Delhi: स्थायी समिति के चुनाव से पहले BJP फिर कर सकती है खेल, निगम पार्षदों को लेकर अब ज्यादा सतर्क हुई AAP
दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के चेयरमैन पद के चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) सतर्क हो गई है। पांच निगम पार्षदों के भाजपा में शामिल होने से आप को झटका लगा है। आम आदमी पार्टी को आशंका है कि भाजपा चुनाव से पहले और पार्षदों को तोड़ने की कोशिश कर सकती है। आप ने प्रमुख कार्यकर्ताओं को पार्षदों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं।

वी के शुक्ला, नई दिल्ली। पांच निगम पार्षदों के भाजपा में शामिल हो जाने से आम आदमी पार्टी को झटका लगा है। इसके चलते अब आप निगम पार्षदों को लेकर और सतर्क हो गई है। आप को आशंका है कि निगम की स्थायी समिति के चुनाव तक भाजपा उनके और पार्षदों को तोड़ने का प्रयास कर सकती है।
आठ जमीनी नेता भाजपा में हो चुके शामिल
इसलिए पार्टी ने अपने प्रमुख कार्यकर्ताओं को निगम पार्षदों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। आप को निगम पार्षदों को लेकर डर इसलिए भी है, क्योंकि दिल्ली नगर निगम में दलबदल कानून लागू नहीं है। राजनीतिक हालात की बात करें तो पिछले 13 माह में आप के पांच निगम पार्षदों को जोड़ कर आठ जमीनी नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
इसमें कुछ माह पहले तक दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजकुमार आनंद का नाम प्रमुख है। आनंद ने एकाएक मंत्री पद के साथ आप से भी इस्तीफा दे दिया और लोकसभा चुनाव बसपा की सीट से लड़ा, फिर चुनाव बाद भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में शामिल होने वाले आप के छतरपुर से विधायक करतार सिंह भी शामिल हैं।
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राज कुमार बल्लन भाजपा में फिर लौटे
जुलाई 2023 में राज कुमार बल्लन भी भाजपा में फिर से लौट आए हैं। वह जून 2021 में भाजपा छोड़ आप में शामिल हो गए थे। उत्तर पूर्वी जिला में प्रभाव रखने वाले बल्लन को आप ने गाजीपुर सब्जी मंडी समिति का चेयरमैन बनाकर सम्मान दिया था। इन तीनों नेताओं को अलग भी कर दें तो इस समय भाजपा और आप के लिए केंद्र बिन्दु निगम की स्थायी समिति का चेयरमैन पद है।
वर्तमान में भाजपा और आप की स्थिति है बराबर
एमसीडी में इस समय आप के 127 पार्षद हैं, जबकि भाजपा के पास 112 पार्षद हो गए हैं। निगम की स्थायी समिति के लिए 18 सदस्य होते हैं। इसमें 12 प्रत्येक निगम जोन से एक-एक के हिसाब से चुनकर आते हैं।
छह निगम के सदन से चुने जाते हैं। आप से पांच पार्षद भाजपा में शामिल हो जाने से अब भाजपा 12 में से सात जोन से अपने स्थायी समिति के लिए अपने सदस्य जिता लेने की स्थिति में है। वहीं आप पांच जोन में अपने प्रत्याशियों को सदस्य का चुनाव जीता पाने के लिए मजबूत स्थिति में है। निगम सदन में बहुमत होने से आप छह में से सदस्यों के चार पद जीत लेगी, जबकि दो पद भाजपा को मिल सकते हैं।
इस लिहाज से स्थायी समिति के लिए भाजपा और आप बराबर की स्थिति में हैं। अब ऐसी स्थिति में भाजपा किसी और एक जोन से अपना सदस्य बना लेती है तो स्थायी समिति के लिए उसकी राह आसान होगी। यही वह कारण है जो आप को परेशान कर रहा है।
स्थायी समिति का चुनाव जीतने की जुगत में लगी AAP
आप सूत्रों की मानें तो स्थायी समिति के चेयरमैन पद को पाने के लिए भाजपा पूरी कोशिश कर रही है। यही वह चिंता है जो आप को परेशान कर रही है, क्योंकि जो पांच आप पार्षद भाजपा में शामिल हुए हैं, वे निगम सदस्यों की स्थिति को देखते हुए ही शामिल किए गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि आप पूरी तरह से अपने उन पार्षदों पर नजर रख रही जो कमजोर कड़ियों में गिने जाते हैं। आप भी भाजपा के पार्षद तोड़ने की जुगत में है। अगर आप एक और जोन से स्थायी समिति का सदस्य बना लेती है तो उसे स्थायी समिति का चेयरमैन का पद मिल जाएगा।
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