पशुओं के साथ क्रूरता पर दिल्ली हाई कोर्ट ने लैब पर लगाई रोक, सीसीएसईए को निरीक्षण कर रिपोर्ट देने का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने जानवरों के साथ क्रूरता के आरोपों पर एक निजी लैब में पशु परीक्षण पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सीसीएसईए को जानवरों की देखभाल के लिए सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। यह मामला पेटा की याचिका पर सामने आया जिसमें पलामुर बायोसाइंसेज पर क्रूर व्यवहार का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने सीसीएसईए और पलामुर बायोसाइंसेज को नोटिस जारी किया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: हाई कोर्ट ने जानवरों के साथ क्रूरता के आरोपों के चलते एक निजी लैब पर एनिमल टेस्टिंग करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि जानवरों की दशा सुधारने के लिए तत्काल अंतरिम कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने आठ जुलाई को पलामुर बायोसाइंसेज प्राइवेट लिमिटेड की निरीक्षण रिपोर्ट और तस्वीरों का अध्ययन करने के बाद यह आदेश दिया।
कोर्ट ने पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अधीन काम करने वाली कमेटी फाॅर कंट्रोल एंड सुपरविजन ऑफ एक्सपेरिमेंट इन एनिमल्स (सीसीएसईए) को निर्देश दिया कि जानवरों के इलाज और उनकी उचित देखभाल के लिए तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।
बिना बेहोशी उपचार और इच्छा मृत्यु पर लगाएं रोक
कोर्ट ने यह भी कहा कि जानवरों को बिना बेहोशी के उपचार और इच्छा मृत्यु (यूथनेशिया) जैसे तरीकों पर रोक लगाई जाए और उनके लिए उचित आवास की व्यवस्था की जाए।
आदेश में कहा गया, “इस उद्देश्य के लिए उत्तरदाता एक (सीसीएसईए) याचिकाकर्ता के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर एक सप्ताह के भीतर निरीक्षण करें और समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक कदम दो सप्ताह में उठाए जाएं। चार सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाए।
यह मामला पीपल फार द एथिकल ट्रीटमेंट आफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। पेटा ने आरोप लगाया कि पलामुर बायोसाइंसेज प्राइवेट लिमिटेड एक प्रीक्लीनिकल कान्ट्रेक्ट रिसर्च आर्गनाइजेशन और कमर्शियल बीगल डाॅग ब्रीडर है, जहां जानवरों के साथ क्रूर व्यवहार किया जा रहा है।
पेटा का आरोप-सीसीएसईए ने नहीं की कोई कार्रवाई
पेटा के अनुसार, सीसीएसईए द्वारा गठित एक बहु-विषयक समिति ने निरीक्षण कर 17 जून को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पेटा ने कहा कि संस्थान में जानवरों को उचित आवास और पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही है और क्रूर प्रथाएं लगातार जारी हैं।
हाईकोर्ट ने सीसीएसईए और पलामुर बायोसाइंसेज को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई चार अगस्त को निर्धारित की है।
सीसीएसईए के वकील ने कोर्ट को बताया कि 17 जून की निरीक्षण रिपोर्ट में पेटा की आशंकाएं सही पाई गई थीं और इसके बाद संस्था को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं तथा आगे की ऑडिट प्रक्रियाएं चल रही हैं।
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