Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पारिवारिक अदालत के आदेश के खिलाफ 30 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिए अपील याचिका: दिल्ली HC

    By Vineet TripathiEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Thu, 14 Sep 2023 12:38 PM (IST)

    Delhi News दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि पारिवारिक अदालतों की डिक्री या आदेश के खिलाफ अपील डिक्री निर्णय सुनाने के 30 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिए। ...और पढ़ें

    Hero Image
    पारिवारिक अदालत के आदेश के खिलाफ 30 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिए अपील याचिका: हाई कोर्ट

    नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। पारिवारिक अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली एक महिला की याचिका पर महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि पारिवारिक अदालतों की डिक्री या आदेश के खिलाफ अपील डिक्री निर्णय सुनाने के 30 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने नोट किया कि हिंदू विवाह अधिनियम (एचएमए) और परिवार न्यायालय अधिनियम- 1984 के तहत प्रदान की गई सीमा अवधि के बीच स्पष्ट विसंगति है। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने कहा कि संशोधित एचएमए-वर्ष 2003 में अपील के लिए 90-दिन की सीमा अवधि का उल्लेख किया है, जबकि पारिवारिक न्यायालय अधिनियम ने 30-दिन की सीमा अवधि निर्धारित की है।

    ऐसे में अदालत ने माना कि जिला अदालत के अपील योग्य आदेश और डिक्री के खिलाफ अपील दायर करने की सीमा अवधि एचएमए की धारा 28 के तहत निर्दिष्ट 90 दिन की अवधि होगी। हालांकि, जहां भी पारिवारिक अदालतें स्थापित की गई हैं, वहां पारिवारिक न्यायालय अधिनियम- 1984 लागू होगा।

    Also Read-

    विवि में नाबालिग लड़कियों से बनाए संबंध, HC ने फरार आरोपी वीरेंद्र देव के बैंक खाते जब्त करने की दी अनुमति

    HC ने दिल्ली-UP पुलिस को चेताया, बिना मजबूत तथ्य के ना दायर करें याचिका; कोर्ट का समय-पैसा होता है बर्बाद

    अदालत ने कहा कि ऐसे में पारिवारिक न्यायालय अधिनियम की धारा 19 के तहत पारिवारिक अदालत के डिक्री या आदेश के विरुद्ध अपील याचिका 30 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिए।

    अदालत ने उक्त निर्णय एक महिला की अपील याचिका पर दिया। जिसमें महिला ने पारिवारिक अदालत के एचएमए की धारा 13(1) (आइए) के तहत उसके पति की तलाक की याचिका को अनुमति दी थी।

    सुनवाई के दौरान पति प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुए कहा था कि अपील पारिवारिक न्यायालय अधिनियम के तहत परिसीमा द्वारा वर्जित थी।