पेट्रोल पंपों पर लगे ANPR कैमरे ने किया कमाल, इस साल डेढ़ लाख से अधिक वाहनों का किया चालान
दिल्ली में एएनपीआर कैमरों ने बिना पीयूसीसी वाले वाहनों पर कार्रवाई तेज़ कर दी है। इस साल पिछली साल की तुलना में दोगुने से ज़्यादा चालान काटे गए हैं जिनकी संख्या 1.63 लाख तक पहुँच गई है। कैमरों से लाइसेंस प्लेट की जाँच होती है और पीयूसीसी न होने पर 10000 रुपये का ई-चालान भेजा जाता है। यह प्रणाली परिवहन विभाग के केंद्रीकृत सर्वर से प्रबंधित होती है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। पेट्रोल पंपों पर एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) कैमरा सिस्टम से भले ही उम्र पूरी कर चुके वाहनों को पकड़ने का अभियान रोक दिया गया है, मगर परिवहन विभाग को इसका बड़ा लाभ बगैर पीयूसीसी (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र ) वाले वाहनों को पकड़ने में मिल रहा है।
इस सिस्टम के बाद इस साल पिछले साल की अपेक्षा दोगुने से अधिक चालन काटे गए हैं। आंकड़ों पर जाएं तो इस साल जनवरी से अभी तक दिल्ली में परिवहन विभाग ने 19 जुलाई तक 1,63,000 पीयूसी चालान जारी किए हैं। जबकि 2024 यानी पिछले पूरे साल में इसके आधे ही चालान ही काटे गए थे।
आंकड़ों पर नजर डालें तो 2024 में पूरे साल में 68000 चालान काटे गए थे। इसी तरह 2023 में 36,000 और 2022 में 43,500 चालान जारी किए गए थे। इससे पहले 2021 में 29000 चालान काटे गए थे। विभाग का कहना है कि इस साल अब तक जारी किए गए चालानों की संख्या में तेज़ वृद्धि एएनपीआर कैमरे लगाए जाने के कारण है। इस समय शहर में लगभग 82 लाख वाहन पंजीकृत हैं।
दिल्ली में 520 पेट्रोल पंप हैं, जिसमें से अब सभी पेट्रोल पंपों पर एएनपीआर कैमरे लग चुके हैं। इसमें 382 पेट्रोल व डीजल फ्यूल स्टेशन और 116 सीएनजी स्टेशन शामिल हैं। परिवहन विभाग की मानें तो सभी पंपों पर एेसे वाहन पहुुंच रहे हैं जिनके पास पीयूसीसी नहीं है।
पेट्रोल पंप पर एएनपीआर कैमरे में ऐसे वाहनों के कैद हो जाते हैं और आटोमेटेड सिस्टम से उनका ई-चालान तैयार होकर संबंधित के माेबाइल नंबर पर पहुंचता है। यह चालान 10000 रुपये का निर्धारिित है। परिवहन विभाग ने प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र को लेकर दिल्ली के 100 से अधिक पेट्रोल पंपों पर इन कैमरों को मार्च में ही लगा दिया था। उसी समस ये चालान बढ़ने शुरू हो गए थे।
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पीयूसी चालान केंद्र के वाहन डेटाबेस से जुड़ी एपीआई तकनीक का उपयोग करके बढ़ी है। उन्होंने बताया कि उच्च-रिज़ाल्यूशन वाले एएनपीआर कैमरे ईंधन भरने के लिए आने वाले वाहनों की लाइसेंस प्लेट की जानकारी कैप्चर करते हैं।
इन जानकारियों को केंद्रीय वाहन डेटाबेस के साथ वास्तविक समय में क्रास-रेफ़रेंस किया जाता है ताकि वैध पीयूसी प्रमाणपत्र की जांच की जा सके। अगर किसी वाहन का पीयूसी प्रमाणपत्र समाप्त हो चुका है या गायब है, और पता चलने के एक घंटे के भीतर उसका नवीनीकरण नहीं किया जाता है, तो सिस्टम स्वचालित रूप से ई-चालान जारी कर देता है।
पूरी प्रक्रिया परिवहन विभाग मुख्यालय में स्थित एक केंद्रीकृत सर्वर इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से प्रबंधित की जाती है, जिससे निर्बाध और स्वचालित प्रवर्तन सुनिश्चित होता है। दिल्ली में 966 पीयूसी जांच केंद्र हैं, जहां मामूली शुल्क देकर वाहनों के लिए पीयूसी प्रमाणपत्र जारी कराया जा सकता है।
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