खाद्य पदार्थ में मिलावट की जांच हुई आसान, मौके पर पहुंच पांच मिनट में बता देगी ये वैन
यह वैन आधुनिक तकनीक से लैस है। इसकी सहायता से तैयार खाद्य पदार्थ (रेडी टू इट) के नमूने लेकर लगभग पांच मिनट में परिणाम पता किया जा सकता है।
नोएडा (जेएनएन)। खाद्य पदार्थों में मिलावट देश ही नहीं दुनिया के लिए चिंता का विषय है। देश में इसे लेकर सख्त कानून तो है, लेकिन संसाधनों और कर्मचारियों के अभाव में कार्रवाई केवल कागजों तक ही सीमित रह जाती है। आम लोगों में भी मिलावटी खाद्य पदार्थों को लेकर जागरूकता का काफी अभाव है। ऐसे में ‘फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स’ एक बेहतर विकल्प है। इसके जरिए किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ में मिलावट की जांच कुछ मिनट में की जा सकती है।
खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार लाने व स्ट्रीट फूड प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए भारतीय खाघ संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने ‘फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स’ के नाम से एक मोबाइल वैन बाजार में उतारी है। इस वैन को ग्रेटर नोएडा एक्सपो मार्ट में बृहस्पतिवार से शुरू हुई तीन दिवसीय फूड इंग्रिडिएंट्स व हैल्थ इंग्रिडिएंट्स (एफआइ व एचआइ) एक्सपो में प्रदर्शित किया है।
यह वैन आधुनिक तकनीक से लैस है। इसकी सहायता से तैयार खाद्य पदार्थ (रेडी टू इट) के नमूने लेकर लगभग पांच मिनट में परिणाम पता किया जा सकता है। वैन पर पांच सदस्यीय दल को नियुक्त किया जा सकता है। एफआइ व एचआइ एक्सपो में यह वैन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है।
एफएसएसएआइ के प्रतिनिधि दलजीत सिंह ने बताया कि यह वैन चलती फिरती प्रयोगशाला की तरह काम करती है। इसमें तीन वैज्ञानिक, एक चालक व एक सहायक का दल शामिल हो सकता है। राज्य सरकार के अधीन खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की परेशानी इस वैन से काफी हद तक कम हो गई है।
कैसे करें शिकायत
खाद्य पदार्थों में मिलावट की शिकायत के लिए एफएसएसएआइ ने फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स मोबाइल वैन पर हेल्पलाइन नंबर भी लिखने के निर्देश दिए हैं। वैन पर हेल्पलाइन नंबर अंकित करना और जनता के बीच उसका प्रचार-प्रसार करना राज्य सरकार के कार्यक्षेत्र में हैं। उपभोक्ता अपने क्षेत्र के वैन पर अंकित हैल्पलाइन नंबर पर कॉल कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायत दर्ज कराने के बाद तुरंत वैन आपके समक्ष होगी व खाद्य पदार्थ के नमूने लेकर पांच से दस मिनट में परिणाम भी बता देगी।
किया जा सकता है जुर्माना
मोबाइल वैन द्वारा जांचे गए नमूने फेल होने पर उपभोक्ता उत्पाद निर्माता के खिलाफ मामला भी दर्ज करा सकता है। इसके अलावा मोबाइल वैन में मौजूद जांच अधिकारी भी अपने स्तर पर जुर्माना कर सकते हैं।
19 राज्यों में शुरू हुई सेवा
फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स के फायदे को देखते हुए 19 राज्य सरकारों ने अपने यहां इसकी सेवा शुरू भी कर दी है। यूपी के भी कुछ जिलों में ये गाड़ी स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध हो चुकी है। फिलहाल इस वैन का उपयोग हिमाचल, जयपुर, चंडीगढ़, गुजरात, गोवा, पंचकूला, बेंगलुरु, केरल, कानपुर आदि जगहों पर किया जा रहा है। इन जगहों पर वैन के नतीजे काफी संतोषजनकर मिल रहे हैं। इससे खाद्य पदार्थों की जांच में न केवल तेजी आयी है, बल्कि नई सुविधा मिलने से लोगों में भी जागरूकता आयी है।
अभी लगता है महीनों का वक्त
खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट रोकने की जिम्मेदारी जिले के खाद्य विभाग की होती है। इसके लिए खाद्य निरीक्षक तैनात किए जाते हैं। खाद्य विभाग में अमूमन कर्मचारियों की बहुत कमी होती है। दो-तीन कर्मचारियों के पास ही पूरे जिले की जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा इनके पास अपनी कोई लैब भी नहीं होती है। विभाग खाद्य पदार्थ के नमूने लेकर उसे राज्य की किसी केन्द्रीय प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजता है। केन्द्रीय प्रयोगशाला में नमूनों का इतना भंडार होता है कि जांच रिपोर्ट आने में तीन से छह महीनों का वक्त लग जाता है।
आजीवन कारावास तक हो सकती है सजा
खाद्य पदार्थों में मिलावट कई बार जानलेवा साबित हो जाती है। ऐसे कई मामले पूर्व में सामने भी आ चुके हैं। यही वजह है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य पदार्थों में मिलावट को बहुत संगीन अपराध माना गया है। खाद्य पदार्थ में मिलावट करने वालों को जहरखुरानी गिरोह की तरह खतरनाक माना जाता है। ऐसे लोगों पर भारी जुर्माने के साथ अधिकतम आजीवन कारावास की सजा तक का प्रावधान है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।