ट्रेड मार्क उल्लंघन करने के मामले में अमेजन को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत, 340 करोड़ का जुर्माना देने पर रोक
दिल्ली हाई कोर्ट ने अमेज़न टेक्नोलॉजीज को बड़ी राहत देते हुए 340 करोड़ के हर्जाने पर रोक लगा दी है। यह मामला बेवर्ली हिल्स पोलो क्लब ब्रांड के ट्रेडमार्क उल्लंघन से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत का आदेश ठोस तथ्यों पर आधारित नहीं था और अमेज़न की सीधी संलिप्तता का कोई सबूत नहीं है। अगली सुनवाई 9 अक्टूबर 2025 को होगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को अमेजन टेक्नोलाॅजीज इंक को बेवर्ली हिल्स पोलो क्लब ब्रांड के ट्रेडमार्क उल्लंघन के मामले में 340 करोड़ रुपये का हर्जाना और लागत चुकाने के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति सी हरि शंकर और न्यायमूर्ति अजय दिगपाल की पीठ ने कहा कि यह एक असाधारण मामला है, जिसमें यदि अपीलकर्ता को इस राशि को जमा करने या सिक्योरिटी देने के लिए बाध्य किया गया, तो यह न्याय की पूरी तरह अवहेलना होगी।
यह स्पष्ट नहीं कि अमेजन ने उल्लंघन किया
अदालत ने यह भी कहा कि निचली अदालत द्वारा दिया गया आदेश तथ्यों पर आधारित नहीं था, बल्कि ई-उल्लंघन की सामान्य प्रकृति पर केंद्रित था। इसमें यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया कि अमेजन टेक्नोलाॅजीज ने वास्तव में उल्लंघन किया है, बल्कि ऐसा प्रतीत हुआ कि यदि वह करना चाहे तो कर सकती थी।
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस पूरे मामले में अमेजन की सीधी संलिप्तता को लेकर कोई ठोस दावा या सबूत पेश नहीं किया गया। अदालत ने कहा कि यह केवल एक ऐसा मामला नहीं है जिसमें बिना ठोस निष्कर्ष के हर्जाना तय कर दिया गया, बल्कि यह ऐसा मामला है जहां ऐसी कोई पुख्ता दलील या आरोप भी नहीं है।
अब इस मामले में अमेजन की मुख्य अपील पर सुनवाई नौ अक्टूबर 2025 को होगी। अमेजन ने अपनी अपील याचिका में एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अमेजन को 39 मिलियन डालर (लगभग 340 करोड़ रुपये) हर्जाना अदा करने को कहा गया था।
जानिए क्या था पूरा मामला
वर्ष 2020 में लाइफस्टाइल इक्वीटीज नामक कंपनी ने अमेजन टेक्नोलाजीज और अन्य के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। शिकायत में कहा गया था कि अमेजन ने बेवर्ली हिल्स पोलो क्लब ब्रांड के पंजीकृत ट्रेडमार्क और लोगो का धोखाधड़ीपूर्ण रूप से मिलते-जुलते चिन्हों के साथ इस्तेमाल कर कपड़े और अन्य उत्पाद बेचे हैं।
लाइफस्टाइल का आरोप था कि अमेजन ने सिंबल नामक ब्रांड के तहत ऐसे उत्पादों का निर्माण और बिक्री की, जिन पर विवादित चिह्न मौजूद थे। साथ ही क्लाउडटेल इंडिया, जो अमेजन डाट इंक पर संचालित होता है, उस पर भी इन उत्पादों की बिक्री में शामिल होने का आरोप लगाया गया।
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