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अविश्वास में फंसा कांग्रेस- आप का गठबंधन

हरियाणा और पंजाब के बाद दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी (आप) के साथ कांग्रेस के गठबंधन में पेच फंसने के एक नहीं बल्कि अनेक कारण हैं। सबसे बड़ी वजह तो यही है कि आप संयोजक अरविद केजरीवाल को कांग्रेस नेता बिल्कुल भी भरोसेमंद नहीं मानते।इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित और पूर्व अध्यक्ष अजय माकन के बीच 36 का आंकड़ा भी एक अहम कारक कहा जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 09:13 PM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 09:13 PM (IST)
अविश्वास में फंसा कांग्रेस- आप का गठबंधन
अविश्वास में फंसा कांग्रेस- आप का गठबंधन

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली :

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हरियाणा और पंजाब के बाद दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी (आप) के साथ कांग्रेस के गठबंधन में पेच फंसने के एक नहीं बल्कि अनेक कारण हैं। सबसे बड़ी वजह तो यही है कि आप संयोजक अरविद केजरीवाल को कांग्रेस नेता बिल्कुल भी भरोसेमंद नहीं मानते। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित और पूर्व अध्यक्ष अजय माकन के बीच 36 का आंकड़ा भी एक अहम कारक कहा जा सकता है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के मुताबिक आप एक क्षेत्रीय पार्टी से इतर अपनी जगह बना ही नहीं पाई है। इसलिए लोकसभा के स्तर पर वह कहीं मुकाबले में नहीं ठहरती। दिल्लीवासी इससे भी भली भांति परिचित हैं कि प्रधानमंत्री कांग्रेस या भाजपा से ही बनना है। ऐसे में अगर दिल्ली में वे आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों जीता भी देंगे तो वह कुछ नहीं कर पाएंगे। दूसरी तरफ पार्टी नेता आप के सहयोग से 2013 में 49 दिन के लिए दिल्ली में बनी कांग्रेस की गठबंधन सरकार के कार्यकाल को भी बेहतर अनुभव नहीं मानते।

ं एक पेच यह भी सामने आया है कि गठबंधन होने की स्थिति में सबसे अधिक फायदा नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से संभावित प्रत्याशी अजय माकन को होता नजर आ रहा है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी उस पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट को छोड़ने के लिए भी तैयार नहीं है जहां से 10 साल तक शीला दीक्षित के सुपुत्र संदीप दीक्षित सांसद रहे थे। शीला को यह दोनों ही चीजें गंवारा नहीं है।

पिछले दिनों विधानसभा सत्र में रखे गए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने संबंधी प्रस्ताव ने भी कांग्रेस नेताओं को गठबंधन के खिलाफ बड़ा मुद्दा दे दिया है। आप की घटती विश्वसनीयता और गिरते ग्राफ का तर्क भी दिया जाता रहा है। गठबंधन के खिलाफ शीला का यह तर्क भी राहुल के लिए दरकिनार करना मुश्किल रहा है कि, हम दिल्ली में दोबारा से अपने पांव पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप के साथ गठबंधन किया गया तो इस कोशिश पर पानी फिर जाएगा। कुछ ही महीने बाद हमें विधानसभा चुनाव भी लड़ना है। इसलिए हमें अपने दम पर ही चुनाव लड़ना चाहिए। -----------

कुछ बड़े नेता चुनाव लड़ने से कर सकते हैं इन्कार

आप के साथ गठबंधन नहीं होने की सूरत में दिल्ली कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा भी कर सकते हैं। ऐसे नेताओं का तर्क है कि पार्टी फिलहाल अपने दम पर जीतने की स्थिति में नहीं है और हारने के लिए चुनाव लड़ना कोई समझदारी नहीं है। वह भी तब जब चुनाव का खर्च करोड़ों रुपये बैठता हो।


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