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    दिल्ली चिड़ियाघर में अफ्रीकी हाथी शंकर की मौत, दिल में जम गया था खून का थक्का; शुरुआती जांच में खुलासा

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 05:57 AM (IST)

    दिल्ली चिड़ियाघर में अफ्रीकी हाथी शंकर की तीव्र हृदय विफलता से मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में दिल में खून का थक्का पाया गया जिसके कारण का पता लगाने की कोशिश जारी है। शंकर 1998 में जिम्बाब्वे से लाया गया था। उसकी साथी की मृत्यु के बाद वह अकेला हो गया था। चिड़ियाघर प्रशासन सुरक्षा उपायों को लेकर सतर्क है और अन्य जानवरों के स्वास्थ्य पर नजर रख रहा है।

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    अफ्रीकी हाथी शंकर के दिल में जम गया था खून का थक्का।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली चिड़ियाघर) में अफ्रीकी हाथी शंकर की मौत तीव्र हृदय विफलता (एक्यूट कार्डियेक फेलियर) से हो गई। चिड़ियाघर के अधिकारियों ने कहा कि हृदय विफलता के वास्तविक कारण का पता आइवीआरआइ बरेली से आए लैब रिपोर्ट से ही चल सकेगा।

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    शंकर की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान ,संस्थान (आइवीआरआइ), बरेली की टीम, स्वास्थ्य परामर्श समिति और पर्यावरण मंत्रालय के प्रतिनिधियों द्वारा किया जा रहा है। आइवीआरआइ बरेली में वन्यजीव विभाग के नोडल इंचार्ज अभिजीत पावड़े ने कहा कि शुरुआती जांच रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकी हाथी के दिल में खून का थक्का जम गया था।

    उन्होंने कहा कि अभी ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि ये थक्का कैसे बना? सूत्रों का कहना है कि ये दिल में ये थक्का किसी बैक्टिरियल संक्रमण या शाक के कारण हो सकता है।

    चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने बताया कि शंकर ने अपनी मौत से दो दिन पहले खाना छोड़ रहा था। वहीं, चिड़ियाघर के अधिकारियों का कहना है कि 17 सितंबर की दोपहर को शंकर ने सामान्य से कम पत्ते और घास खाई थी, लेकिन फल और सब्जियां ठीक से ली। हालांकि, थोड़ी दस्त की समस्या आई थी। शाम को शंकर अचानक शेड में गिर पड़ा और आपात उपचार के दौरान रात आठ बजे उसकी मौत हो गई।

    शंकर को नवंबर 1998 में जिम्बाब्वे से दिल्ली लाया गया था और तब से वह चिड़ियाघर का महत्वपूर्ण हिस्सा था। उसकी साथी बंबई की 2001 में मृत्यु के बाद शंकर अकेला रह गया था, जिससे उसका व्यवहार आक्रामक हो गया था। हाईकोर्ट ने जुलाई 2022 में शंकर के लिए मादा साथी लाने का आदेश दिया था, लेकिन योजना पर अमल नहीं हो सका।

    चिड़ियाघर निदेशक डा. संजीत कुमार ने कहा कि सुरक्षा और जैव-सुरक्षा उपायों को लेकर चिड़ियाघर पूरी तरह सतर्क है।

    इस वर्ष एक सितंबर के बाद भेजे सभी जलपक्षियों और अन्य जानवरों के नमूने एच5एन1 एवीयन इन्फ्लुएंजा के लिए परीक्षण में निगेटिव पाए गए हैं। वहीं, रायल बंगाल बाघिन के शावक का स्वास्थ्य सामान्य है और इसका पालन-पोषण अनुभवी कीपर और पशु चिकित्सक की देखरेख में किया जा रहा है।

    चिड़ियाघर अधिकारियों ने बताया कि पक्षियों, जानवरों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सभी जैव सुरक्षाऔर सैनिटेशन उपाय पूरी तरह लागू किए जा रहे हैं। चिड़ियाघर खोलने का निर्णय संबंधित अधिकारियों द्वारा दिशानिर्देशों के अनुसार लिया जाएगा।