खराब मौसम बना जानलेवा: भारत में शुरुआती 4 महीनों में 233 लोगों की गई जान, पिछले साल हुईं 3000 से ज्यादा मौतें
Death due to Bad Weather सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (सीएसई CSE) की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के पहले चार महीनों में देश में खराब मौसम की घटनाओं ने 233 लोगों की जान ले ली और 0.95 मिलियन हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचाया।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (सीएसई, CSE) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल के पहले चार महीनों में देश में खराब मौसम की घटनाओं ने 233 लोगों की जान ले ली और 0.95 मिलियन हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचाया। चरम मौसमी घटनाओं ने अबकी बार 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रभावित किया, जबकि पिछले साल यह संख्या 27 थी।
राजस्थान और महाराष्ट्र में सर्वाधिक (प्रत्येक में 30) चरम मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद हिमाचल प्रदेश में 28, बिहार और मध्य प्रदेश में 27-27 दर्ज हुईं। दिल्ली ने पिछले वर्ष की अवधि के दौरान 25 दिनों की तुलना में 12 दिनों में चरम मौसम देखने को मिला है।
2022 में 86 लोगों की गई जान
रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और अप्रैल 2022 के बीच, चरम मौसमी घटनाओं ने 86 लोगों की जान ले ली और 0.03 मिलियन हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचाया।
2022 में इसी अवधि के दौरान 35 दिनों की तुलना में इस बार 58 दिन बिजली और तूफान आए। इनमें से अधिकांश घटनाएं मार्च और अप्रैल में हुईं। देश ने पिछले साल के 40 दिनों की तुलना में 2023 के पहले चार महीनों में सिर्फ 15 दिन लू दर्ज की।
पश्चिमी विक्षोभ की वजह से कम आती है लू
मौसम विज्ञानी लगातार कम लू के लिए पश्चिमी विक्षोभ को श्रेय देते हैं। पश्चिमी विक्षोभ जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं और मार्च-अप्रैल के बीच उत्तर-पश्चिम भारत में बेमौसम बारिश लाते हैं।
3000 से ज्यादा लोगों की जान गई
भारत ने 2022 में 365 दिनों में से 314 दिन चरम मौसम की घटनाओं का अनुभव किया। घटनाओं ने 3,026 लोगों की जान ले ली और 1.96 मिलियन हेक्टेयर (हेक्टेयर) फसल क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया।
संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी, विश्व मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 1970 और 2021 के बीच चरम मौसम, जलवायु और पानी से संबंधित घटनाओं के कारण भारत में 573 आपदाएं हुईं, जिसमें 1,38,377 लोगों की जान गई।