'बच्ची से दुष्कर्म करने वाला किसी नरमी का हकदार नहीं', उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कोर्ट की सख्त टिप्पणी
साकेत जिला कोर्ट ने छह साल पहले एक छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि दोषी किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है। पीड़िता को हुए शारीरिक और मानसिक आघात का आंकलन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने 21 मार्च को आरोपित को दोषी करार दिया था।

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। साकेत जिला कोर्ट ने आठ साल पहले छह साल बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनु अग्रवाल की कोर्ट ने कहा कि दोषी किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है। कोर्ट ने 21 मार्च को आरोपित को दोषी करार दिया था।
कोर्ट ने आइपीसी और पॉक्सो अधिनियम की धारा छह (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत दुष्कर्म के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद व्यक्ति की सजा पर दलीलें सुन रही थी। कोर्ट ने कहा कि बाल यौन शोषण के बड़े और गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह पीड़िता के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जो उसे जीवन भर परेशान करता है। बच्चे को बहुत अधिक आघात का सामना करना पड़ता है, जो दिखाई भी नहीं देता।
आरोपी ने पार्क में खेल रही बच्ची के साथ किया था दुष्कर्म
कोर्ट ने फैसले में कहा कि दोषी को पॉक्सो अधिनियम की धारा छह के तहत आजीवन कठोर कारावास भुगतना होगा। वह अपने बाकी के जीवन कारावास भुगतेगा। आरोपित ने बच्ची का पार्क में खेलते समय अपहरण कर उसका यौन उत्पीड़न किया था। आरोपित ने बच्ची को गंभीर चोट भी पहुंचाई थी।
पीड़िता 15 दिनों तक रही थी अस्पताल में भर्ती
पीड़िता को चिकित्सा सर्जरी करानी पड़ी और वह लगभग 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही। कोर्ट ने कहा कि छोटी बच्ची ने जो शारीरिक दर्द और मानसिक आघात सहन किया उसका आंकलन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि आरोपित का नाम गलत हो सकता था, लेकिन पीड़िता ने उसे पहचान लिया था। जब पीड़िता को उसकी जांच के दौरान वीडियो लिंक के माध्यम से आरोपित दिखाया गया, तो उसने उसको पहचान लिया। बच्ची ने आरोपित को देखकर उसने अपना चेहरा सहायक की गोद में छिपा लिया।
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