बटला हाउस में चलेगा DDA का बुलडोजर, दिल्ली हाईकोर्ट ने राहत देने से किया इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने बटला हाउस क्षेत्र में डीडीए की ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ अमानतुल्लाह खान की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि पीड़ित कानूनी उपायों का लाभ उठा सकते हैं। अदालत ने खान को निवासियों को उनके अधिकारों के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया। खान ने भूमि सीमांकन पर सवाल उठाया जबकि डीडीए ने कहा कि कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: बटला हाउस क्षेत्र में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट ने राहत देने से बुधवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया व न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ ने मामले को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज करने की बात की।
अदालत के रुख को देखते हुए आप विधायक अमानतुल्ला खान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने याचिका वापस लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया। अनुरोध को स्वीकार करते हुए अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
वकील ने कहा- सीमांकन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप नहीं किया
पीठ ने कहा कि कुछ पीड़ित व्यक्तियों ने कानूनी उपायों का लाभ उठाया है और कुछ को राहत भी मिली है। याचिकाकर्ता एक सामाजिक व्यक्ति हैं।
ऐसे में वह बटला हाउस क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को तीन कार्य दिवसों के भीतर उचित मंच के समक्ष उचित कार्यवाही दायर करने के उनके अधिकार के बारे में सूचित करें।
सुनवाई के दौरान अमानतुल्लाह खान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि विचाराधीन भूमि का सीमांकन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप नहीं किया गया।
सात मई को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का आदेश मिला था
सर्वोच्च न्यायालय ने सात मई को डीडीए को खसरा संख्या 279 में अनधिकृत संरचनाओं को ध्वस्त करने का आदेश दिया।
यह भूमि ओखला गांव में मुरादी रोड के किनारे लगभग 2.8 बीघा या 0.702 हेक्टेयर होने का अनुमान है। खुर्शीद ने कहा कि अधिकारी निर्दोष व्यक्तियों की संपत्ति भी ध्वस्त कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि डीडीए ने कारण बताओ नोटिस जारी कर कई परिसरों के बाहर एक सामान्य नोटिस चिपका दिया, जो खसरा संख्या 279 में आते ही नहीं हैं।
डीडीए ने कहा- जनहित याचिका विचार करने योग्य नहीं
वहीं, डीडीए की तरफ से पेश हुईं वकील शोभना टाकियार ने तर्क दिया कि सर्वोच्च न्यायालय के विशिष्ट निर्देश को देखते हुए जनहित याचिका विचारणीय नहीं है।
नोटिस में केवल पीड़ित लोगों को ही उचित कानूनी उपाय अपनाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि डीडीए ने उक्त नोटिस सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में थे और इसमें जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था।
खान के वकील ने कहा- सीमांकन करने ही है मांग
वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बाहर कुछ भी मांग नहीं कर रहे हैं। कहा कि मेरे मुवक्किल की मांग है कि इलाके का सीमांकन किया जाए क्योंकि अगर एक बार ध्वस्तीकरण शुरू हो गया तो फिर कुछ नहीं हो सकेगा।
इस संबंध में प्रविवेदन दिया गया था, लेकिन इस पर डीडीए ने सुनवाई नहीं की। लोगों के घरों की बिजली काटी जा रही है और ध्वस्तीकरण किया जा रहा है।
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