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    Delhi Anti Smog Tower: जानिये- दिल्ली में लगाए जा रहे सबसे बड़े एंटी स्मॉग टावर की खूबियां, 1 किमी तक हवा होगी साफ

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Fri, 25 Jun 2021 10:03 AM (IST)

    Delhi Anti Smog Tower देश का सबसे बड़ा एंटी स्मॉग टावर आनंद विहार बस अड्डा परिसर में आकार ले चुका है। यह एक किलोमीटर की परिधि में 90 फीसद तक हवा को स्वच्छ करेगा। पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके असर को लोग डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड पर देख सकेंगे।

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    Anti Smog Tower: जानिये- दिल्ली में लगाए जा रहे देश के सबसे बड़े एंटी स्मॉग टावर की खूबियां

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। देश का सबसे बड़ा एंटी स्मॉग टावर आनंद विहार बस अड्डा परिसर में आकार ले चुका है। यह एक किलोमीटर की परिधि में 90 फीसद तक हवा को स्वच्छ करेगा। पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके असर को लोग वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) के रूप में डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड पर देख सकेंगे। टावर के ऊपर एक घड़ी भी लगेगी, जिसकी वजह से दूर से यह घंटाघर की तरह दिखेगा।

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    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की इस परियोजना का निर्माण कर रही टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के सहायक उपाध्यक्ष राजीब मंडल ने बताया कि टावर का काम जुलाई अंत तक पूर्ण हो जाएगा। उसके बाद करीब पंद्रह दिन का परीक्षण होगा। 15 अगस्त तक इसे चालू करने का प्रयास किया जा रहा है। बता दें, आइआइटी बॉम्बे परियोजना में तकनीकी रूप से मदद कर रहा है।

    अमेरिकी डिजाइन पर बनाया

    इस तरह के एंटी स्मॉग टावर अमेरिका में बने हैं। मिनेसोटा विश्वविद्यालय से इस टावर को बनाने का डिजाइन लिया गया है। उनके डिजाइन को भारतीय परिस्थिति के अनुसार तब्दील कर टावर को बनाया गया है। डिजाइन के लिए मिनेसोटा विश्वविद्यालय को रॉयल्टी अदा की गई है।

    प्रति सेकंड 864 घन मीटर हवा होगी स्वच्छ

    एंटी स्मॉग टावर में नीचे 1.40 मीटर व्यास के 40 (चारों तरफ दस-दस) पंखे लगाए गए हैं। ये पंखे टावर के ऊपरी हिस्से से प्रति सेकंड 960 घन मीटर दूषित हवा खीचेंगे। पंखों के आसपास नोवेल ज्योमेट्री फिल्टरेशन सिस्टम (एनजीएफएस) से दो तरह के दस हजार फिल्टर लगेंगे। दूषित हवा उनसे छनने के बाद शुद्ध होकर टावर के निचले हिस्से से बाहर जाएगी। दावा है कि प्रति सेकंड करीब 864 घन मीटर स्वच्छ वायु टावर से बाहर निकलेगा। यह भी बताया गया कि आनंद विहार बस अड्डे के आसपास सर्दियों में पीएम 2.5 का स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक रहता है। इस टावर की मदद से पीएम 2.5 का स्तर को 60 फीसद तक कम होगा।

    स्काडा तकनीक से जांचेंगे दक्षता

    एंटी स्मॉग टावर को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बनाया गया है। एक वर्ष तक केवल इसकी दक्षता जांची जाएगी। टावर में जगह-जगह सेंसर लगाए जाएंगे। उनकी मदद से सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन (स्काडा) तकनीक के माध्यम से सामान्य, गर्मी, सर्दी, आर्द्रता और बारिश के मौसम में एंटी स्मॉग टावर के प्रदर्शन पर नजर रखी जाएगी। सबकुछ निर्धारित लक्ष्य के अनुसार रहा तो इसे सफल मानते हुए देश के विभिन्न शहरों के प्रदूषित इलाकों में ऐसे टावर बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया जाएगा। कमी पाई गई तो उसे दूर किया जाएगा।