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    बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री को एकत्र कर वितरित करने के मामले में शख्स दोषी करार

    Updated: Fri, 13 Jun 2025 07:06 PM (IST)

    राउज एवेन्यू कोर्ट ने बाल यौन शोषण मामले में अनुराग शर्मा को दोषी करार दिया। उस पर बाल यौन शोषण से संबंधित सामग्री को एक्सेस करने और डाउनलोड करने का आरोप था। अदालत ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा- 67बी के तहत उसे दोषी पाया। सीबीआई की जांच में उसके लैपटॉप से ऐसी सामग्री वाली कई फाइलें मिली थीं। अदालत अगली सुनवाई में सजा पर बहस सुनेगी।

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    बच्चों को यौन शोषण से जुड़ी सामग्री को एकत्र कर वितरित करने के मामले में व्यक्ति दोषी करार।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बच्चों को यौन शोषण से संबंधित सामग्री को एकत्र करने से लेकर ब्राउज़िंग, डाउनलोडिंग व वितरण में लिप्त आरोपित अनुराग शर्मा को राउज एवेन्यू की मजिस्ट्रेट अदालत ने बाल यौन शोषण दुरुपयोग सामग्री मामले में दोषी करार दिया है।

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    एडिशनल चीफ ज्यूडिशयल मजिस्ट्रेट ज्योति माहेश्वरी ने कहा कि तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए अनुराग को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा- 67बी के तहत दोषी पाया गया है। अदालत ने कहा कि मामले सजा की मात्रा पर अगली सुनवाई पर जिरह सुनी जाएगी। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर मामले को संदेह से परे साबित किया है।

    बाल यौन शोषण दुरुपयोग सामग्री को एक्सेस और डाउनलोड किया

    अदालत ने कहा कि आइटी अधिनियम की धारा-67 बी का उद्देश्य सामग्री के प्रसारण या साझा करने पर बल्कि ऐसी सामग्री को आनलाइन देखने या डाउनलोड करने पर भी दंड लगाना है। सीबीआइ ने 27 अक्टूबर 2016 को एक लिखित शिकायत के आधार पर अनुराग शर्मा के विरुद्ध मामला दर्ज किया था। इसमें संकेत दिया गया था कि आरोपित ने बाल यौन शोषण दुरुपयोग सामग्री को एक्सेस और डाउनलोड किया था।

    जांच से पता चला कि उसके पास से जब्त किए गए लैपटाप की इन-बिल्ट हार्ड डिस्क में ऐसी सामग्री वाली कुल 183 फाइलें पाई गईं। जांच में यह भी सामने आया कि 2015 और 2016 के दौरान अनुराग शर्मा ने इलेक्ट्रानिक रूप में बाल यौन शोषण से संबंधित सामग्री एकत्र करने के साथ ही ब्राउज और डाउनलोड किया, जोकि आइटी अधिनियम की धारा 67बी के तहत अपराध है।

    सीबीआई ने अनुराग के खिलाफ दाखिल किया आरोप पत्र

    सीबीआई ने अनुराग के विरुद्ध दो मई, 2017 को आरोप पत्र दाखिल किया था और 17 जनवरी 2018 को अदालत ने आरोप पत्र पर अपराध का संज्ञान लेकर अनुराग पर आरोप तय किए थे।

    जुलाई 2015 में हुई घटना पर 26 सितंबर 2016 में देरी से प्राथमिकी करने के आरोपित के तर्क को ठुकराते हुए अदालत ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने का मूल्यांकन उस तारीख से किया जाना चाहिए, जब अपराध के बारे में पहली जानकारी संबंधित प्राधिकारी के ध्यान में आती है।

    अदालत ने रिकार्ड पर लिया कि जांच के अनुसार शिकायत में दिए गए आईपी एड्रेस का इस्तेमाल आरोपित द्वारा किया गया था और अपने पिता की मृत्यु के बाद से आरोपित नियमित रूप से सेवा प्रदाता क्लासिक केबल टीवी नेटवर्क को उक्त इंटरनेट कनेक्शन के लिए मासिक किराया दे रहा था। सभी तथ्यों को देखते हुए अदालत ने आरोपित अनुराग शर्मा को दोषी करार दिया।