1984 Anti Sikh Riots: गवाह का जगदीश टाइटलर पर गंभीर आरोप, कहा - सिखों को लूटने और मारने के लिए कहते वक्त देखा था
1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े पुल बंगश गुरुद्वारा मामले में एक गवाह ने अदालत में कहा कि उसने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को सिखों को लूटने और मारने के लिए भीड़ को उकसाते हुए देखा था। महिला गवाह ने विशेष न्यायाधीश के सामने यह भी कहा कि बेटे की जान के डर से वह चुप रही और 2016 में पहली बार सीबीआई को टाइटलर का नाम बताया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े उत्तरी दिल्ली के पुल बंगश गुरुद्वारा मामले की एक प्रत्यक्षदर्शी ने शुक्रवार को राउज एवेन्यू की विशेष अदालत में अपनी गवाही दर्ज कराई।
विशेष न्यायाधीश जितेंद्र सिंह के समक्ष प्रत्यक्षदर्शी ने बयान में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को भीड़ को उकसाते और उन्हें सिखों को लूटने और मारने के लिए कहते देखा था।
70 वर्षीय महिला ने दावा किया कि अपने इकलौते बेटे की जान के डर से वह चुप रहीं और अपने बेटे की मौत के बाद वर्ष 2016 में पहली बार सीबीआई को टाइटलर का नाम बताया।
अदालत दंगों के दौरान गुरुद्वारे में आग लगाने वाली भीड़ द्वारा तीन लोगों की हत्या मामले में सुनवाई कर रही है। मामले में आगे की सुनवाई शनिवार को जारी रहेगी।
कोर्ट को बताया कि गुरुद्वारे के सामने फुटपाथ पर खड़ी थीं
हरपाल कौर बेदी ने बयान में कहा कि एक नवंबर 1984 को गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने फुटपाथ पर जब वह खड़ी थीं तो देखा था कि आरोपित जगदीश टाइटलर एक सफेद रंग की एम्बेसडर कार में गोल चक्कर से घूमकर गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने रुका था।
आरोपित जगदीश टाइटलर और तीन अन्य लोग कार से बाहर आए। आरोपितों ने वहां खड़ी भीड़ से कहा कि सिखों को लूटो और मार डालो, गुरुद्वारा लूटो क्योंकि उन्होंने हमारी मां को मारा है।
उन्होंने बताया कि अंधेरा होने के बाद हथियारों से लैस भीड़ ने उनके पड़ोसी तिलक राज का दरवाजा तोड़ घर में घुसने के बाद हमारे कर्मचारी गुरचरण सिंह चन्नी और सरदार बादल सिंह (रागी) को ढूंढ निकाला।
भीड़ ने उन्हें अपने हथियारों से काट डाला। भीड़ ने दोनों को छत से नीचे फेंक दिया और फिर उन्हें रेहड़ी में डालकर उन पर टायर लगा दिए। इतना ही नहीं उन्हें पुल बंगश स्थित गुरुद्वारे के अंदर फेंक कर आग के हवाले कर दिया रहा।
उन्होंने बताया कि जब भीड़ उनके पति (अमरजीत सिंह बेदी) की दुकान लूट रही थी, तो उन्होंने उनके पति और उनके देवर सुरजीत सिंह की हत्या करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मेरा बयान दो-तीन बार दर्ज किया गया।
इकलौते बेटे की जान के खातिर सालों तक रहीं चुप
टाइटलर के वकील ने सवालों के जवाब में महिला ने दावा किया कि अपने इकलौते बेटे की जान के डर से मार्च 2016 से पहले टाइटलर का नाम नहीं लिया था।
बेदी ने कहा कि यह सही है कि न तो उन्होंने और न ही उनके पति ने 2008 तक आरोपित जगदीश टाइटलर की संलिप्तता का जिक्र किया था।
यह सही है कि 2016 से पहले मैंने इस मामले में टाइटलर का नाम नहीं लिया था और एक मार्च 2016 को दिए गए अपने बयान में पहली बार उनका नाम लिया था।
उन्होंने कहा कि उनके बेटे को टाइटलर के आदमियों ने उसके खिलाफ कुछ भी न कहने पर जान से मारने की धमकी दी थी, क्योंकि एक ही बेटा था और उसकी जान की खातिर वह चुप रहीं।
बेटे की वर्ष 2015 में मृत्यु हो चुकी है और तब से मुझे कोई डर नहीं है और इसलिए सीबीआई और अदालत को सारी बातें बताईं। बेटे को मिली धमकी के बारे में कोई शिकायत नहीं की थी
कार के अंदर बैठकर टाइटलर भीड़ को कर रहा था इशारा
बेदी ने कहा कि मार्च 2016 में सीबीआइ को दिए अपने बयान में कहा था कि एक सफेद एम्बेसडर गुरुद्वारे की तरफ से आ रही थी, और टाइटलर अंदर बैठे थे।
कार धीरे-धीरे चल रही थी और टाइटलर ने कार के अंदर बैठे हुए, हिंसा में शामिल लोगों को इशारा करते हुए मारो-मारो कहा और तेजी से मौके से चले गए।
उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि मैंने सीबीआई और सिख समुदाय के नेताओं के कहने पर 2016 में पहली बार टाइटलर का नाम लिया था।
बेदी ने इस बात से इनकार किया कि सीबीआई अधिकारियों ने उन्हें बयान बदलने का सुझाव दिया था, क्योंकि कार में बैठे व्यक्ति की बात कोई सुन नहीं सकता था।
सीबीआई ने 20 मई 2023 को दायर किया था आरोपपत्र
सीबीआई ने 20 मई 2023 को इस मामले में टाइटलर के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर कहा था कि टाइटलर ने एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट में एकत्रित भीड़ को उकसाया और भड़काया था।
इसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारा जला दिया गया था और ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरुचरण सिंह नामक सिखों की हत्या कर दी गई थी।
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