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    Kisan Andolan: इंटरनेट मीडिया पर दिनभर ट्रेंड करता रहा किसानों के प्रदर्शन का 300 दिन, देखिए दिल को छू लेने वाली कुछ तस्वीरें

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 23 Sep 2021 12:16 PM (IST)

    Kisan Andolan तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर 27 नवंबर 2021 से धरना प्रदर्शन जारी है। दिल्ली-एनसीआर के गाजीपुर सिंघु टीकरी ढांसा और सिरहौल बार्डर सहित कई रास्ते 10 माह से प्रभावित हैं। इससे लाखों लोगों को परेशानी हो रही है।

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    दिल्ली की तीनों सीमाओं पर 300 दिनों से किसानों का प्रदर्शन जारी है।

    नई दिल्ली, विनय तिवारी। Kisan Andolan: केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का चल रहा धरना प्रदर्शन अभी भी जारी है। दिल्ली की सीमाओं पर इस प्रदर्शन को लगभग 300 दिन हो चुके हैं। प्रदर्शन को 300 दिन पूरे होने पर इंटरनेट मीडिया ट्विटर पर हैशटैग के साथ #300DaysOfFarmersProtest पूरे दिन ट्रेंड करता रहा। देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी कई जगह इसकी तस्वीरें देखने को मिली। हम आपको इस खबर में दिखा रहे आंदोलन से जुड़ी कुछ ऐसी ही मनमोहक तस्वीरें..

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    इंटरनेट पर #300DaysOfFarmersProtest को टैग करते हुए किसानों को समर्थन करने वालों ने हजारों ट्वीट किए। इन ट्विटरों में किसानों को दिल्ली की सीमा में घुसने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से लगाए गए बेरिकेड और अन्य साधनों की तस्वीरें भी ट्वीट की गई।


    इसके अलावा धरना स्थलों पर बैठे किसानों, आंदोलन में शामिल महिलाओं और छोटी बच्चियों की तस्वीरें भी ट्वीट की गई।


    दरअसल केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर 27 नवंबर, 2021 से धरना प्रदर्शन जारी है।


    दिल्ली-एनसीआर के गाजीपुर, सिंघु, टीकरी, ढांसा और सिरहौल बार्डर सहित कई रास्ते वाहन चालकों के लिए 10 माह से अधिक समय से प्रभावित हैं।


    ये मेन रास्ते बंद होने से लाखों वाहन चालकों को रोजाना परेशानी हो रही है। सबसे ज्यादा वे लोग प्रभावित हो रहे हैं, जो दैनिक आजीविका के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजधानी के अन्य सीमावर्ती इलाकों से प्रतिदिन दिल्ली आते-जाते हैं।

    रास्ता खुलवाने के लिए कई बार इन प्रदर्शनकारियों से स्थानीय लोगों की झड़प हो चुकी है।

    सरकार बार-बार बातचीत पर जोर दे रही है। सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर प्रदर्शनकारियों से कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। कृषि कानून विरोधियों को जिद का रास्ता छोड़ देना चाहिए।


    अगर प्रदर्शन करना ही है तो सड़क को छोड़कर किसी मैदान में बैठकर करना चाहिए जिससे लोगों को आजीविका चलाने के लिए आने-जाने में समस्या नहीं होगी। दूसरे देशों में प्रदर्शन की अलग व्यवस्था है।



    मुख्य सड़क मार्ग अवरुद्ध होने से फैक्टियों और बाजारों तक पहुंचने के लिए निकटवर्ती गांवों से गुजरने वाले संकरे रास्तों का उपयोग करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप परिवहन की लागत और लोगों के आवागमन में लगने वाला समय पहले की अपेक्षा दोगुना हो गया है।



    पर्याप्त कामगारों के नहीं पहुंचने से अनेक फैक्टियों में उत्पादन शिथिल अथवा बंद हो गया है, लेकिन फेक्टियों के स्थायी खर्चे जैसे बिजली का बिल, वेतन, ब्याज, सुरक्षा आदि पूर्ववत जारी है।


    इन सबके फलस्वरूप उद्यमियों को भारी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है।