कैसा रहा AAP का 12 साल का सफर? सलाखों के पीछे तो कभी ऊंचाइयों को छूते नजर आए केजरीवाल; पढ़ें संघर्ष की पूरी कहानी
आम आदमी पार्टी आज अपना 12वां स्थापना दिवस मना रही है। इस दौरान पार्टी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। दो राज्यों में पूर्ण बहुमत की सरकारों को मिलाकर पांच राज्यों में आप के विधायक हैं। लेकिन इस दौरान पार्टी विवादों में भी घिरी है। पार्टी के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। अरविंद केजरीवाल से लेकर मनीष सिसोदिया तक कई नेताओं को जेल भी जाना पड़ा है।

वी के शुक्ला, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी का आज स्थापना दिवस है।आज के ही दिन 2012 को आप की स्थापना हुई थी। 12 साल में आम आदमी पार्टी ने कई उतार चढ़ाव देखें हैं, दो राज्यों में पूर्ण बहुमत की सरकारों को मिलाकर पांच राज्यों में आप के विधायक हैं। मगर इस दौरान आप विवादों में भी घिर गई है।
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से लेकर प्रमुख नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में जा चुके हैं जेल।इन्हीं आरोपों के चलते अरविंद केजरीवाल को अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा है।
अन्ना आंदोलन में प्रमुख रूप से दिखे थे केजरीवाल
आम आदमी पार्टी के इतिहास की की बात करें तो भ्रष्टाचार के खिलाफ 2011 में खड़े हुए अन्ना आंदोलन में अरविंद केजरीवाल प्रमुख रूप से दिखते थे। वहां से निकलकर उन्होंने आप का गठन 2012 में किया। इसी को लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करने वाली अन्ना हजारे और केजरीवाल में मन मुटाव हुआ इसके बाद हजारे ने केजरीवाल से दूरी बना ली थी।
राजनीति में आने पहले आईआरएस अधिकारी बने थे केजरीवाल
आईआरएस अधिकारी रहे केजरीवाल पार्टी के गठन के एक साल बाद ही 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरे। आम आदमी पार्टी ने पहला चुनाव लड़ा। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में आप दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसे 28 सीटें मिलीं।कांग्रेस ने उसे बाहर से समर्थन दिया और दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बन गई, लेकिन यह सरकार अधिक दिनों तक नहीं चल सकी, 49 दिन बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया।
2014 का लोकसभा चुनाव देश की 400 सीटों पर लड़ा
इसके बाद आप ने 2014 का लोकसभा चुनाव देश की 400 सीटों पर लड़ा। केजरीवाल वाराणसी से नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े।केजरीवाल चुनाव हार गए।आप के हाथ कुछ नहीं लगा।दिल्ली में भी एक भी सीट नहीं मिली।उनकी पार्टी सिर्फ पंजाब में चार सीटों पर जीत दर्ज कर सकी।इसके बाद केजरीवाल ने सिर्फ दिल्ली पर फोकस किया।
कुमार विश्वास भी आप से बना चुके हैं दूरी
2015 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की,आप को 70 में से 67 सीटें मिलीं, लेकिन इस बीच पार्टी में अंतर्कलह सामने आने लगी।अप्रैल 2015 में पार्टी के संस्थापक सदस्यों योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और प्रो. आनंद कुमार को आप से निष्कासित कर दिया गया।इसमें बड़े नेताओं में अंतिम बार 2018 में पार्टी छोड़ने वालों में नेता आशीष खेतान रहे हैं।इससे कुछ समय पहले ही आशुतोष ने आप छोड़ दी थी। कुमार विश्वास भी आप से दूरी बना चुके हैं।
अप्रैल 2017 में भाजपा ने दिल्ली नगर निगम पर लगातार तीसरी बार कब्जा किया।उनकी पार्टी के 272 में से सिर्फ 48 पार्षद जीत सके। 2017 में केजरीवाल ने फिर अपनी पार्टी को पंजाब विधानसभा चुनाव में उतारा और 117 में से 20 सीटें हासिल की।2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से उन्हें झटका लगा, जब भाजपा ने फिर से दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें जीत लीं।
आप ने 2020 के चुनाव में 70 में से 62 सीटें जीतीं
इस चुनाव के बाद केजरीवाल ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। केजरीवाल ने मोदी विरोध लगभग खत्म कर दिया और सिर्फ अपने काम का जिक्र करना शुरू कर दिया। केजरीवाल ने 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में भी 70 में से 62 सीटें जीत कर पूर्ण बहुमत प्रााप्त किया।
पंजाब में भी रचा इतिहास
इसके बाद उनके नेतृत्व में 10 मार्च 2022 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से आप ने 92 सीटें जीतीं थीं जो गत उपचुनाव में तीन सीटें जीतने के बाद 95 हो गई हैं। वहीं 11 मार्च 2022 को आए गोवा विधानसभा के चुनाव परिणाम में आप को दो सीटें मिलीं। सात दिसंबर 2022 को दिल्ली नगर निगम के आए चुनाव परिणाम में आप ने 250 में से 134 सीटों जीतकर दर्ज की।
आठ दिसंबर 2022 को गुजरात विधानसभा के आए चुनाव परिणाम में आप को पांच सीटें मिलीं। मगर हिमाचल विधानसभा चुनाव में उन्हें एक भी सीट नहीं मिली और प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।पिछले विधानसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में भी आप को एक सीट मिली है।
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आप पर आरोपों की बात करें तो आबकारी घोटाले मामले में उस समय के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 18 माह जेल में रहने के बाद अब जमानत पर बाहर हैं। उस समय के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल करीब पांच माह जेल में रहने के बाद जमानत पर हैं आप से राज्यसभा सदस्य संजय सिंह चार माह जेल में रहने के बाद जमानत पर हैं। मनी लाॉन्ड्रिंग के अन्य मामले में उस समय के शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन दो साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद जमानत पर हैं।

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