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Nirbhaya Case: जेल प्रशासन ने फांसी के लिए मांगी नई तारीख, राष्ट्रपति ने खारिज की याचिका

पटियाला हाउस अदालत ने शुक्रवार को फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन से दोषियों की मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 07:25 AM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 07:25 AM (IST)
Nirbhaya Case: जेल प्रशासन ने फांसी के लिए मांगी नई तारीख, राष्ट्रपति ने खारिज की याचिका
Nirbhaya Case: जेल प्रशासन ने फांसी के लिए मांगी नई तारीख, राष्ट्रपति ने खारिज की याचिका

नई दिल्ली, संवाददाता। केंद्र की याचिका पर नोटिस से पहले तिहाड़ जेल प्रशासन ने पटियाला हाउस अदालत में अपनी रिपोर्ट दाखिल की। रिपोर्ट में बताया गया कि विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है और दोषी अक्षय ने याचिका दायर की है। साथ ही तिहाड़ प्रशासन की तरफ से बताया गया कि चूंकि मुकेश और विनय की दया याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं, ऐसे में फांसी की नई तारीख तय की जाए।

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हालांकि इस पर सुनवाई सोमवार के लिए तय की गई है। पटियाला हाउस अदालत ने शुक्रवार को फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन से दोषियों की मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी।

इधर, निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों की फांसी पर रोक लगने के बाद केंद्र सरकार ने शनिवार को हाई कोर्ट में याचिका दायर की। अति आवश्यक सुनवाई के लिए दायर की गई इस याचिका पर अदालत का समय पूरा होने के बावजूद पांच बजे सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर न्यायमूर्ति सुरेश कैथ ने चारों दोषियों, डीजी तिहाड़ और तिहाड़ प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। रविवार को भी इस मामले की सुनवाई होगी।

अति आवश्यक याचिका पर सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि शुक्रवार को दोषियों मुकेश कुमार, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय सिंह की फांसी पर रोक लगा दी गई। दोषियों ने फांसी की सजा रुकवाने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में जो अर्जी लगाई, उसमें कोई भी ठोस कारण नहीं दिया गया था। मेहता ने कहा कि दोषियों ने कानून का गलत इस्तेमाल किया है। दोषी आनंद की सवारी के लिए कानून की प्रक्रिया अपना रहे हैं। ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं कि किसी भी तरह यह जघन्य अपराध अप्रभावित हो जाए।

तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला इतिहास में एक के बाद एक जघन्य अपराधों के रूप में सामने आएगा, जहां अपराधियों ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। दलील में कहा गया कि दुर्भाग्य से सभी कानूनी उपाय समाप्त होने के बाद वे फांसी में देरी के लिए कई आवेदन कर रहे हैं। यदि इस प्रक्रिया का पालन किया जाता है तो यह मामला कभी समाप्त नहीं होगा। दोषी अदालत से गुहार लगा रहे हैं कि मानव जीवन अमूल्य है, लेकिन पीड़ित का भी तो जीवन होता है। सॉलिसिटर जनरल की दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

तीन माह में दूसरा मौका है जब छुट्टी के दिन रविवार को हाई कोर्ट में कोई मामला सुना जाएगा। इससे पहले पिछले साल 2 नवंबर को तीस हजारी अदालत में वकीलों और पुलिस के बीच हुए बवाल के बाद अगले दिन रविवार को हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की थी। अब निर्भया मामले में केंद्र की याचिका को भी रविवार को अपराह्न् तीन बजे सुना जाएगा।

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