कोरोना संकट के बाद महानगरों में तेजी से बढ़ा वायु प्रदूषण, दिल्ली और मुंबई के बीच 4 गुना का अंतर
इंटरनेशनल डे आफ क्लीन एयर फार ब्लू स्काई पर जारी रिपोर्ट में दिल्ली और मुंबई के बीच तकरीबन 4 गुना का अंतर मिला है। दिल्ली में वायु प्रदूषण में वृद्धि 13 प्रतिशत तो मुंबई में सर्वाधिक 48 प्रतिशत तक है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। कोविड संकट के बाद देश के प्रमुख महानगरों में तेजी से प्रदूषण बढ़ा है। दिल्ली में यह वृद्धि 13 प्रतिशत तक है, जबकि मुंबई में सर्वाधिक 48 प्रतिशत तक है। केवल एक चेन्नई ही ऐसा शहर है जहां कोविड के बाद प्रदूषण के स्तर में गिरावट हुई है।यह जानकारी सामने आई है सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) के एक विश्लेषण में।
''इंटरनेशनल डे आफ क्लीन एयर फार ब्लू स्काई पर जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु प्रोग्राम (एनसीएपी) में शामिल और इसमें नहीं शामिल शहरों में स्थिति लगभग एक जैसी है। इन दोनों ही श्रेणियों के शहरों में प्रदूषण के स्तर में खास अंतर नहीं आया है।
इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि देश के सभी प्रमुख महानगरों में कोविड के दौरान यानी वर्ष 2020 में लागू पाबंदियों के चलते प्रदूषण के स्तर में कमी आई थी। वहीं, कड़े प्रतिबंधों के समाप्त होते ही स्थिति लगभग पहले जैसी ही हो गई है।
मुंबई में तेजी से बढ़ा प्रदूषण
इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 की तुलना में दिल्ली में वर्ष 2020 में प्रदूषण के स्तर में 13 प्रतिशत की गिरावट आई थी। लेकिन वर्ष 2021 में फिर से 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई। यानी स्थिति पहले के स्तर पर ही पहुंच गई। अन्य महानगरों की बात करें तो मुंबई में कोविड के बाद प्रदूषण के स्तर में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
महानगरों में अधिक बढ़ा प्रदूषण
मुंबई में वर्ष 2019 में प्रदूषक कण पीएम 2.5 का वार्षिक स्तर 30 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा था। कोविड के समय इसमें सुधार हुआ और यह स्तर 23 पर आ गया। लेकिन 2021 में यह स्तर बढ़कर 34 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर पहुंच गया। यानी इसमें 48 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। यह महानगरों में सबसे ज्यादा वृद्धि है।
रिपोर्ट बताती है कि देश के बड़े शहरों में केवल चेन्नई शहर ऐसा है जहां पर कोविड के बाद प्रदूषण में कमी दर्ज की गई है। चेन्नई में वर्ष 2019 में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 45 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा था। जबकि, वर्ष 2020 में यह स्तर घटकर 33 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर आ गया।
बता दें कि वर्ष 2021 में जहां सभी शहरों में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन, चेन्नई एकमात्र ऐसा शहर है जहां पर प्रदूषण के स्तर में 23 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके पीछे अच्छी बारिश और मौसम के कारकों को ज्यादा जिम्मेदार माना जा रहा है।