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    सबूतों से छेड़छाड़ की महज आशंका, जमानत देने से इनकार करने का नहीं आधार: दिल्ली HC की अहम टिप्पणी

    Updated: Sun, 13 Apr 2025 02:19 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता को जमानत देते हुए कहा कि सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका जमानत अस्वीकार करने का आधार नहीं है। अदालत ने कहा कि ईडी की जांच पूरी हो चुकी है और सबूतों से छेड़छाड़ का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। अदालत ने 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी और पासपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।

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    सुबूतों से छेड़छाड़ की महज आशंका, जमानत देने से इन्कार करने का नहीं आधार: हाई कोर्ट

    विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा एक टेंडर देने के बदले रिश्वत लेने से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता सहित एक अन्य को जमानत देते हुए अहम टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने कहा कि विश्वसनीय सामग्री के अभाव में महज सुबूतों से छेड़छाड़ की आशंका के आधार पर जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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    अदालत ने कहा कि मामले में ईडी की जांच पूरी हो चुकी है और शिकायत दर्ज हो चुकी है। इतना ही नहीं याचिकाकर्ता द्वारा सूबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश करने के संबंध में कोई सामग्री पेश नहीं की गई। अदालत ने कहा कि सुबूतों से छेड़छाड़ की संभावनाओं को शर्तें लगाकर दूर किया जा सकता है।

    जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी

    उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने याचिकाकर्ता व डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा व अन्य आरोपित अनिल कुमार अग्रवाल को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके व इनती ही राशि के एक जमानती पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।

    अदालत ने साथ ही आरोपितों को अपना पासपोर्ट संबंधित विशेष न्यायाधीश के समक्ष सरेंडर करने व आगे की जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। जगदीश कुमारा अरोड़ा की जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने तर्क दिया कि वह लगातार मामले में गवाह को धमकी दे रहा है और उसे डराने के लिए अपने गुंडे भेजे थे। इतना ही नहीं उसने गवाह के लैपटॉप, फोन और रुपये के लेनदेन से संबंधित दस्तावेजों को नष्ट कर दिया था।

    वहीं, ईडी के तर्कों का विरोध करते हुए जगदीश कुमार अरोड़ा ने तर्क दिया कि उस पर लगे आरोप गलत हैं और उन्होंने तो खुद ही आरोपित से सरकारी गवाह बने तजिंदर पाल सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

    इससे उसके बयान पर संदेश पैदा होता है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने पाया कि यह घटना जनवरी 2023 की है, लेकिन मामले में आरोपित से सरकारी गवाह बने तजिंदर पाल सिंह ने अपने बयान के समर्थन में कोई शिकायत, पुलिस रिपेार्ट या अन्य सामग्री पेश नहीं की है।

    क्या है पूरा मामला?

    यह पूरा मामला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो-मीटर की खरीद से जुड़े टेंडर का है। आरोप है कि फर्जी परफार्मेंश प्रमाण पत्र के आधार पर यह टेंडर एनकेजी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को मिला था। आरोप है कि आरोपित अनिल कुमार अग्रवाल ने न सिर्फ उक्त फर्जी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया था, बल्कि अपराध की आय से सीधे लाभान्वित हुआ था।

    आरोप है कि अनिल कुमार अग्रवाल ने ही टेंडर के बदले आरोपित पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा को रिश्वत दी थी। एनकेजी को यह टेंडर 38.02 करोड़ रुपये में मिला था और डीजेबी से मिले टेंडर में से एनकेजी ने 18.38 करोड़ रुपये सब-कान्ट्रैक्ट के तहत इन्टेगरल स्क्रू इंडस्ट्रीज को 15 नवंबर 2018 करो दिया।

    18.38 करोड़ में से कुछ रुपये अनिल कुमार अग्रवाल ने तजिंदर पाल सिंह के माध्यम से जगदीश कुमार अरोड़ा को रिश्वत देने के लिए इस्तेमाल किए थे। उक्त आरोपों के आधार पर सीबीआई ने छह जुलाई 2022 को मामला दर्ज किया था और सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने 31 जनवरी 2024 को ईसीआईआर की थी। तीन दिसंबर का तजिंदर पाल सिंह मामले में सरकारी गवाह बन गया था।