Waste Management : आईआईटी दिल्ली में छात्रों ने बनाया स्मार्ट AI डस्टबिन, कूड़ा अलग-अलग करने का निकाला हल
दिल्ली में कचरे की बढ़ती समस्या को देखते हुए छात्रों के एक समूह ने AI-आधारित स्मार्ट डस्टबिन सेग्रे-जी बनाया है। यह कचरे को स्रोत पर ही अलग करता है जिससे लैंडफिल पर दबाव कम होता है और पुनर्चक्रण बढ़ता है। आईआईटी दिल्ली में इसे प्रदर्शित किया गया और सराहना मिली। टीम इसे राष्ट्रव्यापी स्तर पर लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: महानगरों में बढ़ते कूड़े के पहाड़ों और अव्यवस्थित कचरा प्रबंधन की गंभीर समस्या के समाधान के लिए चार छात्र नवप्रवर्तकों की टीम ट्रेल ब्लेजर्स ने एक एआई से लैस स्मार्ट डस्टबिन सेग्रे- जी (एसईजीआरजी) विकसित किया है।
इसका उद्देश्य कचरे का स्रोत स्तर पर ही स्वचालित पृथक्करण कर लैंडफिल साइटों के दबाव को कम करना और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना। सेग्रे- जी का अर्थ है स्मार्ट एन्वारनमेंटल गार्बेज रिकग्निशन गाइडेड आप्टिमाइजेशन। इसका स्लोगन “एक धरती, एक डस्टबिन, एक समाधान" रखा गया है।
यह डस्टबिन इमेज रिकग्निशन और आब्जेक्ट डिटेक्शन तकनीक से कचरे की पहचान कर उसे चार श्रेणियों में बांटता है – जैविक, कागज- गत्ता, प्लास्टिक- धातु और कांच- ई-कचरा। इसका स्पर्शरहित सिस्टम संक्रमण के खतरे को भी कम करता है।
सेग्रे- जी को आईआईटी दिल्ली और शिक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित इनोवेशन प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया, जहां 18 टीमों ने अपने नवाचार प्रस्तुत किए। आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी ने इसकी सोच और इसके क्रियान्वयन की सराहना की।
वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो. ज्योति ने इसे अपने विभाग में लागू करने की इच्छा जताई, जबकि प्रो. शिल्पी शर्मा और प्रो. पीवीएम राव ने इसके बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन का सुझाव दिया। इस टीम की सबसे छोटी सदस्य रागिनी ओझा मात्र 15 वर्ष की हैं।
वह कहती हैं, “प्रदर्शनी से 75 घंटे पहले तक कुछ भी तैयार नहीं था, पर हमने हार नहीं मानी। हमने समस्या को महसूस किया, जैसे हम स्वयं कूड़े के पहाड़ों के पास रहते हों। इसके मुख्य क्रियान्वयन और डिज़ाइन की जिम्मेदारी अमित ओझा ने निभाई।
अमित वर्तमान में आईआईटी दिल्ली में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। सेग्रे-जी को शैक्षणिक संस्थानों अस्पताल, रेस्टोरेंट, सरकारी कार्यालय, रेलवे स्टेशन जैसे स्थानों पर स्थापित किया जा सकता है। यह प्लग-एंड-प्ले समाधान भारत के शहरी कचरा संकट के लिए समयानुकूल, टिकाऊ और नवोन्मेषी कदम है।
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