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    Noida Twin Tower विस्फोट के बाद सामने आ रहे साइड इफेक्ट, 5 से 7 प्रतिशत लोगों में अब खुजली और एलर्जी की शिकायत

    By Abhishek TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 06 Sep 2022 10:22 AM (IST)

    Noida Twin Towers Demolition Noida Twin Tower विस्फोट के बाद साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं। सोसायटी के लोगों की मांग है कि मलबे के बड़े हिस्से को आबादी से दूर ले जाकर निस्तारण किया जाए। इससे लोगों को प्रदूषण से बचाया जा सके।

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    Noida Twin Tower विस्फोट के बाद सामने आ रहे साइड इफेक्ट

    नोएडा [कुंदन तिवरी]l नोएडा ट्विन टावर ध्वस्त होने से एक दिन पहले 27 अगस्त को एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसायटी के करीब 50 लोगों की पीएफटी (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट) की जांच व गूगल मेडिकल फार्म भरवाए गए थे। यह उनके रूटीन हेल्थ के बारे में थे।

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    यह जांच नोएडा के सीनियर कंसलटेंट डाक्टर आशीष जैन ने मैक्स अस्पताल नोएडा और अपार्टमेंट आनर एसोसिएशन के साथ मिलकर किया था। अब नतीजे अब सामने आने लगे हैं। डाक्टर आशीष जैन ने बताया कि रूटीन मेडिकल फार्म में जो प्राइमरी जानकारी ली गई थी, वह काफी बेहतर थी।

    पांच से सात प्रतिशत लोगों में खुजली, एलर्जी की शिकायत

    विस्फोट के बाद जब लोग घर लौटे और उसके बाद जब दोबारा से रूटीन चेक किया गया तो सोसायटी में पांच से सात प्रतिशत लोगों में खुजली, एलर्जी की शिकायत मिली। इसके अलावा जो पुराने अस्थमेटिक मरीज थे, उनमें थोड़ी दिक्कत जरूर देखने को मिली। उनका मानना है कि कुल 10 से 12 प्रतिशत लोगों के स्वास्थ्य पर विस्फोट का असर देखने को मिला।

    एओए अपार्टमेंट एसोसिएशन के प्रेजिडेंट राजीवा सिंह ने बताया कि लोग स्वेच्छा से जांच कराने जरूर आएं। जारी है पीएफटी को लेकर स्टडी: डा. आशीष जैन ने बताया कि पीएफटी की जांच की प्राथमिक और दूसरी बार कराने आए लोगों की रिपोर्ट को कंप्लाइल कर एक स्टडी की जा रही है।

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    मलबे को दूर ले जाने की मांग

    सेक्टर-93 ए में एमराल्ड कोर्ट, एटीएस विलेज ग्रींस, सिल्वर सिटी, पारसनाथ प्रेस्टीज, पारसनाथ सृष्टि, एल्डिको यूटोपिआ, एल्डिको ओलंपिया सोसायटी आती है। इन सभी सोसायटी में तीन हजार से ज्यादा परिवार रह रहे हैं। इनकी संख्या 12 से 15 हजार है। इन्हें मलबे से परेशानी हो रही है।

    एटीएस विजेल सोसायटी निवासी पूनम मुटरेजा ने बताया कि ट्विन टावर के मलबे के छोटे-छोटे हिस्से होने से सेक्टर में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाएगा। इससे लोगों को अस्थमा संबंधित रोग बढ़ जाएंगे।