अब एम्स में नहीं खोएगी आपकी मेडिकल फाइल, मरीजों का डेटा डिजिटल होने पर एक क्लिक में मिलेगा रिकार्ड
एम्स अब पूरी तरह डिजिटल होने जा रहा है जिससे मरीजों को मेडिकल फाइलें ऑनलाइन मिल सकेंगी। निदेशक ने 18 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है जो तीन महीने में टेंडर जारी करने का निर्देश दिया गया है। अभी ओपीडी अप्वाॅइंटमेंट व लैब जांच ऑनलाइन उपलब्ध हैं लेकिन डिजिटल रिकॉर्ड तैयार नहीं होते। इस बदलाव से मरीजों को काफी सुविधा मिलेगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण, नई दिल्ली: सूचना तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल से डिजिटल डेटा स्टोर रखने और जरूरत पड़ने पर उसे एक क्लिक पर निकाल पाना आसान हो गया है।
फिर भी बड़े सरकारी अस्पतालों में गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों की मेडिकल फाइलें आज भी संभालकर रखना और ओपीडी में मरीज के पहुंचने पर उसे ढूंढना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
यह कई बार मरीजों के लिए परेशानी का कारण भी बनता है। इसके मद्देनजर एम्स अब पूरी तरह डिजिटल व कागज रहित बनेगा। मरीजों की मेडिकल फाइल भी डिजिटल तैयार होगी, जो आसानी से उपलब्ध होगी।
एम्स निदेशक ने टेंडर प्रक्रिया पूरी करने का दिया निर्देश
इसके लिए एम्स के निदेशक ने हाल ही में 18 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की है। इस समिति को तीन महीने में संस्थान की जरूरतों का खाका तैयार कर टेंडर प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया है।
इस समिति में एम्स के डाॅक्टरों, सूचना तकनीक के विशेषज्ञों के अलावा निम्हांस, सीएसआईआर (काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च), इलेक्ट्राॅनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय व डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) के प्रतिनिधि भी शामिल किए गए हैं।
वैसे एम्स में अभी ओपीडी अप्वाॅइंटमेंट, ओपीडी पंजीकरण व लैब जांच की रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध होती है। अस्पताल में भर्ती मरीजों की डिस्चार्ज समरी भी ऑनलाइन तैयार होने लगी है।
अभी रेडियोलाजी जांच रिपोर्ट मरीजों को ऑनलाइन नहीं मिलती
समिति में शामिल एक वरिष्ठ डाॅक्टर ने बताया कि अस्पताल से संबंधित कई सेवाएं अब भी डिजिटल नहीं है। एमआरआई, सीटी स्कैन जैसी रेडियोलाजी जांच की रिपोर्ट मरीजों को अभी ऑनलाइन नहीं मिलती।
एम्स की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 13,500 मरीज पहुंचते हैं। इसके अलावा 1200 से अधिक मरीज भर्ती होते हैं। विभिन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों का लंबे समय तक इलाज चलता है।
इस वजह से कैंसर, कार्डियोलाजी सहित कई विभागों के मरीजों की ओपीडी पंजीकरण के साथ-साथ बाकायदा फाइल तैयार होती है। इस फाइल में मरीज की बीमार, जांच, दवाओं इत्यादि का पूरा रिकार्ड लिखा होता है।
फाइलों को संभालकर रखना आसान नहीं होता
मेडिकल रिकार्ड विभाग द्वारा इन फाइल को संभालकर रखना पड़ता है। ओपीडी में फालोअप के लिए पहुंचने पर मरीज की उस फाइल को निकालना पड़ता है। इन फाइलों को संभालकर रखना आसान नहीं होता।
फाइलों के ढेर में कई बार किसी मरीजों की फाइल गुम हो जाने पर उसे ढूंढना मुश्किल होता है। इससे मरीज भी परेशान होते हैं। इसके मद्देनजर एम्स को वैश्विक मानकों के अनुसार डिजिटल बनाने की पहल की गई है।
पहले अस्पतालों अपनाई जा रही तकनीक की जानकारी जुटाई जाएगी
समिति पहले दुनिया भर में अस्पतालों में अपनाई जा रही डिजिटल व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक की जानकारी जुटाएगी।
इसके बाद एम्स को डिजिटल व कागज रहित बनाने की प्रक्रिया शुरू करेगी। इससे डिजिटल पर्ची व फाइल तैयार हो सकेगी। इससे कागज की फाइल बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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