प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल काम करने की जरूरत: अनुमिता राय चौधरी
प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल काम करने की जरूरत है। इसके लिए प्रदूषण के प्रमुख क्षेत्रों में त्वरित सुधार और कार्रवाई की आवश्यकता है। दिल्ली -एनसीआर के समान ही था। बिहार के छह शहर इस सर्दी में शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक शीतकालीन वायु गुणवत्ता विश्लेषण में सामने आया है कि जाड़े का प्रदूषण अब सिर्फ महानगरीय नहीं बल्कि राष्ट्रीय चुनौती बन रहा है। 2021-22 (15 अक्टूबर से 28 फरवरी) के दौरान सभी क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ा और अलग-अलग तीव्रता के साथ उच्च्च स्तर पर रहा। हालांकि अधिकांश क्षेत्रों में पीएम 2.5 का समग्र क्षेत्रीय औसत पिछली सर्दियों की तुलना में कम था, लेकिन कई क्षेत्रों में धुंध के एपिसोड में गंभीर वृद्धि दर्ज की गई।
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी कहती हैं कि यह विश्लेषण सीएसई की अर्बन डेटा एनालेटिक्स लैब के 2021-22 विंटर एयर क्वालिटी ट्रैकर इनिशिएटिव के लिए किया गया है। प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल काम करने की जरूरत है। इसके लिए प्रदूषण के प्रमुख क्षेत्रों में त्वरित सुधार और कार्रवाई की आवश्यकता है। जैसे - वाहन, उद्योग, बिजली संयंत्र और अपशिष्ट प्रबंधन, वार्षिक वायु प्रदूषण।
यह विश्लेषण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आनलाइन पोर्टल सेंट्रल कंट्रोल रूम फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दानेदार रीयल टाइम डेटा (15 मिनट का औसत) पर आधारित है। 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 161 शहरों में फैले कंटीन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मानिटरिंग सिस्टम के तहत 326 आधिकारिक स्टेशनों से आंकड़े लिए गए हैं।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
- पूर्वी मैदानी इलाकों में पीएम 2.5 का सर्दियों का औसत, जिसमें बिहार के नए निगरानी वाले 19 शहर और कस्बे भी शामिल हैं, दिल्ली -एनसीआर के समान ही था। बिहार के छह शहर इस सर्दी में शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं, जिसमें सीवान और मुंगेर शीर्ष पर हैं। उत्तरी मैदानी इलाकों में गाजियाबाद, दिल्ली, फरीदाबाद और मानेसर सूची में तीसरे, पांचवें, सातवें और दसवें स्थान पर हैं।
- एनसीआर के शहरों ने सबसे गंभीर दैनिक (24-घंटे औसत) पीएम 2.5 का अनुभव किया है, जिसमें गाजियाबाद सबसे ज्यादा प्रभावित है। दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम इस सर्दी में सबसे खराब चरम प्रदूषण (24-घंटे औसत) में से हैं।
- पूर्वी क्षेत्र का पीएम 2.5 सर्दियों का औसत दक्षिणी भारत के शहरों के औसत से तीन गुना अधिक है और उत्तर भारतीय शहरों की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक प्रदूषित है। पूर्व के भीतर, बिहार उप-क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषित है।
- उच्चतम 24-घंटे पीएम 2.5 स्तर के ²ष्टिकोण से, उत्तर भारतीय शहरों में औसत दैनिक प्रदूषण का स्तर उच्चतम दर्ज किया गया है। उत्तर के भीतर, दिल्ली-एनसीआर सबसे प्रदूषित उप-क्षेत्र बना हुआ है, जहां उनके सबसे खराब दिन औसत से लगभग पांच गुना अधिक हैं।
- उत्तर भारतीय शहरों में इस सर्दी में औसतन 11 प्रतिशत कम पीएम 2.5 दर्ज किया गया है, लेकिन दिल्ली एनसीआर के उप-क्षेत्र में सुधार छोटा है - लगभग आठ प्रतिशत। दिल्ली-एनसीआर में भी औसत 24 घंटे के प्रदूषण में मामूली वृद्धि देखी गई। सर्दियों के औसत में समग्र गिरावट के बावजूद दक्षिण के शहरों (24 प्रतिशत) और मध्य भारतीय शहरों (सात प्रतिशत) के बीच बेसलाइन से चरम प्रदूषण में काफी वृद्धि हुई।
- बिहार का सीवान इस सर्दी में भारत का सबसे प्रदूषित शहर था, जिसका मौसमी औसत 187 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। वास्तव में, बिहार के 13 शहर सर्दियों में उच्चतम स्तर वाले शीर्ष 25 शहरों में शामिल हैं। सूची में दिल्ली-एनसीआर के 11 शहर थे। उत्तरी हरियाणा का हिसार बिहार और एनसीआर के उप-क्षेत्रों के बाहर शीर्ष 25 में एकमात्र शहर था।