चुकी थी। जिसके बाद एक और प्रयास करना बेकार था।

अब केवल सरोगेसी का ही विकल्प शेष था। 1 अप्रैल को सरोगेसी प्रक्रिया के माध्यम से एक बेटी ने जन्म लिया, लेकिन लॉकडाउन के चलते बच्ची के माता-पिता पटना से दिल्ली आने में असमर्थ थे। बच्ची के जन्म के बाद दंपती को तुरंत विडियो कॉल कर बच्ची को दिखाया गया। जिसके बाद मां की आंखों से आंसू छलक पड़े। समझ ही नहीं आ रहा था कि मां रो रही है या हंस रही है। यह क्षण वाकई काफी मार्मिक था।

डॉ. मनिका ने बताया कि बच्ची एक हफ्ते की अपरिपक्व हुई थी। जिसके कारण शुरुआत में उसे स्वास्थ्य से जुड़ी थोड़ी परेशानी हुई, पर बाल रोग विशेषज्ञों की टीम ने बच्ची का उचित इलाज किया। बच्ची अब एक माह की हो चुकी है और बिल्कुल स्वस्थ है।

डॉ. मनिका ने बताया कि सरोगेसी से जन्मे शिशु के माता-पिता एकाध दिन के बाद अपने बच्चे को घर ले जाते हैं, पर ऐसा पहली बार हुआ है जब बच्चा एक माह से सेंटर पर ही रहा हो। बीते एक माह में चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ का बच्ची के साथ अटूट रिश्ता बन गया है। सबने मिलकर बच्ची का नाम अलाय रखा है। लॉकडाउन के दौरान बीच में सरकार ने कुछ रियायत देते हुए दुकानें खोलने का आदेश दिया था। जिसके बाद नर्सिंग स्टाफ बच्ची के लिए नए-नए कपड़े खरीदकर लेकर आई। अभी कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण बच्ची की साफ-सफाई से लेकर खाने-पीने का पूरा ख्याल रखा जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.