एम्स विकसित करेगा AI टूल, ऐसे मिलेगी मोबाइल और इंटरनेट की लत से छुटकारा
एम्स का यह केंद्र आईआईटी दिल्ली के सहयोग से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल विकसित करेगा जो स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों और युवाओं को मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा।हालांकि इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल से ऑनलाइन गेम की बढ़ती लत को देखते हुए एम्स ने वर्ष 2017 में बिहेवियरल एडिक्शन क्लीनिक की शुरुआत की थी। स्कूल और कॉलेज के छात्र मोबाइल की लत से ग्रसित हैं।

राज्य ब्यूरो जागरण, नई दिल्ली। मोबाइल और इंटरनेट की लत तेजी से बढ़ रही है। खासकर बच्चों और युवाओं के लिए यह बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनकर उभर रही है। इसे देखते हुए इंटरनेट की लत और इसकी रोकथाम पर शोध के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) के सहयोग से एम्स में अत्याधुनिक शोध केंद्र सीएआर-एबी (सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन एडिक्टिव बिहेवियर) की स्थापना की जाएगी।
बच्चों को मोबाइल की लत से मिलेगी छुटकारा
एम्स का यह केंद्र आईआईटी दिल्ली के सहयोग से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल विकसित करेगा जो स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों और युवाओं को मोबाइल की लत से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा।
2017 में क्लीनिक की शुरुआत
हालांकि, इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल से ऑनलाइन गेम की बढ़ती लत को देखते हुए एम्स ने वर्ष 2017 में बिहेवियरल एडिक्शन क्लीनिक की शुरुआत की थी। तब से इस क्लीनिक में इंटरनेट, मोबाइल, ऑनलाइन-ऑफलाइन गेम आदि की लत से ग्रस्त मरीजों का इलाज किया जाता है।
देश का पहला ऐसा केंद्र
इस बिहेवियरल एडिक्शन क्लीनिक के प्रभारी प्रोफेसर डॉ. यतन पाल सिंह बलहारा ने बताया कि आईसीएमआर ने शोध केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। यह देश का पहला ऐसा केंद्र होगा। यह केंद्र इंटरनेट व मोबाइल की लत के कारणों और इससे बचाव के उपायों को विकसित करने के लिए शोध करेगा।
इसी वजह से सात साल के स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर 26 साल के कॉलेज जाने वाले युवाओं पर शोध किया जाएगा।
देश में 20 से 22 फीसदी छात्र ग्रसित
उन्होंने कहा कि एम्स समेत देश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में हुए कई अध्ययनों को मिलाकर किए गए समीक्षा अध्ययन के अनुसार, देश में 20 से 22 फीसदी स्कूली और कॉलेज के छात्र मोबाइल की लत से ग्रसित हैं। इसके कारण कई बच्चों में मानसिक तनाव, अवसाद, चिंता जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
स्वास्थ्य पर पड़ता है असर
इसका असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ता है। इसका कारण यह है कि बच्चे घंटों ऑनलाइन गेम या वीडियो देखने में व्यस्त रहते हैं।
बच्चों में इंटरनेट की लत की बढ़ती समस्या को लेकर भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण (वर्ष 2024-25) में भी चिंता जताई गई है और कहा गया है कि इसके कारण बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या बढ़ेगी।
एम्स में सीएआर-एबी की स्थापना को मंजूरी
इसे देखते हुए आईसीएमआर ने एम्स में सीएआर-एबी की स्थापना को मंजूरी दी है। ताकि रोकथाम और इलाज के लिए साक्ष्य आधारित तकनीक विकसित की जा सके। यह सेंटर दो-तीन महीने में सक्रिय हो जाएगा।
इस सेंटर में आईआईटी दिल्ली और अन्य चिकित्सा संस्थानों के सहयोग से शोध भी किया जाएगा और इंटरनेट की लत की जांच और जल्द पहचान की तकनीक विकसित की जाएगी।
मानसिक अवसाद जैसी समस्याओं से छुटकारा
एक बार तैयार हो जाने पर यह AI टूल इंटरनेट और मोबाइल की लत को रोकने का तरीका बताएगा। इसके अलावा यह तनाव और मानसिक अवसाद जैसी समस्याओं को सुलझाने में भी मदद करेगा।
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