दिल्ली दंगे के मामले में आठ लोगों से हटा आगजनी का आरोप
भजनपुरा इलाके में फैजान समेत 12 दुकानदारों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में कोर्ट ने आरोपित नीरज उर्फ काशी मनीष उर्फ राहुल अमित गोस्वामी सुनील शर्मा सोनू राकेश मुकेश और श्याम पटेल को आगजनी के आरोप से बरी कर दिया।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे के दौरान भजनपुरा में चोरी के बाद दुकानों में तोड़फोड़ करने के मामले में कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव के कोर्ट ने आठ आरोपितों को आगजनी के एक आरोप से मुक्त कर दिया है। अन्य आरोपों पर सुनवाई के लिए इस मामले को मुख्य महानगर दंडाधिकारी के कोर्ट में भेज दिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ताओं ने अपनी मूल शिकायत में आगजनी के बारे में नहीं बताया। सिर्फ पुलिसकर्मियों की गवाही में आगजनी का जिक्र होने पर आरोपितों पर यह आरोप नहीं बनता।
गत वर्ष फरवरी में भजनपुरा इलाके में फैजान समेत 12 दुकानदारों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में कोर्ट ने आरोपित नीरज उर्फ काशी, मनीष उर्फ राहुल, अमित गोस्वामी, सुनील शर्मा, सोनू, राकेश, मुकेश और श्याम पटेल को आगजनी के आरोप से बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इन पर दंगा करने, घातक हथियारों का इस्तेमाल करने, समान मंशा से गैर कानूनी समूह में शामिल होने, चोरी करने, छिप कर घुसने और चोरी का सामान लेने के आरोप विशेष रूप से दंडाधिकारी के कोर्ट में सुनवाई योग्य हैं।
कोर्ट ने कहा कि मूल शिकायत में शिकायतकर्ताओं ने आगजनी की घटना का जिक्र नहीं किया। आरोपितों की पहचान भी नहीं की है। रिकार्ड में चश्मदीद गवाह और वीडियो फुटेज भी नहीं है। घटना से जुड़ी कुछ तस्वीरें हैं, उनसे भी आगजनी की घटना प्रतीत नहीं होती। सिर्फ पुलिस कर्मियों ने गवाही में आगजनी की बात कही है, उस आधार पर आरोप नहीं लगाया जा सकता। कोर्ट ने पाया कि इस मामले में दुकानदारों की शिकायत में घटनाएं 24 और 25 फरवरी 2020 की बताई गई हैं। अलग-अलग दिनों की घटनाओं को पुलिस ने एक साथ जोड़ दिया, जोकि एक प्रश्न चिह्न है।
इधर, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शहर में हुए सिख विरोधी दंगे के दौरान हत्या, लूट, डकैती के तीन और मामलों में विशेष जांच दल (एसआइटी) फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगाने की तैयारी में है। इससे पूर्व भी तीन केस एफआर लगाकर बंद किए जा चुके हैं। 36 वर्ष पूर्व दंगों के दौरान शहर में 127 सिखों की हत्या हुई थी। कई घरों में लूटपाट और आगजनी की गई थी। पुलिस ने विभिन्न थानों में हत्या, लूट व डकैती के 40 मुकदमे दर्ज किए थे, जिसमें 29 मामले सुबूत नहीं मिलने पर फाइनल रिपोर्ट लगाकर बंद कर दिए गए।
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