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    बेल दिलाने के नाम पर रिश्वत मांगने वाले अहलमद ने वापस ली जमानत याचिका, अदालत ने जारी किया ये आदेश

    Updated: Wed, 11 Jun 2025 06:15 PM (IST)

    जमानत मामले में रिश्वत लेने के आरोपी अहलमद मुकेश कुमार ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अपनी याचिका वापस ले ली है। एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था जिसमें अहलमद पर जमानत सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत मांगने का आरोप है। अदालत ने एसीबी को जांच जारी रखने का निर्देश दिया है।

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    अदालत ने एसीबी को कानून के हिसाब से जांच जारी रखने का दिया निर्देश। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जमानत दिलाने के नाम पर रिश्वत मांगने व प्राप्त करने के मामले में आरोपित अहलमद मुकेश कुमार ने बुधवार को अपनी जमानत याचिका दिल्ली हाई काेर्ट से वापस ले ली।

    साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद करने के लिए दायर एक अन्य याचिका भी वापस ले ली। न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ ने मुकेश कुमार को याचिका वापस लेने की अनुमति दी और जरूरत पड़ने पर नई याचिका दायर करने की छूट दी।

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    सुनवाई के दौरान मुकेश कुमार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने पीठ से एसीबी को उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करने और जांच में शामिल होने के लिए कहने से पहले उसे नोटिस देने का निर्देश देने का आग्रह किया।

    वहीं, दूसरी तरफ एसीबी की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता संजय भंडारी ने पीठ के समक्ष कहा कि मामले की जांच में सामने आए ताजा तथ्यों के साथ अतिरिक्त स्थिति रिपोर्ट पेश की गई है।

    साथ ही यह भी आश्वासन दिया कि जांच एजेंसी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करेगी। उन्होंने कहा कि नवीनतम स्थिति रिपोर्ट में आरोपित की पत्नी को भी शामिल किया गया था, जो एक कोर्ट कर्मचारी भी है।

    दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदलात ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दी, साथ ही एसीबी को कानून के तहत अपनी जांच जारी रखने का निर्देश दिया।

    एसीबी ने 16 मई को राउज एवेन्यू कोर्ट में तैनात रहे अहलमद मुकेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 7/13 के तहत मामला दर्ज किया था।

    आरोप है कि अहलमद ने कुछ आरोपितों से उनकी जमानत सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत मांगी और प्राप्त की। प्राथमिकी करने से पहले एसीबी ने जनवरी-2025 में दिल्ली सरकार के कानून सचिव को पत्र लिखकर न्यायाधीश की जांच करने की अनुमति मांगी थी।