Delhi: अब शिक्षक ने स्कूल में छात्र को पीटा तो होगी कार्रवाई, NCPCR ने सभी प्रिंसिपल को दिया दिशा निर्देश
राजधानी के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका द्वारा छात्रा को पहली मंजिल से नीचे फेंके जाने के मामले के बाद अब शिक्षा निदेशालय ने कड़ा रुख अपनाया है। NCPCR द्वारा स्कूलों में शारीरिक दंड को खत्म करने के दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका द्वारा छात्रा को पहली मंजिल से नीचे फेंके जाने के मामले के बाद अब शिक्षा निदेशालय ने कड़ा रुख अपनाया है। निदेशालय ने सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा स्कूलों में शारीरिक दंड को खत्म करने के दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है।
यानी अब कोई भी शिक्षक छात्रों के साथ शारीरिक तौर पर मारपीट नहीं कर सकता और न ही उन्हें दंडित कर सकता है। अगर शिक्षक छात्र की पिटाई करते हैं तो ऐसे में शिक्षक के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उसे नौकरी तक से बर्खास्त किया जा सकता है। इन नियमों को लागू करना स्कूल की जिम्मेदारी है।
पहले भी NCPCR ने शारीरिक दंड पर दिए थे दिशानिर्देश
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि शारीरिक दंड को लेकर एनसीपीसीआर ने कई साल पहले दिशानिर्देश बनाए थे। जिसमें बच्चों के साथ होने वाली मारपीट, दंड को प्रमुखता से उठाया गया था। लेकिन दिल्ली में हाल ही में शिक्षिका द्वारा जिस तरह से एक छात्रा के साथ मारपीट हुई, उससे अभिभावकों के ऊपर अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर गहरा असर पड़ा है।
एनसीपीसीआर ने इस मामले को संज्ञान में लेकर 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभाग को एनसीपीसीआर के शारीरिक दंड के दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा है।
एनसीपीसीआर के शारीरिक दंड के दिशानिर्देशों से कराया जाएगा परिचित
निदेशालय के एक अधिकारी के मुताबिक एनसीपीसीआर के इस निर्देश का स्कूलों में सख्ती से पालन कराया जाएगा साथ ही छात्रों को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने पर रोक लगाने के लिए शिक्षकों और स्कूल प्रबंधकों को जागरूक किया जाएगा और इस दंड को खत्म करने के लिए एनसीपीसीआर द्वारा तैयार किए गए दिशानिर्देशों से शिक्षकों को परिचित कराया जाएगा।
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उन्होंने कहा कि बच्चों को दंड देना, उनके साथ मारपीट करना, किसी भी प्रकार का भेदभाव करना दंडनीय अपराध है। किसी भी स्कूल में ऐसा मामला आता है या बच्चे द्वारा शिकायत मिलती है तो संबंधित स्कूल और शिक्षक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिसने भी एनसीपीसीआर के शारीरिक दंड दिशानिर्देश का पालन नहीं किया तो उसे आरटीई की धारा 17 के तहत सजा हो सकती है। इसमें छात्र को थप्पड़ मारना, कान खींचना, बुरा-भला या ठेस पहुंचाने वाले शब्द कहना, हाथ ऊपर रख कर खड़े रखना शारीरिक दंड में शामिल होता है।
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