दिल्ली की एक राजकुमारी को मिली हिंदू राजा से इश्क की सजा, मौत के सालों बाद भी भटक रही है रूह!
Zebunissa Love Story इतिहासकार मानते हैं कि धार्मिक तौर पर कट्टर औरंगजेब ने जेबुन्निसा को 20 साल तक कैद में रखा था। जेबुन्निसा पिता से छिपकर मुशायरों में शेरों शायरी करती थी। इस दौरान उसे राजा छत्रसाल से प्यार हो गया था। इसकी उसे खौफनाक सजा भुगतनी पड़ी।

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। औरंगजेब (Aurangzeb) की कट्टरता पर ढेरों किताबें और कहानियां लिखी गईं। ऐसी ही कट्टरता की एक कहानी लोक कथाओं में दर्ज है। वो कहानी है औरंगजेब की बेटी जेबुन्निसा (Zebunissa Love Story) के प्रेम की। बताया जाता है कि जेबुन्निसा एक बेहतरीन शायरा थी।
वह पिता से छुपकर मुशायरों में जाती थीं। राजकुमारी को राजा छत्रसाल से प्रेम हो गया था। औरंगजेब को जानकारी होने पर उसने बेटी को 20 साल के लिए कैदखाने में डाल दिया। कैद में रहते हुए ही जेबुन्निसा की मौत हो गई।
जेबुन्निसा का शेरो-शायरी के प्रति था गहरा लगाव
जेबुन्निसा औरंगजेब और बेगम दिलरस बानो की सबसे बड़ी संतान थी। महल में रहने के दौरान जेबुन्निसा को पढ़ने से लगाव हो गया था। फारसी कवि हम्मद सईद अशरफ मजंधारानी से उसने साहित्य का ज्ञान लिया। इस तरह राजकुमारी का कविता, शेरो-शायरी के प्रति लगाव बढ़ गया।
पिता से छुपकर जेबुन्निसा मुशायरों में शामिल होने लगी थीं। इतिहासकारों का मानना है कि जेबुन्निसा फारसी में कविताएं लिखतीं और नाम छिपाने के लिए मख्फी नाम से लिखा करती थी।
महाराजा छत्रसाल के हुआ था इश्क
इतिहासकारों के अनुसार एक बार किसी कार्यक्रम के चलते जेबुन्निसा बुंदेलखंड गई हुई थीं। वहां उन्होंने महाराजा छत्रसाल को देखा तो उन्हें राजा से प्यार हो गया। यह बात जब औरंगजेब को पता चली तो उसने बेटी को फटकार लगाई। लाख मनाने के बाद भी जब जेबुन्निसा नहीं मानी तो औरंगजेब ने उसे दिल्ली के सलीमगढ़ किले में नजरबंद करावा दिया।
कैद में करती थी कृष्ण की भक्ति
ये माना जाता है कि पिता से नाराज राजकुमारी ने कैद के दौरान पिता के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। साथ ही कृष्ण भक्ति हो गई थी। 20 साल कैद में रहने के दौरान जेबुन्निसा ने कई गजलें, शेर और रुबाइयों के साथ कविताएं भी लिखीं। इनका संकलन उनकी मौत के बाद दीवान-ए-मख्फी के नाम से छपा।
तीस हजारा बाग में किया गया दफन
पिता की यातनाओं से राजकुमारी की मौत हो गई। राजकुमारी को काबुली गेट के बाहर तीस हजारा बाग में दफन कर दिया गया। ऐसी अवधारणा है कि आज भी सलीमगढ़ किले में जेबुन्निसा की रूह रहती है। यहां तक कि दिल्ली के हॉन्टेड प्लेस में सलीमगढ़ का किला शामिल है।

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