वैश्विक स्तर पर हर नौ में से एक महिला को कैंसर का खतरा, 2050 तक यह बोझ 50 प्रतिशत से अधिक होने की आशंका
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में महिलाओं के कैंसर देखभाल पर एक वैश्विक नीति रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट में एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों का भी योगदान रहा। रिपोर्ट बताती है कि कैसे असमानताओं के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में महिलाओं की जान जा रही है। कैंसर को एक सामाजिक और आर्थिक चुनौती बताते हुए रोकथाम और शीघ्र पहचान में निवेश पर जोर दिया गया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा 2025 के दौरान 'महिलाओं के कैंसर देखभाल में अंतर को पाटना' शीर्षक वाली वैश्विक नीति रिपोर्ट जारी की गई। यह दस्तावेज दुनिया भर में महिलाओं के कैंसर देखभाल में असमानताओं, नवाचारों और समाधानों पर प्रकाश डालता है। वैश्विक चुनौती के समाधान की राह दिखाने में एम्स दिल्ली की भी महती भूमिका रही।
अंतरराष्ट्रीय स्त्री रोग कैंसर सोसायटी (आइजीसीएस) के एक प्रमुख विशेषज्ञ के रूप में रेडिएशन आंकोलाजिस्ट डा. अभिषेक शंकर रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम का हिस्सा रहे। उनके अलावा आइजीसीएस में फ्रांसेस रीड-ब्रिटेन, हेलेन वैन बीखुइजन-नीदरलैंड, मुपेटा सोंगवे-जाम्बिया और रोस ग्लासपूल-ब्रिटेन भी शामिल रहे।
डा. शंकर ने बताया कि इस सप्ताह 80वें यूएनजीए में जारी एंडोमेट्रियल कैंसर पर रिपोर्ट को आकार देने की प्रक्रिया में शामिल रहा। रोकथाम, शीघ्र पहचान और उपचार में वैज्ञानिक प्रगति हुई है। बावजूद इसके मरीजों तक पहुंच, नीतिगत प्राथमिकता और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी में असमानताएं अनगिनत महिलाओं की जान ले रही हैं, खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में।
रिपोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं का कैंसर केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं है, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक चुनौती भी है। उपचार तक समान पहुंच, रोकथाम और शीघ्र पहचान में निवेश, कैंसर देखभाल वितरण को मजबूत करना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, एचपीवी टीकाकरण और रोगी नेविगेशन जैसे नवाचारों का उपयोग करने जरूरी हैं।यह रिपोर्ट वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर नियंत्रण के लिए एक अधिक समावेशी, न्यायसंगत और प्रभावशाली एजेंडा तैयार करने में मदद करेगी।
कैंसर उपचार में प्रत्यक्ष व्यय
-अस्पताल में भर्ती
-कैंसर की दवा और उपचार
-मरीज की देखभाल
-जांच
-प्रशामक देखभाल
-परिवहन और आवास
-काउंसलिंग आदि का खर्च
कैंसर उपचार में परोक्ष व्यय
-बीमारी या उपचार के कारण उत्पादकता में कमी
-असामयिक मृत्यु के कारण उत्पादकता में कमी
-मित्र या परिवार द्वारा प्रदान की गई अनौपचारिक देखभाल
-मृत्यु दर और शैक्षिक उपलब्धि के संदर्भ में बच्चों पर प्रभाव
-बुजुर्ग रिश्तेदारों की देखभाल की हानि
प्रतिवर्ष आएंगे 57 लाख नए केस, होंगी 22 लाख मौतें
2022 में अनुमानित 37 लाख महिलाओं में कैंसर की पुष्टि हुई। जिनमें स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, डिम्बग्रंथि और गर्भाशय (एंडोमेट्रियल) कैंसर प्रमुख रहे। इनकी चलते दुनियाभर में 13 लाख महिलाओं की मौत हुई। वैश्विक स्तर पर हर नौ में से एक महिला को कैंसर का खतरा है। 2050 तक यह बोझ 50 प्रतिशत से अधिक होने की आशंका जताई जा रही है। प्रतिवर्ष 57 लाख नए केस आएंगे और 22 लाख मौतें होंगी। यह वृद्धि निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआइसी) में सबसे अधिक होंगे।
चार क्षेत्रों में वर्गीकृत कर लागू की जाए योजना
-महिलाओं के कैंसर को स्वास्थ्य प्राथमिकता और स्मार्ट निवेश के रूप में बढ़ावा देना।
-रोकथाम और शीघ्र पहचान के प्रयासों में तेजी लाना।
-कैंसर देखभाल वितरण को मजबूत और सुव्यवस्थित करना।
-महिलाओं की कैंसर देखभाल की निरंतरता में नवाचार का उठाएं लाभ।
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