Delhi Election 2025: कांग्रेस ने कैसे बढ़ाई केजरीवाल की टेंशन? दिल्ली के चुनावी दंगल में आया नया मोड़; समझिए पूरा गणित
Delhi Vidhan Sabha Election 2025 को लेकर इस बार मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। कांग्रेस दिल्ली में अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने के लिए पूरी ताकत से जुटी है। मजबूत प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारने के साथ ही कांग्रेस नेता आम आदमी पार्टी पर हमलावर हैं। पार्टी के रणनीतिकार चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में हैं।

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली में अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने के लिए कांग्रेस पूरा दमखम लगा रही है। मजबूत प्रत्याशियों को चुनावी रण में उतारने के साथ ही कांग्रेस नेता आम आदमी पार्टी की घेराबंदी में जुटे हैं। आप नेतृत्व को लेकर तीखी बयानबाजी कर रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकार किसी तरह से चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में हैं।
क्यों बढ़ रही आम आदमी पार्टी की बेचैनी?
इससे आम आदमी पार्टी की बेचैनी बढ़ रही है। उसे त्रिकोणीय मुकाबला होने पर भाजपा विरोधी मतों के विभाजन का डर सता रहा है। यही कारण है कि आप नेता कांग्रेस पर भाजपा को मदद पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं।
वर्ष 2012 में आम आदमी पार्टी के उदय से पहले तक दिल्ली में कांग्रेस व भाजपा के बीच सीधी लड़ाई होती थी। इस दौरान 1993 को छोड़ दें तो किसी भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40 प्रतिशत से कम मत नहीं मिले थे।
साल दर साल घटती गईं कांग्रेस की सीटें
झुग्गी बस्तियों और मुस्लिम व अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में इसका मजबूत जनाधार था। इनके बल पर कांग्रेस 15 वर्षों तक दिल्ली की सत्ता में रही। वर्ष 2012 के बाद से यह राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक अब आप के पाले में चला गया है।
वर्ष | सीट | मत प्रतिशत |
1993 | 14 | 34.48 |
1998 | 52 | 47.76 |
2003 | 47 | 48.13 |
2008 | 43 | 40.31 |
2013 | 8 | 24.55 |
2015 | 0 | 9.56 |
2020 | 0 | 4.26 |
दिल्ली में न्याय यात्रा निकाल चुकी है कांग्रेस
यही कारण है कि चुनावों में इसका प्रदर्शन लगातार खराब हो रहा है। वर्ष 2013 में पार्टी का मत प्रतिशत गिरकर 24.55 प्रतिशत हो गया था। पिछले चुनाव में यह पांच प्रतिशत से भी कम रह गया।
इस कारण पिछले दो विधानसभा चुनावों में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है। इस कारण पार्टी के सामने प्रदर्शन सुधारने की चुनौती है। प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव पूरी दिल्ली में न्याय यात्रा निकाल चुके हैं।
47 प्रत्याशियों को उतार चुकी है कांग्रेस
प्रत्याशियों के चयन से भी पार्टी यह संदेश देने का प्रयास कर रही है कि वह दिल्ली की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है। 47 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई है। आप संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा गया है।
कांग्रेस से AAP उम्मीदवारों को मिल सकती है चुनौती
आप के दूसरे बड़े नेता मनीष सिसोदिया के सामने जंगपुरा से अनुभवी कांग्रेसी पूर्व महापौर फरहाद सूरी को टिकट दिया गया है। मुख्यमंत्री आतिशी के सामने कालकाजी से भी मजबूत प्रत्याशी उतारने की तैयारी है। देवेंद्र यादव बादली से चुनाव मैदान में हैं। आप से कांग्रेस में आने वाले पूर्व मंत्री आसिम अहमद खान, पूर्व विधायक अब्दुल रहमान, देवेंद्र सहरावत को भी टिकट दिया गया है।
AAP को कठघरे में खड़ा कर रहे कांग्रेस नेता
इससे आप प्रत्याशियों को अच्छी चुनौती मिलने की संभावना है। प्रत्याशियों के चयन में सावधानी बरतने के साथ ही कांग्रेस नेता आप को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। श्वेत पत्र लाकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन ने वर्ष 2013 में केजरीवाल को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बनाने और इस बार लोकसभा में आप के साथ गठबंधन को बड़ी भूल बता रहे हैं।
एलजी से मिलकर संदीप दीक्षित कर चुके हैं ये मांग...
केजरीवाल को उन्होंने राष्ट्रद्रोही और मौकापरस्त कहा हैं। संदीप दीक्षित एलजी से मिलकर केजरीवाल व आतिशी के विरुद्ध उनकी घोषित योजनाओं में पंजीकरण के खिलाफ और चुनाव में पंजाब पुलिस के दुरुपयोग की शिकायत कर कार्रवाई की मांग भी कर दी।
क्यों सतर्क हो गए आप नेता?
कांग्रेस के आक्रामक तेवर को देखते हुए आप नेता भी सतर्क हो गए हैं। वह माकन के बयान की आलोचना करते हुए कांग्रेस को आइएनडीआइए से बाहर कराने की चेतावनी दे रहे हैं। आरोप लगा रहे हैं कि चुनाव में कांग्रेस को भाजपा समर्थन कर रही है।
इस तरह से पलटवार कर और आइएनडीआइए के अन्य नेताओं को अपने समर्थन में लाकर वह दिल्ली के चुनाव को त्रिकोणीय बनाने से रोकने का प्रयास कर रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का समर्थन प्राप्त करने में आप सफल भी रही है।
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