शिुशओं में मिर्गी की गंभीर बीमारी में कीटोजेनिक आहार असरदार, AIIMS के क्लीनिकल शोध में आया उत्साहजनक परिणाम
एम्स के डाक्टरों ने आइईएसएस से पीड़ित बच्चों पर किए शोध में पाया कि कीटोजेनिक आहार हार्मोनल इंजेक्शन की तुलना में अधिक फायदेमंद है। वेस्ट सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के इलाज में यह आहार सुरक्षित पाया गया है। इस शोध में कीटोजेनिक आहार लेने वाले बच्चों में ऐंठन की समस्या कम हुई और बीमारी की पुनरावृत्ति भी नहीं हुई।

रणविजय सिंह, नई दिल्ली: शिशुओं में खास तरह की मिर्गी की बीमारी इन्फेंटाइल एपिलेप्टिक स्पाज्म सिंड्रोम (आइईएसएस) के इलाज में कीटोजेनिक आहार असरदार है।
इस बीमारी को वेस्ट सिंड्रोम भी कहा जाता है। इस बीमारी के शुरुआती इलाज में महंगे हार्मोनल इंजेक्शन की जगह कीटोजेनिक आहार का इस्तेमाल भी प्रभावकारी परिणाम दे सकता है।
एम्स के पीडियाट्रिक विभाग के न्यूरोलाजी डिविजन की प्रभारी प्राफेसर डाॅ. शेफाली गुलाटी के नेतृत्व में किए गए क्लीनिकल शोध में यह बात सामने आई है।
कीटोजेनिक आधार अधिक फायदेमंद मिला
इस अध्ययन में हार्मोनल इंजेक्शन एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (एसीटीएच) की तुलना में कीटोजेनिक आहार अधिक फायदेमंद व सुरक्षित पाया गया।
एम्स के डॉक्टरों का यह शोध पीडियाट्रिक न्यूरोलाजी में प्रकाशित भी हुआ है। डाॅ. शैफाली ने कहा कि वेस्ट सिंड्रोम जेनेटिक कारण, मस्तिष्क से संबंधित परेशानी व बर्थ एसफिक्सिया के कारण होती है।
जन्म के समय पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाने व सांस अवरोध के कारण बर्थ एसफिक्सिया की समस्या होती है, जो छोटे बच्चों में वेस्ट सिंड्रोम का भी कारण बनता है। यह खास तरह की मिर्गी होती है।
कई बार माता-पिता कर देते हैं नजरअंदाज
इस बीमारी के कारण छोटे बच्चों के शरीर की मांसपेशियों में ऐंठन होने के कारण वे अचानक चौंक जाते हैं। कई बार माता-पिता भी उसे नजरअंदाज कर देते हैं।
यदि बच्चे चौंकने जैसी आदत बार-बार दिखे तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह वेस्ट सिंड्रोम बीमारी का लक्षण हो सकता है। इस बीमारी के कारण बच्चों के मस्तिष्क का विकास प्रभावित होता है।
इसके इलाज के पहले चरण में एसीटीएच इंजेक्शन लगाया जाता है, जो महंगा होता है। मिर्गी के इलाज में कीटोजेनिक आहार का अच्छा प्रभाव पाया गया है।
ट्रायल का परिणाम उत्साहजनक मिला
इसी क्रम में वेस्ट सिंड्रोम के इलाज में भी इसका प्रभाव जानने के लिए ट्रायल किया। जिसका परिणाम उत्साहजनक है।
इस शोध के लिए वर्ष 18 अप्रैल 2022 से एक अप्रैल 2023 के बीच छह सप्ताह से छह माह तक के 178 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई।
जिसमें से 83 बच्चे अध्ययन में शामिल हुए। 41 बच्चों को एसीटीएच इंजेक्शन व 42 बच्चों को कीटोजेनिक आहार दिया गया।
ऐंठन की समस्या में 66.7 प्रतिशत की कमी आई
छह माह तक ट्रायल के दौरान पाया गया कि जिन बच्चों को एसीटीएच दिया गया उनमें शरीर में ऐंठन की समस्या 66.7 प्रतिशत कम हुई। वहीं कीटोजेनिक आहार पाने वाले बच्चों में यह समस्या 76.6 प्रतिशत कम हुई।
एसीटीएच वर्ग के 38.9 प्रतिशत बच्चों में बीमारी की पुनरावृत्ति देखी गई। कीटोजेनिक आहार पाने वाले बच्चों में ऐसी समस्या नहीं हुई। इसके अलावा एसीटीएच के कारण 95.1 प्रतिशत बच्चों में कम से कम एक दुष्प्रभाव देखा गया।
कीटोजेनिक आहर पाने वाले 59.5 बच्चों में ही इस तरह इस तरह समस्या देखी गई। शोध में कहा गया है कि वेस्ट सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के शुरुआती चरण के इलाज में कीटोजेनिक आहार हार्मोनल इंजेक्शन से कम प्रभावी नहीं है।
कीटोजेनिक में वसा युक्त अहार अधिक होता है
इस बीमारी से पीड़ित जिन बच्चों में हार्मोनल इंजेक्शन से फायदा नहीं होता उन्हें भी कीटोजेनिक आहर देकर इलाज का प्रयास किया जा सकता है।
डाॅ. शेफाली गुलाटी ने कहा कि कीटोजेनिक आहार में वसा युक्त आहार अधिक दिया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन युक्त आहार कम दिया जाता है।
बीमारी की गंभीरता के अनुसार हर पीड़ित बच्चे के लिए अस्पताल में अलग से कीटोजेनिक आहार का चार्ट तैयार करके दिया जाता है।
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