जटिल कैंसर की सर्जरी में अब मदद करेगा AIIMS का 'दा विंची' रोबोट, ट्रायल में 100 सर्जरी रहीं सफल
दिल्ली एम्स ने डॉ. भीम राव अंबेडकर इंस्टीट्यूट में दा विंची रोबोट लांच किया जो रोबोटिक सर्जरी की उन्नत तकनीक है। यह मलाशय ग्रासनली और स्त्री रोग संबंधी कैंसर में मददगार है। ट्रायल में 100 से अधिक सर्जरी सफल रहीं। सर्जनों को बेहतर दृश्यता और रोगियों को कम दर्द के साथ तेजी से रिकवरी का लाभ मिलेगा। एम्स दिल्ली अब कैंसर सर्जरी के लिए नए मानक स्थापित कर रहा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एम्स दिल्ली ने डा. भीम राव अंबेडकर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हास्पिटल के सर्जिकल आंकोलाजी विभाग में शनिवार को उन्नत रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत करते हुए 'दा विंची' रोबोट लांच किया गया। यह रोबोटिक तकनीक मलाशय, ग्रासनली, अग्न्याशय और स्त्री रोग संबंधी कैंसर से जुड़े जटिल मामलों में सर्जन की मदद करेगा।
लांच से पहले ही ट्रायल के तौर पर इसके सहयोग से 100 से अधिक मरीजों की सर्जरी भी की गई, जिसके परिणाम बहुत ही सकारात्मक रहे। बढ़ती मांग और सर्जरी में सटीकता को देखते हुए मरीजों के लिए इसे शुरू कर दिया गया है।
सर्जिकल आंकोलाजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि इस पद्धति से रोगियों को अक्सर छोटे चीरे, कम रक्त हानि, कम दर्द, तेज रिकवरी और कम जटिलताओं का लाभ मिलता है, जिससे उन्हें स्वस्थ होकर जल्दी घर लौटने में मदद मिलती है। दा विंची प्रणाली से सर्जनों को बेहतर दृश्यता, नियंत्रण और सटीकता भी प्राप्त हो रही है।
इस कार्यक्रम के साथ एम्स दिल्ली सार्वजनिक क्षेत्र में आंकोलाजी सर्जरी के लिए नए मानक स्थापित कर रहा है। साथ ही देशभर के लोगों के लिए अत्याधुनिक उपचार तक पहुंच को सुगम बना रहा है। भविष्य में विभाग परिणामों का दस्तावेजीकरण करके अनुसंधान में योगदान देकर और व्यापक सर्जिकल समुदाय के साथ सीख साझा करके इस गति को और आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है।
चुनौतीपूर्ण कैंसर सर्जरी भी अब सटीकता के साथ
विभाग में दा विंची का उपयोग करके विभिन्न प्रकार की कैंसर सर्जरी करने के लिए पांच प्रशिक्षित सर्जन कार्यरत हैं। इनमें मलाशय, ग्रासनली, अग्न्याशय, यूरोलाजी और स्त्री रोग संबंधी कैंसर से जुड़े जटिल मामले शामिल हैं, जहां सटीकता नितांत आवश्यकता है।
यह प्रणाली विशेष रूप से अत्यंत कम मलाशय सर्जरी, अग्नाशय के कैंसर के लिए व्हिपल की प्रक्रियाएं (एक जटिल सर्जरी है जिसमें अग्न्याशय के शीर्ष, ग्रहणी, पित्ताशय और पित्त नली का एक हिस्सा हटाया जाता है) और उन्नत छाती के आपरेशन जैसी जटिल प्रक्रियाओं के लिए उपयोगी है। इस क्षमता के साथ विभाग अब कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण कैंसर सर्जरी को भी सटीकता के साथ कर सकता है।
संस्थान को प्रशिक्षण के लिए 11 सितंबर को मिला था
एम्स के कौशल, ई-लर्निंग और टेलीमेडिसिन सुविधा (एसईटी) में प्रशिक्षण के लिए 11 सितंबर को 'दा विंची' सर्जिकल रोबोट लाया गया। एक समझौता ज्ञापन के तहत इंट्यूटिव सर्जिकल्स की ओर से रोबोटिक-सहायता प्राप्त सर्जरी में प्रशिक्षण के लिए प्रदान किया गया था। एम्स नई दिल्ली देश का एकमात्र संस्थान है जिसके पास केवल प्रशिक्षण के लिए दो सर्जिकल रोबोट हैं। मेडट्रानिक्स द्वारा प्रदान किया गया एक ह्यूगो प्रशिक्षण रोबोट पहले से ही एसईटी सुविधा केंद्र में मौजूद था। एसईटी सुविधा का उपयोग एम्स और अन्य संस्थानों के प्रशिक्षुओं और संकाय सदस्यों को ट्रेनिंग देने में किया जाता है।
देशभर में कैंसर के मामलों में वृद्धि होने के साथ सटीकता-आधारित उपचारों की मांग भी बढ़ रही है। एम्स दिल्ली कुछ सबसे जटिल मामलों के लिए एक रेफरल केंद्र के रूप में कार्य करता रहा है, जहां यह तकनीक एक सार्थक बदलाव ला सकती है। इन सर्जरी को निशुल्क प्रदान करके एम्स यह सुनिश्चित कर रहा है कि उच्च-संख्या वाले सरकारी अस्पतालों में उन्नत कैंसर उपचार किफायती स्तर पर उपलब्ध हो और रोगियों के लिए वित्तीय बाधाएं न हों। - डॉ. एम श्रीनिवास, निदेशक, एम्स-दिल्ली
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