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    कृषि उन्नति मेले में बोले नरेंद्र तोमर- टैक्स माफ करने वाली सरकार का विरोध करना क्या न्यायोचित है?

    कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि देश भले ही 1947 में आजाद हुआ लेकिन किसान सही मायने में कृषि कानून आने के बाद 2020 में आजाद हुआ। हमें कृषि कानून को अच्छे से समझने की जरूरत है।

    By Mangal YadavEdited By: Updated: Thu, 25 Feb 2021 04:13 PM (IST)
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    पूसा कृषि उन्नति मेला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

    नई दिल्ली [गौतम मिश्रा]। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर पूसा में बृहस्पतिवार से तीन दिवसीय कृषि विज्ञान मेले की शुरुआत हो गई। इसका उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। आत्मनिर्भर किसान की थीम पर आधारित तीन दिवसीय मेले में इस बार कई नई चीजें देखने को मिलेंगी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों को उपज मंडी से बाहर किसी को भी और कहीं भी बेचने की आजादी देता है। नया कृषि कानून कहता है कि न तो राज्य सरकार न ही केंद्र सरकार बिक्री पर टैक्स लगा सकती है। आप ही बताएं टैक्स हटाने वाली सरकार अच्छी है या टैक्स लगाने वाली है। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों का विरोध करने वाले ऐसे लोग हैं जो उनका विरोध कर रहे हैं जिन्होंने टैक्स माफ किया है। आप ही बताएं क्या ये न्यायोचित है?।

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    उन्होंने कहा कि कृषि को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों का योगदान आजादी के बाद जीडीपी में बढ़ा लेकिन कृषि का नहीं बढ़ा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कृषि क्षेत्र में तमाम तरह की बंदिशें थी। निजी निवेश यहां नहीं होता था। यह क्षेत्र पूरी तरह उपेक्षित रहा। लेकिन हमलोगों ने कृषि क्षेत्र पर अन्य क्षेत्रों के समान ही ध्यान देना शुरू किया। किसानों की तकलीफों को समझा। जो कानूनी बंदिशें थी, उसे हटाया।

    पहले किसान खाद बीज के लिए साहूकार की ओर देखता था लेकिन अब ऐसा नही है। अटल बिहारी वाजपेयी के समय किसान क्रेडिट कार्ड की योजना लाई गई। जब हम लोग सत्ता में आये थे तब इस मद में 6.5 लाख करोड़ कर्ज दिया जाता था अब इस बजट में 16.5 लाख करोड़ कर दिया गया। लोकतंत्र में कोई भी सरकार किसानों को नुकसान पहुंचाने की हिमाकत नहीं कर सकती है।

    वहीं, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि देश भले ही 1947 में आजाद हुआ लेकिन किसान सही मायने में कृषि कानून आने के बाद 2020 में आजाद हुआ। हमें कृषि कानून को अच्छे से समझने की जरूरत है। अभी तक देश में किसानों को बेचारा समझा जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अभी तक कहानियों में भी कहा जाता था कि एक गांव में एक गरीब किसान रहता था और एक शहर में धनाढ्य व्यक्ति रहता था। इस धारणा को बदलने की जरूरत है। किसान गरीब नहीं रहेगा।

    नई किस्में देखने को मिलेंगी

    इस बार मेले में किसानों को पूसा संस्थान द्वारा विकसित नई किस्मों की सजीव प्रदर्शनी देखने को मिलेंगी। इसमें दलहन, तिलहन के अलावा बागवानी से जुड़ी किस्में शामिल हैं। विज्ञानियों ने सजीव प्रदर्शन के लिए कई महीने पूर्व ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। किसानों को प्रदर्शनी के दौरान यदि कुछ जानने की जरूरत होगी तो फार्म पर मौजूद विज्ञानी उनके एक- एक सवाल का जवाब उन्हें देंगे।

    बीज के लिए भी स्टॉल

    पूसा कृषि विज्ञान मेले में दिल्ली ही नहीं पंजाब, हरियाणा व अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में किसान आते हैं। अन्य बातों के साथ साथ यहां किसानों के आने का एक प्रमुख कारण उन्नत किस्मों का प्रामाणिक बीज खरीदना भी होता है। इस बार यहां किसानों को पहली बार पूसा द्वारा विकसित बासमती धान की किस्म पूसा बासमती 1632 का बीज खरीदने को मिलेगा। एक एक किलोग्राम के पैकेज में ये बीज किसानों को दिए जाएंगे।