'ऐसे तो नहीं बचेगा लोकतंत्र, यह आम बात नहीं है', केंद्र के अध्यादेश पर संजय सिंह का हल्लाबोल
Sanjay Singh Press Conference केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार रात को लाए अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी लगातार हमलावर है अब जानकारी आ रही है कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह प्रेस वार्ता करने वाले हैं।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Sanjay Singh Press Conference: केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार रात को लाए अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी लगातार हमलावर है और आप नेता एक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं। अब जानकारी आ रही है कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह प्रेस वार्ता कर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है।
उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे पीएम नरेंद्र मोदी जी एक लोकप्रिय नेता अरविंद केजरीवाल से डरे हुए हैं। वो केजरीवाल सरकार को दिल्ली की जनता के लिए काम नहीं करने दे रहे हैं। वह चाहते हैं कि दिल्ली में लोगों को फ्री बिजली, फ्री राशन नहीं मिलना चाहिए।
नहीं मानते संविधान: संजय सिंह
आठ साल की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता है। जिसमें कहा जाता है कि दिल्ली की सरकार के पास अधिकारियों को ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार होगा, लेकिन मोदी जी की सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले को एक अध्यादेश के बदल देते हैं। यह एक तुगलकी अध्यादेश है जो संविधान के खिलाफ है। यह सवाल है कि यह संविधान बचेगा या नहीं बचेगा। यह आपातकाल की स्थिति है, आप न्यायालय का फैसला बदल से हैं। ऐसी तानाशाही कि आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल देते हैं।
Senior AAP leader & Rajya Sabha Member @SanjayAzadSln addressing an important press conference | LIVE https://t.co/FirX0w1Fn9
— AAP (@AamAadmiParty) May 20, 2023
एलजी पर भी बोला हमला
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली का गैर चुना हुआ एलजी दिल्ली की 2 करोड़ जनता से ऊपर है तो यहां चुनाव कराने का क्या मतलब रह गया है। कोई भी परिवर्तन और अध्यादेश संविधान से ऊपर नहीं है। पीएम चाहते हैं कि दिल्लीवासी परेशान रहने चाहिए, क्योंकि उन्होंने केजरीवाल को चुना है।
आतिशी ने भी केंद्र पर बोला हमला
इससे पहले आप नेता और दिल्ली सरकार की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने प्रेस वार्ता कर केंद्र सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा- आम आदमी पार्टी ने केंद्र द्वारा कल रात लाए गए अध्यादेश को लेकर आज सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि यह अध्यादेश लोकतंत्र की हत्या करने के लिए लाया गया है। यह अध्यादेश दिल्ली की शक्तियों को गैर संवैधानिक तरीके से छीनने का प्रयास है। यह केंद्र का पहला प्रयास नहीं है। जब 2015 में आम आदमी पार्टी 67 सीट जीतकर आई तो भाजपा की सरकार ने तीन महीने के अंदर-अंदर एक गैर-कानूनी नोटिस जारी कर अरविंद केजरीवाल सरकार की ताकत छीनने की कोशिश करी।
आतिशी आगे बोलीं कि आठ साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास पूरी ताकत है और यह ताकत है अफसरों की जवाबदेही, अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग, भ्रष्ट अफसरों पर एक्शन लेने की ताकत है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब हुआ कि अगर दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को चुना है तो निर्णय लेने की ताकत अरविंद केजरीवाल के पास है। लैंड, लॉ-एंड ऑर्डर और पुलिस को छोड़कर निर्णय लेने की ताकत अरविंद केजरीवाल की है लेकिन भाजपा से यह सहन नहीं हुआ।
क्या है अध्यादेश
अध्यादेश की बात करें तो इसमें कहा गया है कि दिल्ली भारत की राजधानी है, जो सीधे राष्ट्रपति के अधीन है। ऐसे में अधिकारियों के फेरबदल का अधिकार राष्ट्रपति के अधीन रहेगा। इस अध्यादेश के अनुसार राजधानी में अब अधिकारियों का तबादला और नियुक्ति नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (एनसीसीएसए) के माध्यम से होगी। इस अध्यादेश में कहा गया है कि इस एनसीसीएसए के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे। मगर मुख्य सचिव व गृह सचिव इसके सदस्य होंगे। मुख्य सचिव व गृह सचिव की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। अधिकारियों की नियुक्ति के विषय में एनसीसीएसए उपराज्यपाल को अनुमोदन करेगी और अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति में अगर कोई विवाद होता है तो आखिरी फैसला दिल्ली के एलजी का मान्य होगा।
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