चुनाव से पहले बिजली बिल माफ करने पर केजरीवाल ने कही ये बात, भाजपा को दिया करारा जवाब
Free Electricity in Delhi दिल्ली में 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा के बाद से सियासत शुरू हो गई है। इस पर सीएम केजरीवाल ने विपक्ष को कराया जव ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जेएनएन। Free Electricity in Delhi before assembly election चुनाव से पहले दिल्ली में लगभग सभी पार्टियों जोर आजमाइश में लग गई हैं। धीरे-धीरे दिल्ली में अब चुनावी फिजां भी बदलने लगी है। मौजूदा हालात में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) की बात करें तो देखेंगे कि इसने बिजली बिल माफ कर बड़ा चुनावी दांव चला है। इससे भाजपा और इस बार के लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पार्टी को भी जोर का झटका लगा है। AAP के इस कदम से दिल्ली में जहां मोदी लहर को रोकने की कोशिश हुई तो वहीं नेतृत्व संकट से जूझ रहे कांग्रेस को और पीछे धकेलने की कोशिश हुई है।
चुनाव से पहले बिजली माफ करने के फैसले पर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भाजपा को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े अफसर बिजली फ्री में इस्तेमाल कर रहे हैं उस पर सवाल नहीं उठते मगर मैं लोगों को अफसरों जैसी सुविधा देने की कोशिश कर रहा हूं तो गलत क्या है।
राजनीतिक दलों के बीच घमासान का मंच तैयार
दिल्लीवालों से मानसून रूठा है मगर बिजली उपभोक्ताओं के लिए सौगातों का मानसून आया है। दिल्ली सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को स्थाई शुल्क में कमी के रूप में दी गई सौगात पर अब सियासत भी शुरू हो गई है। राजनीतिक दलों ने अब वसूला गया शुल्क वापस किए जाने की मांग शुरू कर दी है। इससे आने वाले दिनों में बिजली के बिलों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच घमासान के लिए मंच तैयार हो गया है।
हमेशा रहा है मनपसंद मुद्दा
राजनीतिक दलों के लिए बिजली बिल हमेशा ही मनपसंद मुद्दा रहा है। वर्षो से इसे लेकर सियासी दल आपस में भिड़ते रहे हैं और यह मुद्दा सत्ता के सफर में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी (आप) ने बिजली हाफ पानी माफ का नारा दिया था और दिल्ली के लोगों ने उसे प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता सौंप दी थी।
बिजली बिल पर सियासत शुरू
अब एक बार फिर से बिजली बिल पर सियासत शुरू हो गई है। बुधवार को बिजली की नई दरें घोषित की गई हैं। आप सरकार जहां इसे अपनी उपलब्धि बता रही है। वहीं भाजपा इसे अपनी जीत के तौर पर प्रचारित कर रही है। भाजपा व कांग्रेस के साथ ही रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) सरकार से अबतक वसूले गए ज्यादा स्थायी शुल्क उपभोक्ताओं को वापस करने की मांग कर रहे हैं।
आप का था चुनावी वादा
दरअसल सत्ता में आते ही आप सरकार ने कम बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी देकर अपना चुनावी वादा पूरा किया था। यह सब्सिडी अब भी जारी है। पिछले साढ़े चार वर्षो में बिजली की दरों में भी न के बराबर बढ़ोतरी हुई है। लेकिन, पिछले वर्ष स्थायी शुल्क में छह गुना वृद्धि किए जाने से सरकार विपक्ष के निशाने पर थी।
विपक्ष था हमलावर
विपक्ष का आरोप था कि आप सरकार निजी बिजली कंपनियों (डिस्कॉम) को लाभ पहुंचा रही है। विपक्ष द्वारा इसे मुद्दा बनाए जाने से सत्ता पक्ष को नुकसान की आशंका सताने लगी थी। यही कारण है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चार माह पहले ही स्थायी शुल्क में कमी किए जाने का आश्वासन दिया था। आप सरकार भाजपा शासित राज्यों से बिजली की दरों की तुलना करके दिल्ली में सबसे सस्ती बिजली मिलने का दावा भी कर रही है। विधानसभा चुनाव में भी आप इस उपलब्धि का प्रचार करेगी। दूसरी ओर विपक्ष भी हमलावर हो गया है। वसूले गए स्थायी शुल्क को वापस लौटाने की मांग के साथ ही पेंशन फंड का पैसा उपभोक्ताओं से वसूले जाने पर विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस का कहना है किसी भी वर्ग के उपभोक्ता के लिए बिजली की दरें नहीं बढ़नी चाहिए।

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