आखिर क्या है 30 जून, 2018 की उस आधी रात का पूरा सच, 1 जुलाई को दंग रह गया था हिंदुस्तान
2018 Delhi Burari Case हैरानी की बात यह थी कि घर का दरवाजा खुला। सुबह पहुंचे एक शख्स ने पाया कि परिवार के 10 सदस्य फंदे पर लटके थे।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। 2018 Delhi Burari Case: देश-दुनिया को हिला देने वाले दिल्ली के बुराड़ी सामूहिक आत्महत्या कांड को आज 2 साल पूरे हो गए। 1 जलाई की सुबह चुड़ावत परिवार के 11 सदस्य घर में मृत पाए गए थे। हैरानी की बात यह थी कि घर का दरवाजा खुला। सुबह पहुंचे एक शख्स ने पाया कि परिवार के 10 सदस्य फंदे पर लटके थे। उसने यह जानकारी गली के लोगों के साथ पुलिस को भी दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने 10 लोगों के अलावा, परिवार की मुखिया नारायण देवी (77) का शव घर के दूसरे कमरे में फर्श पर पाया था। दिल्ली पुलिस के लिए बुराड़ी फांसी कांड एक रहस्य से कम नहीं था। जांच के दौरान पुलिस ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। 30 जून, 2018 की रात को बुराड़ी के संतनगर की गली में अपने घर पर चुड़ावत परिवार के 11 सदस्यों ने आत्महत्या कर ली थी। आइये जानते हैं पुलिस जांच के आधार पर 30 जून, 2018 की रात को क्या हुआ था, जब 11 लोग झूल गए थे फांसी पर।
भूलवश हुई थी 11 लोगों की मौत
पुलिस ने जांच के दौरान बुराड़ी फांसी कांड के मास्टमाइंड ललित की कई डायरी बरामद की थी। इन डायरी को पढ़ने के दौरान पुलिस ने पाया कि ललित मानसिक रोगी था। उसने अपने मन में कल्पनाओं का पूरा संसार रचा था। जांच में जुटी पुलिस ने अंतिम नतीजे पर पहुंचने के लिए ललित की साइक्लोजिकल अटॉप्सी कराई थी। डायरी की बातों और साइक्लोजिकल अटॉप्सी से पता चला था कि ललित को ऐसा लगता था कि फांसी पर लटकने के बाद उसे भगवान बचा लेंगे। ललित समेत सभी 11 सदस्यों को ललित ने यही बताया था कि फांसी के फंद पर लटकने के कुछ समय के भीतर ही सबको भगवान बचा लेगा। परिवार के लोगों ने भरोसा करके फांसी लगाई और सभी 11 सदस्य फांसी पर झूल गए और कुछ देर बाद सभी की मौत हो गई।
अनुष्ठान का दिया गया था नाम
ललित की डायरी का अध्ययन करने पर पुलिस को पता चला था कि वह अनुष्ठान कराकर परिवार के लिए अच्छा समय लाना चाहता था। परिवार के सदस्य इसलिए राजी हुए कि वह दावा करता था- 'मैं आत्माओं से बात करता हूं।' हैरानी की बात है कि परिवार के सभी सदस्य ललित के दावे पर 100 फीसद यकीन भी कर लेते थे। उसने इस पूरी प्रक्रिया को अनुष्ठान का नाम दिया था। आखिरकार पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि परिवार के मुखिया ललित के कहने पर की जा रही क्रिया के दौरान दुर्घटनावश मौत हो गई।
जांच के दौरान घर में कई रजिस्टर मिले थे। इसको पढ़ने पर पता चला था कि मास्टरमाइंड ललित तंत्र-मंत्र का शिकार था। दरअसल, ललित के पिता भोपाल दास की 2007 में मौत हो गई थी। ललित का दावा था कि अपने पिता की आत्मा के संपर्क में था। वह उसके सपने में आते थे। वह उनसे बातें करता था।
मनोचिकित्सकों और विशेषज्ञों का बुराड़ी फांसी कांड को लेकर कहना है कि ललित ‘शेयर्ड साइकोटिक डिस्ऑर्डर’ का शिकार था। ऐसी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति अपने करीबी के संबंध में मन में पहले से स्थापित किए गए भ्रम की स्थिति होती है। वह इसे सच मानकर और इसके आधार पर अपने करीबी लोगों को प्रभाव में ले लेता है। इसके बाद रुढ़िवादी तर्कों से डराता है और फिर उन्हें किसी भी काम/अनुष्ठान के लिए मना लेता है। उस रात को भी वही हुआ होगा। ललित के कहने पर सभी लोग राजी हो गए और देश में अब कभी नहीं भूला जाने वाला फांसी कांड हो चुका है।
एक नजर में बुराड़ी फांसी कांड
1 जुलाई को दिल्ली के बुराड़ी इलाके के संत नगर में चुड़ावत परिवार के 11 सदस्य घर में मृत पाए गए थे। परिवार के 10 सदस्य फंदे पर लटके पाये गये थे, जबकि परिवार की मुखिया 77 वर्षीय नारायण देवी का शव दूसरे कमरे में फर्श पर पड़ा मिला था।
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