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    RNA Virus को मिलने वाला Protein रोककर होगा Dengue का सफाया, AIIMS के डॉक्टरों का शोध में दावा

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 08:59 PM (IST)

    एम्स के बायोटेक्नोलाॅजी विभाग के शोध में डेंगू वायरस को खत्म करने का नया तरीका सामने आया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरस के रेप्लिकेशन को रोकने के लिए कोशिका के भीतर प्रोटीन बाइंडिंग और माइक्रो आरएनए के गठजोड़ को तोड़ना जरूरी है। इस शोध से डेंगू के खिलाफ प्रभावी वैक्सीन बनाने में मदद मिल सकती है क्योंकि वर्तमान में उपलब्ध वैक्सीन की अपनी सीमाएं हैं।

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    एम्स ने दिखाई डेंगू वायरस के खात्मे की राह।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। डेंगू के खिलाफ कोई कारगर वैक्सीन इस वजह से नहीं बन पा रही है, क्योंकि अब तक इसके कोशिका में एंट्री को ही लक्षित किया जाता रहा।

    जबकि कोशिका के भीतर प्रोटीन बाइंडिंग और माइक्रो आरएनए के बीच के गठजोड़ को तोड़कर वायरस के रेप्लिकेशन को रोका जा सकता है।

    AIIMS के बायोटेक्नोलाॅजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डाॅ. भूपेंद्र वर्मा के निर्देशन में पीएचडी छात्रा अंजलि सिंह व सौम्या सिन्हा ने अपने हालिया शोध में साबित किया है। इसे अमेरिका के जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलाजी ने सात अगस्त को प्रकाशित किया है।

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    डेंगू घातक आरएनए वायरस है, जिसके चार अलग-अलग सीरोटाइप हैं। किसी एक टाइप का संक्रमण होने पर व्यक्ति स्वत: ठीक भी हो जाता है। पर बाद में अन्य तीन में से किसी एक भी प्रकार के सीरोटाइप का संक्रमण होने पर यह बेहद घातक हो जाता है।

    इस साल जून 2025 तक दुनिया में इसके 30 लाख केस सामने आ चुके हैं और 1400 मौतें हुई हैं। इसके खिलाफ कोई वैक्सीन नहीं है। जो वैक्सीन हैं भी, उनकी सीमाएं हैं। यह अलग तरह का वायरस है। इसका जीनोम आरएनए का है।

    वायरस कोशिका में घुसता कैसे है, अभी तक वैक्सीन से संबंधित शोध इसी पर केंद्रित रहे हैं। बायोटेक्नोलाजी विभाग का हालिया शोध इसी धारणा को तोड़ता है।

    प्रोटीन न मिलने पर हो जाएगा वायरस का खात्मा

    कोशिका में कुछ ऐसे प्रोटीन होते हैं, जो वायरस के आरएनए (राइबो न्यूक्लिक एसिड) से जुड़ जाते हैं। प्रोटीन जुड़ने से वायरस अपनी प्रतिकृति बनाने लग जाते हैं। ऐसा ही एक प्रोटीन है आरबीएमएक्स।

    इसे रेगुलेट करने के लिए कोशिकाओं में कुछ आरएनए होते हैं, जिन्हें स्माॅल नाॅन कोडिंग आरएनए कहते हैं। इनके समूह माइक्रो आरएनए कहलाते हैं। एमआईआर-133ए ऐसा ही माइक्रो आरएनए है। ये वायरस पर जुड़ने वाले आरबीएमएक्स प्रोटीन को कम करने लगता है।

    ऐसी स्थिति में वायरस अपने बचाव में एमआईआर-133ए को ही घटने लगता है, ताकि प्रोटीन की उपलब्धता बनी रहे। डेंगू वायरस अपने बचाव और रेप्लीकेशन के लिए बाइंडिंग प्रोटीन और माइक्रो आरएनए के गठजोड़ पर निर्भर है।

    ऐसे में माइक्रो आरएनए को बढ़ाकर प्रोटीन बाइंडिंग रोकी जा सकती है। शोध से ऐसे ड्रग माॅलिक्यूल की खोज का रास्ता भी खुला, जो प्रोटीन बाइंडिंग रोककर माइक्रो आरएनए संग उसके गठजोड़ को खत्म कर सकते हैं। दोनों ही स्थिति में वायरस को रेप्लिकेट होने के लिए प्रोटीन ही नहीं मिलेगा और वो बेअसर हो जाएगा।

    सेल लाइन माॅडल में की गई इस रिसर्च में पाया गया कि कोशिका के भीतर डेंगू वायरस प्रोटीन से जुड़कर रेप्लिकेट होता है। उसे मिलने वाले प्रोटीन को रोक दिया जाए तो वह स्वयं खत्म हो जाएगा। प्रोटीन बाइंडिंग और माइक्रो आरएनए के बीच के गठजोड़ को टार्गेट करने पर नए प्रकार के वैक्सीन कैंडिडेट भी मिल सकते हैं।

    -डा. भूपेंद्र वर्मा, बायोटेक्नोलाजी विभाग, एम्स