फेसबुक, ट्विटर और गूगल की याचिकाओं पर सुनवाई से दिल्ली हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने खुद को किया अलग, जानिए योग गुरु बाबा रामदेव से क्या है नाता?
सितंबर 2018 में हाई कोर्ट ने गाडमैन टू टाइकून द अनटोल्ड स्टोरी आफ बाबा रामदेव पुस्तक के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा कि जब तक प्रकाशक रामदेव के खिलाफ लिखे गए कुछ मानहानि वाले हिस्से को हटा नहीं देते इस पर रोक रहेगी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ मानहानि के आरोपों वाले वीडियो लिंक हटाने के एक आदेश को चुनौती देने वाली फेसबुक, ट्विटर और गूगल की याचिकाओं पर सुनवाई से दिल्ली हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने खुद को अलग कर लिया। यह याचिका न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी। खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति सांघी ने याचिकाओं पर सुनवाई से इन्कार कर दिया और कहा कि इन्हें 21 मार्च को एक अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए भेजा जाए, जिसमें वह सदस्य नहीं हैं।
बता दें कि सितंबर 2018 में हाई कोर्ट ने 'गाडमैन टू टाइकून : द अनटोल्ड स्टोरी आफ बाबा रामदेव' नामक पुस्तक के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि जब तक प्रकाशक रामदेव के खिलाफ लिखे गए कुछ मानहानि वाले हिस्से को हटा नहीं देते, इस पर रोक रहेगी। किसी ने इस पुस्तक के कुछ अंश शामिल कर वीडियो इंटरनेट मीडिया पर अपलोड किए थे।
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 23 अक्टूबर 2019 को फेसबुक, ट्विटर, गूगल और गूगल की अनुषंगी कंपनी यूट्यूब को रामदेव के खिलाफ मानहानि के आरोपों वाले वीडियो के लिंक वैश्विक स्तर पर हटाने, निष्कि्रय या ब्लाक करने का निर्देश दिया था। एकल पीठ ने अपने निर्णय में कहा था कि अपमानजनक सामग्री तक केवल भारतीयों की पहुंच बाधित करना काफी नहीं होगा, क्योंकि यहां रहने वाले अन्य माध्यमों से उस तक पहुंच हासिल कर सकते हैं। इसलिए वैश्विक स्तर पर ऐसी सामग्री को हटाना होगा। पीठ ने यह भी कहा था कि पहुंच बाधित करने को आंशिक नहीं, बल्कि पूर्ण बाधित करने के रूप में लिया जाना चाहिए। एकल पीठ के इस आदेश को फेसबुक, ट्विटर और गूगल ने चुनौती दी है।
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