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    एक सीट के चुनाव पर क्यों भिड़ गए AAP और LG, केजरीवाल ने बताया असंवैधानिक; बोले- इनकी नीयत में खोट तभी...

    Updated: Fri, 27 Sep 2024 02:50 PM (IST)

    करीब डेढ़ साल से लंबित स्थायी समिति के गठन के लिए समिति के 18 वें सदस्य का चुनाव गुरुवार को दिनभर चली खींचतान और नाटक के बाद नहीं हो पाया। एलजी के हस्तक्षेप के बाद भी बात नहीं बन सकी। AAP ने कहा कि नगर निगम के स्थाई समिति की बैठक की अध्यक्षता कोई अधिकारी नहीं कर सकता है। बता दें अब एक बार फिर उपराज्यपाल और केजरीवाल आमने-सामने हैं।

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    Delhi News: स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव पर केजरीवाल ने उपराज्यपाल पर साधा निशाना।

     जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने शुक्रवार को कहा कि नगर निगम के स्थाई समिति की बैठक की अध्यक्षता कोई अधिकारी नहीं कर सकता है। मगर एलजी ने भाजपा के कहने पर नगर निगम की अध्यक्षता नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त की अध्यक्षता में कराने के निर्देश दिए हैं। आप नेता मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने कहा है कि उनकी पार्टी इसका विरोध करती है। क्योंकि यह कानून संगत नही हैं।

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    नगर निगम ने आज एक बजे जो बैठक बुलाई है, आप उसमें भाग नहीं लेगी। जो नोटिस निकाला गया है वह अवैध है। आप स्थाई समिति के एक सदस्य के लिए आज होने वाले चुनाव (standing committee elections) में भाग नहीं लेगीं। हम 5 अक्टूबर को चुनाव कराएंगे। जरूरत पड़ी तो आप इस मामले में अदालत का रुख करेगी।

    एमसीडी (MCD) के स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव कराने का किए जा रहे प्रयास पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आश्चर्य जताया है। उन्होंने कहा कि इनकी नीयत में खोंट है और ये चुनाव में कुछ न कुछ गड़बड़ करना चाहते हैं, तभी किसी भी तरह चुनाव कराने की ताबड़तोड़ कोशिश कर रहे हैं।

    एलजी साहब ने सारे नियमों को दरकिनार कर एक आईएएस अफसर को सदन की अध्यक्षता करने का आदेश दिया है। जबकि सदन बुलाने और उसकी अध्यक्षता करने का अधिकार सिर्फ मेयर के पास है। नियमानुसार, जब भी सदन बुलाया जाएगा, उसके सदस्यों को उपस्थित होने के लिए कम से कम 74 घंटे का समय दिया जाएगा।

    आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि एमसीडी के कानून में साफ-साफ लिखा है कि सदन की बैठक बुलाने का अधिकार केवल और केवल मेयर के पास है। मेयर के अलावा किसी और को सदन की बैठक बुलाने का अधिकार नहीं है। एमसीडी के सदन की बैठक एलजी साहब या कमिश्नर नहीं बुला सकते। मेयर ही सदन की बैठक बुला सकती है और बैठक की अध्यक्षता भी मेयर ही करेंगी।

    अरविंद केजरीवाल ने कहा कि नियम को दरकिनार कर एलजी साहब ने एमसीडी का सदन बुला दिया और उसकी अध्यक्षता किसी आइएएस अफसर को करने के नामित कर दिया। ऐसे तो कल को यह कहेंगे कि होम सेक्रेटरी लोकसभा की बैठक की अध्यक्षता करेगा। हम लोकतंत्र में रहते हैं।

    इसके अलावा, कानून में लिखा है कि जब भी सदन बुलाया जाएगा, उसमें 72 घंटे का समय दिया जाएगा। कोई पार्षद बाहर चला गया या उपलब्ध नहीं है, तो उसे समय पर पहुंचने के लिए कुछ समय की जरूरत होती है। इनकी नीयत में खोंट नजर आ रही है। चुनाव में कुछ न कुछ गड़बड़ करने की इनकी साजिश नजर आ रही है। इसी वजह से ये किसी भी तरह से चुनाव कराने में ताबड़तोड़ लगे हुए हैं।

    अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे पता चला है कि मेयर ने एमसीडी के कमिश्नर को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने शुक्रवार को दोपहर एक बजे होने वाले स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को गैर कानूनी और असंवैधानिक घोषित कर दिया है। साथ ही कमिश्नर को आदेश दिया है कि आज यह चुनाव न कराया जाएगा।

    MCD मेयर शैली ओबरॉय ने क्हा कहा?

    दिल्ली MCD मेयर शैली ओबरॉय (Shelly Oberoi) ने कमिश्नर द्वारा घोषित स्टैंडिंग कमेटी के 6वें सदस्य के चुनाव को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए चुनाव को अमान्य घोषित किया। ओबरॉय ने बताया कि DMC एक्ट सेक्शन 74, 76 और रेगूलेशन 23 के तहत हाउस मीटिंग से 72 घंटे पहले लिस्ट ऑफ बिजनेस सभी सदस्यों को देना अनिवार्य है।

    सदन का पीठासीन अधिकारी एक चुना हुआ प्रतिनिधि ही हो सकता है। ना की कोई अधिकारी। मेयर के आदेश का उल्लंघन डीएमसी एक्ट और संविधान का उल्लंघन है। 5 अक्टूबर को सदन की अगली बैठक की जानकारी पूर्व में दिए जाने के कारण कई पार्षद दिल्ली से बाहर चले गए हैं।

    क्यों महत्वपूर्ण है स्थायी समिति का गठन

    दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति वह सर्वोच्च कमेटी है, जिसके पास वित्तीय अधिकार हैं। यानी पांच करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार स्थायी समिति के पास है। ऐसे में स्थायी समिति का गठन न होने से दिल्ली में एमसीडी के करीब 200 प्रस्ताव लंबित पड़े हैं। इसमें पांच बड़े प्रस्ताव हैं।

    जिससे निगम का काम प्रभावित हो रहा है। मध्य जोन में कूड़ा उठाने के कार्य से लेकर भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल का कूड़ा निस्तारण की परियोजना भी स्थायी समिति की मंजूरी के लिए लंबित है। इसके साथ ही नरेला-बवाना में एक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना की मंजूरी भी लंबित है। इतना ही नहीं 100 के करीब ले आउट प्लान की मंजूरी भी स्थायी समिति के लिए लंबित है।

    चुनाव में यह बनी विवाद की वजह

    दिल्ली नगर निगम चुनाव में निगम सचिव के उस आदेश से आप पार्षद नाराज थे, जिसमें सदन में मोबाइल लाना प्रतिबंधित किया गया था। पार्षदों का कहना था कि पुलिस उनकी तलाशी नहीं ले सकती है और मोबाइल ले जाने की अनुमति होनी चाहिए।

    वह जब मतदान करेंगे, तो मोबाइल मतदान केंद्र के अंदर लेकर नहीं जाएंगे। पुलिस अधिकारियों ने पार्षदों की मांग को खारिज कर दिया। इस बीच आप पार्षद यह नारे लगाते रहे कि मेयर हमारा, राज तुम्हारा नहीं चलेगा। साथ ही निगमायुक्त और दिल्ली पुलिस हाय-हाय के नारे लगाए गए।

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