फिर गरमाया दिल्ली में AAP के चुनाव हारने का मुद्दा, कांग्रेस पर लगाया बीजेपी पर मिलीभगत करने का आरोप
दिल्ली में आप की 2025 के चुनावों में हार का मुद्दा फिर गरमा गया है। आप नेताओं ने कांग्रेस पर भाजपा के साथ मिलकर उन्हें हराने का आरोप लगाया है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि उन्होंने आप को सत्ता से हटाने के लिए चुनाव लड़ा था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आप की हार के पीछे भ्रष्टाचार के आरोप और नेताओं की छवि भी जिम्मेदार है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। 10 साल तक दिल्ली की सत्ता में रही आम आदमी पार्टी के फरवरी 2025 के चुनाव में एकाएक सत्ता से बेदखल हो जाने का मुद्दा फिर से चर्चा में है। आप सत्ता से बेदखली को भूल नहीं पा रही है।
आप नेता समझ नहीं पा रहे हैं कि हार के पीछे प्रमुख कारण क्या रहे। शायद यही कारण है कि कुछ समय पहले आप नेताओं ने बड़ा आरोप लगाया था कि भाजपा ने वोट चोरी कर उन्हें दिल्ली के सत्ता से बेदखल कर दिया, दिल्ली में बड़े स्तर पर वोट घोटाला किया गया।
मगर सोमवार को आम आदमी पार्टी की तरफ से फिर से एक बड़ा बयान आया है कि दिल्ली में आप कांग्रेस की वजह से चुनाव हार गई। दरअसल दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने एक साक्षात्कार में कहा है कि उन्होंने दिल्ली में पिछला चुनाव आम आदमी पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए लड़ा है।
इसे आप ने हवा दे दी है, यहां तक कि सोमवार को आप के दिल्ली प्रदेश के संयोजक सौरभ भारद्वाज ने प्रेसवार्ता की और सीधे तौर पर एक साजिश के तहत भाजपा से मिलकर आम आदमी पार्टी को हराने का षड्यंत्र करने का कांग्रेस पर आरोप लगाया। उधर राजनीति के जानकारों की मानें तो आप की हार के पीछे कई कारण रहे हैं।
उनकी मानें तो अगर कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी गठबंधन भी कर लेती तो भी कोई इसकी कोई गारंटी नहीं थी कि वह फिर से सत्ता में वापसी कर सकती। उनके अनुसार चुनाव से पहले आप के वरिष्ठ नेताओं की छवि को लेकर जिस तरीके के आरोप लगे और पार्टी के बड़े नेता भ्रष्टाचार के आरोप में महीनाें तक जेल में रहे उसे पार्टी की छवि को बड़ा नुकसान हुआ है और तमाम फ्री की सुविधा देने के बाद भी आप दिल्ली की सत्ता से बाहर हो गई।
अब अगर हम पिछले चुनाव की परिणामों को पर नजर डालें तो साफ होता है कि भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व की आठ की जगह चुनाव में जहां 48 सीटें जीतीं, वहीं आम आदमी पार्टी 62 से सिमटकर 22 पर रह गई। हालांकि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी।
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