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    Shabnam Ali का बरेली जेल ट्रांसफर होने पर जानिये- क्यों भड़के निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 03 Mar 2021 07:55 AM (IST)

    Shabnam Ali निर्भया के चारों दोषियों विनय कुमार गुप्ता मुकेश सिंह अक्षय सिंह ठाकुर और को अंतिम समय तक फांसी से बचाने का प्रयास करने वाले सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील एपी सिंह ने कहा है कि शबनम का रामपुर जेल से बरेली जेल में ट्रांसफर करना गलत है।

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    सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील एपी सिंह ने कहा है कि शबनम का इसमें उसका क्या कसूर है।

    ​​​​​नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। अपने ही माता-पिता समेत परिवार के 7 लोगों की हत्या में दोषी शबनम अली फांसी के तख्ते से चंद कदम दूर है। माना जा रहा है कि शबनम की फांसी के लिए कभी भी कोर्ट से डेथ वारंट जारी हो सकता है। इस बीच उत्तर प्रदेश की रामपुर जेल में रह रही शबनम का एक महिला बंदी के साथ फोटो वायरल होने पर हड़कंप मच गया है। इससे खफा प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए शबनम अली को रामपुर जेल से बरेली जेल ट्रांसफर कर दिया गया है। इसी के साथ 2 कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की गई है। दरअसल, शबनम का एक महिला बंदी के साथ फोटो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ है। बताया जा रहा है कि यह फोटो रामपुर जिला कारागार परिसर में खींचा गया है। मामला संज्ञान में आने के बाद जांच की गई तो आरोप सही पाए गए। इसके बाद कार्रवाई की कड़ी में एक महिला बंदी रक्षक और एक पुरुष बंदी रक्षक को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही विभागीय कार्रवाई जारी है। उधर, इंटरनेट मीडिया के जरिये पूरा मामला सामने आने के बाद निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने त्वरित टिप्पणी में कहा है कि शबनम को फांसी की तैयारी तो की ही जा रही है। अब उसे कितनी बार और फांसी दोगे-मारोग। वह तो वैसे ही जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। ऐसे में कितनी बार उसे मारोगे-फांसी दोगे।

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    अचानक रामपुर से बरेली जेल ट्रांसफर करना मूल अधिकारों का उल्लंघन

    निर्भया के चारों दोषियों विनय कुमार गुप्ता, मुकेश सिंह, अक्षय सिंह ठाकुर और को अंतिम समय तक फांसी से बचाने का प्रयास करने वाले सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील एपी सिंह ने कहा है कि शबनम का रामपुर जेल से बरेली जेल में ट्रांसफर करना गलत है। इसमें उसका क्या कसूर है। उन्होंने कहा कि यह तो शबनम के मूल अधिकारों का भी उल्लंघन है, क्योंकि भारतीय संविधान जीवन जीने का अधिकार देता है। सुप्रीम कोर्ट के वकील का कहना है कि वह रामपुर जेल में ठीक से रह रही थी। उसकी कोई शिकायत भी नहीं थी, उसके व्यवहार को लेकर जाहिर है जेल प्रशासन संतुष्ट था। ऐसे में जेल कर्मचारियों की गलती की सजा शबनम को क्यों दी गई। एक व्यक्ति चाहे जेल में ही क्यों नहीं रह रहा हो, उसका मन वहां पर लग जाता है। कुछ लोगों से मन मिल जाता है। कुछ लोगों से शबनम अपना दुख-सुख कह-बोल लेती होगी। अब केवल इस आरोप पर कि शबनम के फोटो जेल कर्मचारियों द्वारा खींचे गए और वीडियो बनाया गया। ये तो सबको पता ही है कि फांसी की सजा अपने आप में मानसिक यातना है। फांसी का फंदा हर रात-दिन दिखता रहता है। इस दौरान अगर शबनम के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं तो जब वह हंस-बोल लेती है। इस दौरान जेल कर्मचारी उसकी फोटो खींच लेते हैं।

    फिलहाल बाल्यावस्था में है इंटरनेट मीडिया

    एपी सिंह की मानें तो देश में इंटरनेट मीडिया अभी बाल अवस्था में है। अभी लोगों को पता ही नहीं है कि इसका क्या बेहतर इस्तेमाल होता है और क्या बुरा होता है। उन्होंने कहा कि गलत कार्य तो किसी और ने किया और सजा शबनम को मिली। शबनम को जेल की सलाखों के पीछे हर रोज-हर पल मर रही है। फांसी तो एक बार होती है और आदमी दुनिय़ा से चला जाता है। ऐसी सजा देकर क्यों आप रोज उसे फांसी देंगे-रोज उसे मारेंगे।

    गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के अमरोहा के बावनखेड़ी गांव निवासी शबनम ने वर्ष 2008 में अपने 8वीं फेल प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के 7 लोगों निर्मम हत्या की थी। इसमें शबनम के माता-पिता और एक 11 साल का बच्चा भी था। इस मामले में निचली कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट शबनम को फांसी की सजा सुना चुका है।  शबनम पिछले डेढ़ साल से रामपुर के जिला कारागार में बंद थी। अब फोटो और वीडियो वायरल होने पर जेल प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए शबनम को बरेली जेल भेज दिया है।  

    यह है पूरा विवाद

    इंटरनेट मीडिया पर वायरल फोटो में शबनम एक महिला बंदी के साथ खड़ी मुस्कुरा रही है। शबनम का यह फोटो तेजी से वायरल हो रहा है। जांच में यह फोटो रामपुर जिला कारागार का निकला। इसके बाद शबनम को बरेली जेल भेजने के साथ प्रशासन ने एक महिला बंदी रक्षक और एक पुरुष बंदी रक्षक को भी निलंबित कर दिया है। कार्रवाई की कड़ी में दोनों महिला बंदी शबनम और एक दूसरी महिला बंदी दोनों को रामपुर से बरेली जिला कारागार में स्थानांतरण कर दिया है। जेल अधीक्षक पी डी सलोनिया की मानें तो महिला और पुरुष बंदी रक्षकों को निलंबित कर दिया गया है और दोनों महिला बंदियों को यहां से हटा दिया गया है।