Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Air pollution In Delhi: दिल्लीवासियों की उम्र घटा रहा वायु प्रदूषण, 'जहरीली हवा से' कम हो जाएंगे 11.9 वर्ष

    Air pollution In Delhi इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण की वजह से एनसीआर में रहने वाले लोगों की उम्र औसतन 11.9 वर्ष तक घट रही है जबकि वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 10 वर्ष का था। पूरे भारत में एक भी जगह ऐसी नहीं है जो स्वच्छ हवा के मानकों पर खरी उतरती हो। विश्व रैकिंग की बात करें तो बांग्लादेश दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित देश है।

    By sanjeev GuptaEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Tue, 29 Aug 2023 08:47 AM (IST)
    Hero Image
    Air pollution In Delhi : दिल्लीवासियों की उम्र घटा रहा वायु प्रदूषण

    नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Air pollution In Delhi : दावे भले जो किए जाएं, लेकिन कड़वा सच यही है कि वायु प्रदूषण अब नासूर बन गया है। यह सिर्फ सर्दी के मौसम की नहीं, सालभर रहने वाली समस्या बन चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सबसे बुरी स्थिति राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की है। शिकागो यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार रिपोर्ट एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स-2023 इस संबंध में भयावह तस्वीर प्रस्तुत करती है।

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हाल, सबसे बेहाल

    रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया का दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित देश और दिल्ली सर्वाधिक प्रदूषित शहर है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ज्यादा प्रदूषण लोगों की उम्र पर कितना असर डाल रहा है।

    एनसीआर का हाल सबसे बेहाल: रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण की वजह से एनसीआर में रहने वालों की उम्र औसतन 11.9 वर्ष तक घट रही है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 10 वर्ष का था।

    अगर पूरे भारत की बात करें, तो प्रदूषण के कारण लोगों की औसत उम्र में 5.3 वर्ष की कमी आई है। वर्ष 2022 की तुलना में यह आंकड़ा भी तीन माह बढ़ गया है, पहले यह आंकड़ा पांच वर्ष का था।

    इसका मतलब यह है कि अगर आप सामान्य परिस्थितियों में 70 वर्ष जीते हैं, तो दिल्ली में रहने वाला व्यक्ति प्रदूषण के कारण लगभग 58 वर्ष तक ही जी पाएगा, जबकि भारत के दूसरे हिस्से में रहने वाला व्यक्ति 70 वर्ष जीने की जगह लगभग 64.5 वर्ष तक ही जी सकेगा।

    भारत में कहीं नहीं है स्वच्छ हवा

    रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे भारत में एक भी जगह ऐसी नहीं है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वच्छ हवा के मानकों पर खरी उतरती हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पीएम 2.5 का स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से कम होना चाहिए जबकि भारत में 67.4 प्रतिशत आबादी ऐसी जगह रहती है जो भारत के खुद के बनाए हुए मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से भी ज्यादा प्रदूषण को झेल रही है और इसीलिए इस आबादी पर सबसे ज्यादा खतरा है।

    बांग्लादेश पहले और नेपाल तीसरे नंबर पर

    विश्व रैकिंग की बात करें तो बांग्लादेश दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित देश है। नेपाल तीसरे, पाकिस्तान चौथे व मंगोलिया पांचवें नंबर पर है।

    दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश, तीसरे नंबर पर हरियाणा

    शिकागो यूनिवर्सिटी की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली में पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 126.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। दूसरा नंबर उत्तर प्रदेश का है, जहां पीएम 2.5 का स्तर 96.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।

    तीसरा नंबर हरियाणा का है जहां पीएम 2.5 का स्तर 90.1 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। चौथे नंबर पर बिहार में पीएम 2.5 का स्तर 86.2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। पांचवें नंबर पर पंजाब आता है, जहां पीएम 2.5 का स्तर 70.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।

    रिपोर्ट में सामने आई कुछ अन्य प्रमुख बातें

    • जीवन प्रत्याशा के संदर्भ में मापे जाने पर, पार्टिकुलेट प्रदूषण (सूक्ष्म कणों से होने वाला प्रदूषण) भारत में मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इससे भारतीयों का औसत जीवन 5.3 वर्ष कम हो जाता है। इसके विपरीत, हृदय संबंधी बीमारियों से औसत जीवन प्रत्याशा लगभग 4.5 वर्ष कम हो जाती है, जबकि बाल और मातृ कुपोषण से जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष घट जाती है।
    • समय के साथ पार्टिकुलेट प्रदूषण में वृद्धि हुई है। 1998 से 2021 तक, पार्टिकुलेट प्रदूषण में 67.7 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है, जिससे औसत जीवन प्रत्याशा 2.3 वर्ष कम हो गई। 2013 से 2021 के बीच भारत में बढ़े प्रदूषण के कारण पूरी दुनिया के प्रदूषण में 59.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
    • देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्र - उत्तरी मैदान में 52.12 करोड़ निवासी या भारत की 38.9 प्रतिशत आबादी रहती है। यदि प्रदूषण का वर्तमान स्तर बरकरार रहता है तो इस आबादी की जीवन प्रत्याशा में डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश के सापेक्ष औसतन आठ साल व राष्ट्रीय मानक के सापेक्ष 4.5 साल की कमी का खतरा है।
    • यदि भारत डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश के अनुरूप पार्टिकुलेट प्रदूषण कम करना लेता है, तो भारत की राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाले शहर दिल्ली के निवासियों की जीवन प्रत्याशा 11.9 वर्ष बढ़ जाएगी। इसी तरह उत्तरी 24 परगना, देश का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला जिला, के निवासियों की जीवन प्रत्याशा में 5.6 वर्ष की वृद्धि होगी।