Delhi Mayor Shelly Oberoi: लंबी लड़ाई के बाद शैली को 38 दिन के लिए मिली कुर्सी, चुनौतियां पहाड़ जैसी
Shelly Oberoi आप की महापौर के आ जाने से यह उम्मीद की जा रही है कि फंड के लिए निगम और दिल्ली सरकार के बीच रार होने की संभावना नहीं के बराबर है। मगर वह सब समस्याएं बरकार हैं जिनसे दिल्ली वाले पिछले 15 साल से जूझ रहे हैं।
By V K ShuklaEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 23 Feb 2023 12:02 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आम आदमी पार्टी (आप) की शैली ओबराय (Shelly Oberoi) दिल्ली की महापौर अवश्य बन गई हैं, लेकिन जिस दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर भाजपा ने लगातार डेढ़ दशक तक शासन किया, उसे संभालना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। निगम इन 15 वर्षों में निगम के एकीकरण व उससे पहले भी आर्थिक तंगी व भ्रष्टाचार जैसे कई संघर्षों से जूझा है।
यही नहीं, आत्मनिर्भर बन पाने में विफल रहने के कारण आर्थिक मोर्चे पर पिछड़ने पर दिल्ली की आप सरकार के साथ पैसों को लेकर उसकी खींचतान भी लगातार चलती रही है। सफाई व्यवस्था सुधार पाने में विफल निगम विकास की योजनाओं के मामले में भी हमेशा आर्थिक समस्या में रहा है।
ऐसे में इन चुनौतियों से शैली का भी सामना होगा, जिससे उन्हें पार पाना होगा। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नगर निगम की व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।
AAP के वादों को पूरा करने की चुनौती
सफाई कर्मचारियों से लेकर अन्य कर्मचारी और डाक्टरों तक को अपने वेतन के लिए जूझना पड़ा है। तीन-तीन माह तक उन्हें वेतन नहीं मिला है। तमाम धरना प्रदर्शन से लेकर हड़ताल तक इसी मुद्दे पर होते रहे हैं।
हालांकि इस दौरान नगर निगमों की सत्ता में काबिज रही भाजपा दिल्ली सरकार पर निगम का फंड रोक लेने का आरोप लगाती रही है तो आप सरकार भी आंकड़ों के साथ पूरा फंड देने की बात कहती रही है। आप सरकार कर्मचारियों के वेतन का पैसा दूसरे मदों में खर्च कर देने का आरोप लगाती रही है।
अब निगम में आप की महापौर के आ जाने से यह उम्मीद की जा रही है कि फंड के लिए निगम और दिल्ली सरकार के बीच रार होने की संभावना नहीं के बराबर है। मगर वह सब समस्याएं बरकार हैं जिनसे दिल्ली वाले पिछले 15 साल से जूझ रहे हैं।
बड़ा मुद्दा यही है कि दिल्ली में कूड़े के पहाड़ कैसे हटेंगे, जिनके नाम पर चुनाव लड़कर आप निगम की सत्ता में आई है। गंदगी की समस्या कैसे दूर होगी? इसके लिए किसी जादू की छड़ी की उम्मीद करना बेईमानी जरूर है मगर इस समस्या को दूर कर पाना आसान भी नहीं होगा।
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