दिल्ली में होगी ट्रिपल इंजन की सरकार, BJP को मिल गई नगर निगम की सत्ता की चाबी; अभी किसके पास हैं कितने पार्षद?
दिल्ली की सत्ता में काबिज होने के साथ भाजपा के लिए नगर निगम की सत्ता पाना आसान हो जाएगा। स्थायी समिति नगर निगम की सबसे शक्तिशाली समिति है। पांच करोड़ से अधिक की परियोजनाएं मंजूर करने की शक्ति इसी समिति के पास होती है। आप की सरकार आने के बाद से कानूनी लड़ाई की वजह से इस समिति का गठन नहीं हो सका है।

निहाल सिंह, दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi election result 2025) में जीत से दिल्ली में भाजपा की डबल इंजन की सरकार का रास्ता तो साफ हो ही गया है, साथ ही उसे नगर निगम की सत्ता की चाबी भी मिल गई है।
अब भाजपा बिना किसी तोड़फोड़ के आगामी अप्रैल में होने वाले महापौर और उप महापौर के चुनाव में बाजी मार लेगी। इससे दिल्ली में पहली बार भाजपा की ट्रिपल इंजन की सरकार बन जाएगी।
विधानसभा चुनाव में जीत के बाद खुशी मनाते भाजपा कार्यकर्ता। फोटो- जागरण
कैसे तय होगी भाजपा की नगर निगम की राह?
विधानसभा चुनाव जीतने से भाजपा को सत्ता की चाबी मिल गई है, क्योंकि सत्तारुढ़ पार्टी के विधायक को विधानसभा अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा और वो ही अपने विवेक से नगर निगम में 14 विधायकों को सदस्य मनोनीत करेगा। आप सरकार में अभी तक की परंपरा के अनुसार सत्तारुढ़ पार्टी के विधायकों को अधिकतम संख्या में मनोनयन किया जाता रहा है। '
अभी निगम में किस दल की कैसी स्थिति?
ऐसे में 14 में 13 विधायक भी भाजपा के नगर निगम में मनोनीत होते हैं, तो भी भाजपा का बहुमत हो जाएगा। अभी वर्तमान स्थिति में भाजपा के 120 पार्षद हैं, जबकि आप के पास 121 और कांग्रेस के पास आठ पार्षद हैं। इसमें भाजपा के आठ पार्षद जीत गए हैं। इससे भाजपा के पार्षदों की संख्या 112 हो गई है। वहीं, तीन आप के पार्षद विधायक बनने से आप के पार्षदों की संख्या 118 गई हैं।
अगर, 14 में से 13 विधायक ही भाजपा के नगर निगम में मनोनीत होकर आते हैं, तो सात लोकसभा सांसदों और 13 विधायकों से भाजपा के कुल सदस्यों की संख्या 132 हो जाएगी, जबकि आप के पास पार्षदों की संख्या 118 और तीन राज्यसभा सदस्य मिलाकर और एक विधायक भी आप का मनोनीत होता है, तो आप के कुल सदस्यों की संख्या 122 हो जाएगी।
क्या कांग्रेस के साथ से बनेगी AAP की बात?
अगर, कांग्रेस भी आप का साथ देगी, तो आठ आप पार्षदों के साथ कुल दोनों दलों के सदस्यों की संख्या 130 हो जाएगी। इससे भी भाजपा का महापौर प्रत्याशी आसानी से जीत जाएगा। उल्लेखनीय है कि नगर निगम में हर वर्ष महापौर का चुनाव अप्रैल माह में होता है।
आगामी अप्रैल में 2022 में बनी सरकार से चौथे वर्ष के लिए चुनाव होगा। चूंकि पहले वर्ष में महिला तो तीसरे वर्ष में आरक्षित श्रेणी से चुने अनुसूचित जाति के पार्षद को ही महापौर चुना जाता है। ऐसे में चौथे वर्ष में कोई भी पार्षद जो भाजपा का प्रत्याशी होगा, वह चुनाव आसानी से न केवल महापौर का चुनाव जीत जाएगा, बल्कि उपमहापौर का चुनाव भी जीत जाएगा।
स्थायी समिति में भाजपा को फिर करनी होगी मेहनत
स्थायी समिति के गठन का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन आने वाले दिनों में स्थायी समिति का गठन होता है और चेयरमैन का चुनाव होता है, तो भाजपा को मुश्किल हो सकती है। क्योंकि स्थायी समिति के एक सदस्य जो कि सदन से चुने गए गजेंद्र दराल वह अब निगम से इस्तीफा दे देंगे तो सदन से फिर से स्थायी समिति का सदस्य चुनना होगा।
अभी भाजपा के पास स्थायी समिति में कितने सदस्य?
चूंकि स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव में केवल निर्वाचित पार्षद ही मतदान करते हैं, ऐसे में नगर निगम की खाली सीटों से हुए उप चुनाव से पूर्व स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव होता है, तो भाजपा के पास सदस्य जीतने के लिए संख्या नहीं है, क्योंकि आप के पास 118 और भाजपा के पास 112 ही सदस्य हैं। ऐसे में इस चुनाव को जीतने के लिए भाजपा को जोड़-तोड़ करनी होगी।
अभी फिलहाल भाजपा के पास स्थायी समिति में 10 तो आप के पास आठ सदस्य हैं। गजेंद्र दराल के इस्तीफे से भाजपा के पास स्थायी समिति के सदस्यों की संख्या नौ तो आप के पास आठ बचेगी।
सिविल लाइंस जोन में बराबर हुए भाजपा और आप के पार्षद
एमसीडी के सिविल लाइंस जोन में निर्वाचित पार्षदों की संख्या 14 है। इसमें भाजपा के छह पार्षद जीत कर आए थे। साथ ही चार मनोनीत सदस्य इस जोन में हैं। अब मनोनीत पार्षद राजकुमार भाटिया विधायक निर्वाचित हो गए हैं।
ऐसे में एक मनोनीत पार्षद कम होने से आप और भाजपा के सदस्यों की संख्या 9-9 हो गई है। ऐसे में आने वाले दिनों में होने वाली वार्ड कमेटी में भाजपा को कोई प्रस्ताव पारित करना होगा, तो उसके लिए भाजपा के पास बहुमत नहीं है।
अभी किसके पास हैं कितने पार्षद?
आप- 121
भाजपा-120
कांग्रेस -8
पार्षदों के विधायक बनने के बाद क्या होगी स्थिति?
आप-118
भाजपा-112
कांग्रेस -8
अगर, भाजपा के 13 विधायक और आप का एक विधायक निगम में हुआ मनोनीत तो क्या रहेगी स्थिति
- आप- 122 ( 118 पार्षद, तीन राज्यसभा सदस्य व एक विधायक )
- भाजपा-132 (112 पार्षद, सात लोकसभा सांसद और 13 विधायक)
- कांग्रेस: 8
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