डॉक्टरों की हड़ताल पर अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेन्द्र मोदी को लिखा पत्र, कहा इन्हें अस्पताल में होना चाहिए न की सड़कों पर
इन्होंने कोरोना में अपनी जान की बाज़ी लगाकर सेवा की। कोरोना फिर बढ़ रहा है। इन्हें अस्पताल में होना चाहिए ना कि सड़कों पर इन पर जो पुलिस बर्बरता की गई हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं। PM साहिब इनकी माँगे जल्द मानें।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नीट-पीजी की काउंसलिंग करवाने की मांग को लेकर हड़ताल पर गए केंद्र सरकार के डाक्टरों की मांगें जल्द मानने के लिए मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा। सीएम ने पत्र में कहा है कि कोरोना फिर बढ़ रहा है। डाक्टरों को अस्पताल में होना चाहिए, जबकि वे सड़कों पर हैं।उन्होंने पत्र में प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि डाक्टरों की समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान निकालें।
मालूम हो कि दिल्ली में नीट-पीजी काउंसलिंग की मांग को लेकर निकाले गए पैदल मार्च के दौरान रेजीडेंट डाक्टर और पुलिस के बीच सोमवार को तीखी नोकझोंक हो गई थी। इसमें कई पुलिसकर्मी व डाक्टर घायल हो गए थे। मार्च में शामिल कई चिकित्सकों को पुलिस ने हिरासत में लिया। डाक्टरों को हिरासत में लिए जाने पर दिल्ली एम्स आरडीए ने नाराजगी जताई।
मार्च के दौरान पुलिस द्वारा डाक्टरों से मारपीट और हिरासत में लेने पर डाक्टरों ने आक्रोश व्यक्त किया। सोमवार शाम को डाक्टरों ने सफदरजंग अस्पताल से फिर मार्च निकाला। वे लोग गृहमंत्री अमित शाह से मिलने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें सरोजनी नगर थाने की तरफ मोड़ दिया।
सीएम ने पत्र में कहा कि पिछले एक महीने से एम्स, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया जैसे कई बड़े सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डाक्टर नीट-पीजी काउंसलिंग के बार-बार स्थगित होने की वजह से हड़ताल पर हैं। यह बहुत दुख की बात है। इतने संघर्ष के बाद भी इन रेजिडेंट डाक्टरों की मांग केंद्र सरकार द्वारा नहीं सुनी गईं। परंतु इससे ज्यादा दुख की बात है कि सोमवार को जब ये डाक्टर शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे, तब पुलिस ने इनके साथ मार-पिटाई की, इन पर हाथ उठाया और इनके साथ दुर्व्यवहार किया।हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं।
उधर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने NEET PG काउंसलिंग में हो रही देरी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर के साथ बैठक की।
सीएम ने कहा कि इन डाक्टरों ने पिछले डेढ़ साल में करोना महामारी के दौरान अपनी जान की परवाह ना करते हुए कोरोना मरीजों की सेवा की। इस दौरान कितने डाक्टरों की जानें गईं, लेकिन वो फिर भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे।सीएम ने कहा है कि नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी होने से इन डाक्टरों के भविष्य पर असर पड़ता है।
इसके साथ-साथ अस्पतालों में डाक्टरों की कमी भी होती है।इसलिए केंद्र सरकार सरकार जल्द से जल्द काउंसलिंग करवाए।मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि आज पूरे देश में फिर से करोना के केस बढ़ रहे हैं, ओमिक्रोन के मरीज बढ़ रहे हैं।उन्होंने कहा कि अगर हमारे डाक्टर हड़ताल पर होंगे, तो हम कोरोना से कैसे लड़ेंगे?
थाने के सामने करीब डेढ़-दो हजार डाक्टर धरने पर बैठ गए और मारपीट करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते रहे। डाक्टरों के मार्च से रात आठ बजे के बाद से रिंग रोड पर यातायात बाधित रहा। इस कारण लोगों को परेशानी भी झेलनी पड़ी। डॉक्टरों का कहना था कि हम लोग एकत्रित होकर सुप्रीम कोर्ट तक मार्च करने के लिए निकले थे।
इस पर पुलिस द्वारा इंद्रप्रस्थ डाकघर के पास रोका गया। नहीं रुकने पर मारपीट और महिला डाक्टरों के साथ बदसलूकी की गई। उन्हें जबरन हिरासत में लिया गया। उनकी मांग थी कि जिन पुलिसकर्मियों ने ऐसा किया वो सामने आकर माफी मांगे।
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