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    Delhi News: घड़ोली के आश्रम में अवधूत महाराज ने ली समाधि, हमेशा खड़े होकर सोते थे बाबा

    Updated: Sat, 30 Nov 2024 10:04 PM (IST)

    दिल्ली के घड़ोली स्थित शिव मंदिर में बांदा के सिमोनी धाम के संत स्वामी अवधूत महाराज का 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया। महाराज के आकस्मिक निधन से उनके भक्तों में शोक की लहर है। आश्रम में पूरे दिन महाराज के अंतिम दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। देर शाम विधि-विधान व मंत्रोच्चारण के साथ वहीं पर उनको समाधि दे दी गई।

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    सिमोनी धाम के संत स्वामी अवधूत महाराज ने ली समाधि।

    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। घड़ोली स्थित शिव मंदिर में बने आश्रम में बांदा के सिमोनी धाम के संत स्वामी अवधूत महाराज ने शनिवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे 101 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। महाराज के आकस्मिक निधन से उनके भक्तों में शोक की लहर छा गई है। आश्रम में पूरे दिन महाराज के अंतिम दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहा।

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    देर शाम विधि-विधान व मंत्रोच्चारण के साथ वहीं पर उनको समाधि दे दी गई। भक्तों का कहना था कि वह उनके लिए साक्षात भगवान के समान थे। वह हर विपदा व दुविधा से अपने भक्तों को बचा लिया करते थे।

    बांदा स्थित जाते थे धाम

    दिल्ली में उनके दो आश्रम थे। एक कृष्णा नगर स्थित शिव कला मंदिर में और दूसरा घड़ोली स्थित शिव मंदिर में। वह साल में कई बार बांदा स्थित सिमोनी धाम भी जाया करते थे। एक सेवक ने बताया कि महाराज को किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं थी।

    हर दिन जाग जाते थे साढ़े छह बजे

    वह प्रतिदिन छह बजे से पहले उठकर तैयार हो जाया करते थे, लेकिन शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे के बाद भी नहीं जागे और सेवक के जगाने पर कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी। उसके पश्चात उन्हें नोएडा स्थित मेट्रो अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

    कभी बैठते और लेटकर सोते नहीं थे महाराज

    वसुंधरा एन्क्लेव निवासी अशोक अरोड़ा ने बताया कि वह पिछले तीन दशकों से महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन आश्रम आते हैं। महाराज के आशीर्वाद में इतनी शक्ति थी कि वह अपने भक्तों को हर संकट से बचा लेते थे। संन्यास लेने के बाद महाराज कभी लेटकर सोते और बैठते नहीं थे। वह खड़े होकर ही सोया करते थे।

    आश्रम में उनसे मिलने का समय सुबह छह से दस बजे का था और शाम को तीन से पांच बजे तक भक्त उनसे मिल सकते थे। जन्माष्टमी और महाशिवरात्रि के अवसर पर कृष्णा नगर के शिव कला मंदिर स्थित आश्रम में करीब 250 क्विंटल लड्डुओं का स्वादिष्ट प्रसाद तैयार कराकर दिल्ली के दोनों आश्रमों में भक्तों को वितरित किया जाता था।

    भक्तों के लिए साक्षात भगवान थे महाराज

    कृष्णा नगर निवासी अंजना ने बताया कि वह बीते 45 सालों से महाराज से आशीर्वाद ले रही हैं। सन् 1979 में करोल बाग से शादी होकर आने के बाद उन्होंने महाराज के कृष्णा नगर स्थित आश्रम में ही सबसे पहले मत्था टेका था। आज भी उनका पूरा परिवार महाराज को बहुत मानता है। वसुंधरा से आयीं मीनाक्षी ने बताया कि जब वह सातवीं कक्षा में थीं, तभी से अपने पिता उत्तम प्रकाश के साथ महाराज के दर्शनों के लिए आती हैं।

    यदि कोई भक्त परेशान होकर आश्रम आता था, तो महाराज खुद ही उसकी परेशानी को जानकर उसका हल बता दिया करते थे। मीनाक्षी ने कहा कि महाराज हमेशा के लिए उनके मन में जीवित रहेंगे। घड़ोली निवासी मीना देवी ने बताया कि बाबा के आशीर्वाद में बहुत शक्ति थी।

    देशभर में प्रसिद्ध है सिमोनी धाम का भंडारा

    भक्तों ने बताया कि उनके द्वारा पिछले 65 वर्षों से सिमोनी धाम में अखंड ज्योति जल रही है। स्वामी अवधूत महाराज के कारण देशभर में प्रसिद्ध हुए सिमोनी धाम में हर साल 15 से 17 दिसंबर तक तीन दिवसीय विशाल भंडारा व मेला होता आ रहा है। इन तीन दिनों में विभिन्न राज्यों से प्रतिदिन लाखों की संख्या में भक्त पहुंचकर प्रसाद ग्रहण करते हैं और बाबा से आशीर्वाद लेते हैं।