1985 Transistor Bomb Blast: 59 में से 30 आरोपी कोर्ट से बरी, दिल्ली-यूपी व हरियाणा में हुई थी 49 की मौत
1985 Delhi Transistor Bomb Blast दिल्ली में 1985 में हुए ट्रांजिस्टर बम धमाकों में 35 बाद दिल्ली कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कुल 59 आरोपितों में से 30 बरी कर दिया है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। 1985 Delhi Transistor Bomb Blast : साकेत कोर्ट ने 10 मई 1985 को हुए ट्रांजिस्टर बम धमाकों के 59 आरोपितों में से 30 आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने मामले की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि जांच में कई खामियां हैं। जांच एकतरफा और अनुचित है। 10 मई 1985 को दिल्ली और उसके आसपास के कई इलाकों में बम धमाके हुए थे। इनमें यूपी, हरियाणा और दिल्ली के 49 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 127 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज संदीप यादव ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस जांच रिपोर्ट बेहद दोषपूर्ण है। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
वर्ष- 1985 में ट्रांजिस्टर बम धमाकों में बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 59 लोगों को गिरफ्तार किया था। मामले में साकेत कोर्ट ने पांच मार्च को अपना फैसला सुनाया। इसमें कोर्ट ने 30 लोगों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा है कि इस तरह की दोषपूर्ण जांच के आधार पर आरोपितों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जो सुबूत अदालत के सामने लाए गए उनसे साफ है कि इस मामले की जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न व्यक्तियों को बिना किसी सुबूत के उठा लिया और उन पर दबाव डालने और यातना देने के बाद उनसे जबरन मनमाफिक बयान दिलवाया गया। उन लोगों को चेतावनी दी गई थी कि अगर वे पुलिस की मांग के अनुसार नहीं गए तो उनपर केस कर दिया जाएगा।
59 के खिलाफ दाखिल हुई थी चार्जशीट
इस मामले में दिल्ली पुलिस के तत्कालीन डीसीपी की देखरेख में एक विशेष जांच दल ने 59 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार की थी। इनमें से पांच घोषित अपराधी थे जो कोर्ट में कभी पेश नहीं हुए। जुलाई 2006 में ट्रायल कोर्ट ने सुबूतों के अभाव में पांच आरोपितों को रिहा कर दिया था। शेष 49 अभियुक्तों में से 19 की मौत मुकदमे के दौरान ही हो गई। वहीं, बचे हुए 30 आरोपी 1986 से जमानत पर हैं।
सार्वजनिक स्थान पर लावारिस सामान से पहली बार किए गए थे धमाके
वर्ष- 1985 में सबसे पहली बार लावारिस सामान के जरिये बम धमाके किए गए थे। इनमें 49 लोगों की मौत हो गई थी और 127 लोग जख्मी हो गए थे। इसके बाद पूरे देश में पुलिस ने सार्वजनिक स्थलों और बसों में चेतावनी देनी शुरू कर दी थी कि लावारिस बस्तु बम हो सकती है, उसे न छुएं। चेतावनी आज भी जारी है। ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल कुछ इस तरह से किया गया था कि जैसे ही कोई ट्रांजिस्टर को चलाता था, धमाका हो जाता था। इस दौरान अन्तर्राज्यीय बस अड्डों, लोकल बसों, रेलवे स्टेशन और ट्रेन में ट्रांजिस्टर के अंदर बम भरकर रख दिए गए थे।
बता दें कि दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा के कई इलाकों में ट्रांजिस्टर बम धमाकों में कुल 49 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 127 लोग तो केवल दिल्ली में घायल हुए थे।
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने पिछले दिनों हुई सुनवाई के दौरान अपने फैसले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि अभियोजन द्वारा अभियुक्तों के खिलाफ लगाए गए आरोप अस्पष्ट हैं और किसी निष्कर्ष पर पहुंचाते हैं और सबूतों से ही मेल खाते हैं। साथ ही पुलिस को फटकार लगाते हुए जज ने कहा कि यह साक्ष्य आरोपियों की आपराधिक भूमिका को साबित नहीं करते हैं।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच में 59 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। 59 में से 5 तो घोषित अपराधी थे, जिनमें बारे में पता चला है कि वे कभी सुनवाई के दौरान कोर्ट में ही पेश नहीं हुए।
इससे पहले जुलाई, 2006 में ट्रायल कोर्ट ने 5 आरोपितों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था, 19 की मौत हो गई थी,जबकि 30 जमानत पर हैं।
पुलिस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि आरोपितों को बिना किसी आधार के उठा लिया गया फिर जबरन उनके अपराध कबूलवाए गए।
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