पूर्वी दिल्ली में मेडिकाॅन-2025: इलाज में AI का बढ़ता उपयोग, डॉक्टरों को मिल रही मरीज की रियल टाइम जानकारी
पूर्वी दिल्ली में पुष्पांजलि मेडिकॉन-2025 में एआई आधारित उपचार पर चर्चा हुई। डॉ. विजय अग्रवाल ने बताया कि एआई बेड मरीजों की रियल टाइम जानकारी देते हैं जिससे बेहतर इलाज होता है। प्रो. रणदीप गुलेरिया ने इंटरस्टीशियल लंग डिजीज के कारणों पर प्रकाश डाला जिसमें कबूतर की बीट और सीलन वाले कमरे शामिल हैं। विशेषज्ञों ने नई तकनीकों पर विचार विमर्श किया।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का प्रयोग हर क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है।चिकित्सा जगत में भी इसका प्रयोग बढ़ रहा है। इसकी मदद से मरीजों के शरीर में हो रही हलचल के बारे में डॉक्टर्स को अब तुरंत जानकारी मिल जा रही है। डॉक्टर्स का भी मानना है कि आने वाले दिनों में एआई का प्रयोग बढ़ने से मरीजों की जान जाने से रोकने में बड़ी मदद मिलेगी।
बेड आ गए हैं जो एआई आधारित
एआई उपचार में सहयोगी है। इससे मरीज की स्थिति की रियल टाइम माॅनिटरिंग की जा रही है। सीबीडी ग्राउंड स्थित एक होटल में आयोजित पुष्पांजलि मेडिकान-2025 में सोसायटी फार चाइल्ड डेवलपमेंट के अध्यक्ष डाॅ. विजय अग्रवाल ने बताया कि ऐसे बेड आ गए हैं जो एआई आधारित हैं।
बार-बार नर्स को नहीं जाना पड़ता
उन पर लेटे मरीज का बीपी, पल्स लेने के लिए बार-बार नर्स को नहीं जाना पड़ता। वह खुद मरीज के शरीर के अंदर की हलचल का रियल टाइम ब्योरा डाक्टर को उपलब्ध कराता है। इससे मरीज का बेहतर उपचार किया जा सकता है। सामने आया है कि इससे कई मरीजों की जान बचाने में मदद मिली है।
फंगस से फेंफड़े हो रहे प्रभावित
इसमें एम्स के पूर्व निदेशक प्रो. रणदीप गुलेरिया ने इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (आइएलडी) पर बात करते हुए कहा कि इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। कबूतर की बीट से भी यह हो सकता है। यह कई जांचों में सामने आया है। सीलन वाले कमरे में रहने से भी यह हो सकता है, उसमें फंगस होती है जो फेंफड़े में समस्या पैदा कर सकती है।
देश-विदेश से आए विशेषज्ञ
इस आयोजन में देश-विदेश से आए विशेषज्ञ डाक्टरों ने केस स्टडी के साथ तमाम बीमारियों और उसके उपचार में नई तकनीक को लेकर चर्चा की। आयोजन के मुख्य संरक्षक डा. विनय अग्रवाल ने कहा कि मेडिकान उत्कृष्टता का उत्सव मनाने, ज्ञान साझा करने और चिकित्सकों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करने का मंच रहा है।
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