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बाजार में दिख रही है होली की खुमारी, जानें- कैसे हो सकता है केमिकल रंगों से बचाव

पुराने समय में होली के मौके पर हल्दी, चदंन, गुलाब और टेसू के फूल से रंग बनाए जाते थे, लेकिन आजकल बाजार में रासायनिक रंग धड़ल्ले से बेचे जाते हैं।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 26 Feb 2018 08:24 PM (IST)Updated: Tue, 27 Feb 2018 09:39 PM (IST)
बाजार में दिख रही है होली की खुमारी, जानें- कैसे हो सकता है केमिकल रंगों से बचाव

नई दिल्ली [जेएनएन]। रंगों के त्योहार होली को अब चंद ही रोज रह गए हैं। इसकी रंगत अब बाजारों में भी दिखने लगी है। हर तरफ लोगों पर होली की खुमारी नजर आ रही है। बाजार में होली की तैयारियों को लेकर दुकानें सज चुकी हैं। छोटे-बड़े सभी मार्केट में मौजूद दुकानों में अब केवल होली की ही बहार है। दुकानें रंग, गुलाल, पिचकारी और होली से जुड़ी अन्य प्रकार की वस्तुओं से सज चुकी हैं।

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होली के दिन का इंतजार

इस रौनक के बीच दुकानदारों ने अपनी दुकानों को खूबसूरती से सजाया है। वहीं, लोग अपने दोस्तों और परिजनों को रंगों में सराबार करने के लिए बेसब्री से होली के दिन का इंतजार कर रहे हैं। बच्चे इसे लेकर अधिक उत्साहित हैं और अपने अभिभावकों के साथ दुकानों पर रंग और पिचकारी खरीदने में अभी से ही जुट गए हैं। इलाके के रोहिणी, पीतमपुरा, प्रशांत विहार, रानी बाग, अवंतिका, केशवपुरम, शालीमार बाग, आजादपुर सहित सभी क्षेत्रों के प्रमुख बाजारों में होली से जुड़ी सामग्रियों की भरमार है।

लुभा रही हैं डिजाइनर पिचकारियां

रंग-गुलाल की मस्ती के साथ बच्चों को पिचकारी सबसे अधिक लुभाती है। होली पर पिचकारी को लेकर बच्चों में क्रेज रहता है। इसे भुनाने के लिए बाजार में पूरी तैयारी हो चुकी है। बच्चों के पसंदीदा कार्टून छोटा भीम, मोटू-पतलू, डोरेमोन आदि के आकार वाली डिजाइनर पिचकारियों की भरमार है। बंदूक, टैंक के आकार वाली पिचकारी भी खूब पसंद की जा रही है। इनकी कीमत 50 से लेकर हजार रुपये तक है। इसके अलावा कुछ ऐसी भी पिचकारी बाजार में मौजूद हैं, जिसमें रंगीन पानी भरने की जरूरत नहीं होती। ऐसी पिचकारी के अंदर ही कई रंग होते हैं। प्रशांत विहार में पिचकारी विक्रेताओं ने बताया कि प्रत्येक वर्ष पिचकारियों के डिजाइन और आकार में फेरबदल हो जाता है। जिसे बच्चे खूब पंसद करते हैं। एअर प्रेशर, एक्शन बिगन और फनगन जैसी पिचकारियां बच्चों को खूब भा रहे हैं।

हर्बल गुलाल की मांग

होली के मौके पर केमिकल रंग-गुलाल से त्वचा को कोई नुकसान न हो, इसलिए पिछले कुछ वर्षो से हर्बल रंग-गुलाल की मांग बढ़ती जा रही है। लिहाजा, इस वर्ष भी बाजारों में हर्बल गुलाल की धूम है। रानी बाग में रंगों के विक्रेता समीर कुमार ने बताया कि लोगों की मांग को देखते हुए दुकानों में हर्बल रंग अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं। दुकानदारों ने भी केमिकल रंगों से तौबा कर ली है। दुकानदारों के अनुसार, महिलाएं भी खरीदारी के दौरान हर्बल रंग को ही प्राथमिकता देती हैं।

गुजिया के स्वाद अनेक

होली के पर्व में गुजिया मिठास घोलती है। भले ही होली में कुछ दिन बाकी हों, लेकिन मिठाई की दुकानों पर यह नजर आने लगी हैं। इसकी एक नहीं बल्कि आधा दर्जन से ज्यादा वैरायटी हैं। इसमें प्लेन, केसर, चंद्रकला, गुजिया-समोसा, ड्राई फ्रूट व रोस्टेड गुजिया के कई प्रकार दुकानों पर उपलब्ध हैं। इसे लोग अधिकतर अपने परिवार के लोगों और दोस्त-परिजन को उपहार देने के लिए खरीदते हैं।

उपहार की खरीदारी

होली के मौके पर खुशियों के सेलिब्रेशन में उपहारों का भी खास महत्व है। इसकी खरीदारी के लिए भी बाजारों में रौनक है। हालांकि, होली में उपहारों के आदान-प्रदान का चलन दीपावली की भांति अधिक नहीं है, लेकिन कई लोग इस अवसर पर भी उपहार देकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। ऐसे में बाजार में मौजूद दुकानों में भी गिफ्ट के पैक सज चुके हैं। इन पैकेट में मुख्य रूप से मिठाई, ड्राई फ्रूट के अलावा रंग-बिरंगे गुलाल के पैकेट होते हैं, जिनकी कीमत 200 से दो हजार रुपये तक है। इसके अलावा उपहार में इन दिनों चॉकलेट देने का भी प्रचलन है।

रासायनिक रंगों से बचाव के लिए रहें सावधान

पुराने समय में होली के मौके पर हल्दी, चदंन, गुलाब और टेसू के फूल से रंग बनाए जाते थे, लेकिन आजकल बाजार में रासायनिक रंग धड़ल्ले से बेचे जाते हैं। हालांकि, हर्बल और प्राकृतिक रंगों की मांग पिछले कुछ सालों में बढ़ी है, फिर भी रासायनिक रंगों की कमी नहीं है। ऐसे में सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। इन रंगों में मौजूद विषैले पदार्थ त्वचा को नुकसान पहुंचते हैं। केमिकल युक्त रंग त्वचा, आंख और बाल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। खुजली, बालों का गिरना और त्वचा की कई समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए त्वचा को रंगों के प्रभाव से बचाने के लिए सावधान रहना आवश्यक है।

रंगों से त्वचा की सुरक्षा के लिए उपाय

रंग खेलने से 20 मिनिट पहले सनस्क्रीन लोशन लगाएं। सनस्क्रीन लगाने के दस मिनिट बाद 'कवर क्रीम' या हल्का फाउंडेशन लगाएं ताकि त्वचा पर एक सुरक्षाकवच बन जाए। रंगों के इस्तेमाल से पहले त्वचा पर नारियल का तेल लगाने से रंगों का असर कम होता है। तेल लगाकर हम अपने बालों और त्वचा की सुरक्षा कर सकते हैं। रंगों में पाए जाने वाले रसायन त्वचा से प्रकृतिक तेल और नमी चुरा लेती हैं। ऐसे में तेल एक सुरक्षा कवच बना लेता है। इसलिए होली खेलने से पहले अपनी त्वचा और बालों पर तेल लगाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। - नाखूनों पर पारदर्शी नेल वार्निश लगाएं। ये नाखूनों की सुरक्षा करेगा और नाखून रंगों को अवशोषित भी नहीं कर पाएंगे।

रंग के इस्तेमाल के बाद त्वचा की देखभाल

जैतून या तिल के तेल में दही मिलाकर और उसमें थोड़ा हल्दी पाउडर मिलाकर त्वचा पर लगे रंग को आसानी से हटाया जा सकता है। रंगों को उतारने के लिए बेसन में दूध मिलाकर कर चेहरे पर लगाएं, थोड़ी देर बाद उसे धो लें। जिन लोगों की त्वचा तैलीय है, गुलाब जल, नींबू का प्रयोग कर सकते हैं। रंग त्वचा को संवेदनशील बना देते हैं। ऐसे में बार-बार नहाने से आपकी त्वचा से प्रकृतिक तेल व नमी और अधिक मात्रा में निकल जाएगी। इसलिए होली खेलने के बाद दो बार से अधिक न नहाएं और ध्यान रखें कि हर बार नहाने के बाद मॉश्चराइजर अवश्य लगाएं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव के अरोड़ा रंगों में पाये जाने वाले रसायनों से खुजली और रेशैज पड़ सकते हैं और इन्हें खुजलाने से घाव पड़ सकते हैं। अगर आपको चोट लगी है या कोई घाव हो या त्वचा कटी हुई तो होली खेलने से पहले पट्टी कर लें। इससे हानिकारक रसायन आपके रक्त में नहीं पहुंचेंगे। रसायनों के रक्त के प्रवाह में मिलने से कैंसर हो सकता है और आंखों की रोशनी जा सकती है। रंगों के हानिकारक रसायनों से एलर्जी, खुजली और एक्जिमा हो सकता है। जिन लोगों को पहले से ही त्वचा से संबंधित कोई समस्या है तो उन्हें होली खेलने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य ले लेना चाहिए। 

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